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छतीसगढ़ में ‘अंतराष्ट्रीय महिला दिवस’ मनाने के लिए सरकार को ऐसे कौन से 10 निर्णय लेने चाहिए?

       रायपुर। आज अंतराष्ट्रीय महिला दिवस है। भारत में छत्तीसगढ़ एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ के लोग अपने प्रदेश को माँ-छत्तीसगढ़ी महतारी’- के रूप में पूजते हैं। यहाँ की प्रधान दैविक शक्तियों के रूप में पाँच देवियाँ विराजमान हैं: उत्तर में माँ महामाया; दक्षिण में माँ दंतेश्वरी; पूरब में माँ चंद्रहासिनी; पश्चिम में माँ बंबलेश्वरी; और मध्य में माँ सबरी। इनमें से पहली चार देवियाँ शैव पंथ और आख़िरी देवी वैष्णव पंथ से जुड़ी हैं किंतु बिना इनके आशीर्वाद के छत्तीसगढ़ में कोई भी काम पूरा नहीं होता है। लेकिन इस देवी-पूजा में एक बहुत बड़ा विरोधाभास छुपा है: जहाँ एक तरफ़ महिला-शक्ति की (छत्तीसगढ़ महतारी और इन पाँचों देवियों के रूप में) पूजा होती है, वहीं दूसरी तरफ़ उनको अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कई प्रकार की प्रताड़ना का शिकार भी होना पड़ता है। आज प्रदेश के दो शहर- रायपुर और दुर्ग- महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की संख्या में देश के टॉप 10 शहरों में गिने जाते हैं! इसका कारण मुख्य रूप से आर्थिक है।

अपने घर-परिवार को सम्भालने के साथ-साथ छत्तीसगढ़ की महिलाओं का कृषि, मज़दूरी और वनोपज-संग्रहण में परम्परागत रूप से अहम योगदान है। इसके तीन परिणाम देखने को मिलते हैं: एक, कुशल-क्षेत्र में उनकी भागीदारी पुरुषों की अपेक्षा बहुत कम होने के कारण महिलाओं की मेहनत के उत्पात में उनकी कमाई पुरुषों से आधी रहती है। दो, महिलाएँ अपनी कमाई सामाजिक-आर्थिक उत्थान और बचत में खर्च करती हैं जबकि पुरुष इसका एक बहुत बड़ा हिस्सा शराब के सेवन में बर्बाद कर देते हैं। (शायद इसी कारण से पूर्ववर्ती रमन सरकार ने महिलाओं के नाम पे राशन कार्ड बनाने और वर्तमान भूपेश सरकार ने पूर्ण शराबबंदी लागू करने का निर्णय लिया था।) सरल शब्दों में कहें तो अगर महिला के पास पैसा आता है तो इसका लाभ पूरे प्रदेश को मिलता है जबकि पुरुषों के पैसे का लाभ मुख्य रूप से शराब ठेकेदारों को ही मिल पाता है। तीन, महिलाओं के विरुद्ध 90% अपराधों के पीछे शराब का बहुत बड़ा हाथ है। इस व्यवस्था को बदलने के लिए 10 ठोस कदम उठाने पड़ेंगे।

– पहला, महिलाओं की कुशल-क्षेत्र में भागीदारी बढ़ाने के लिए उनका प्रशिक्षण के माध्यम से कौशल-उन्नयन करना पड़ेगा। इसमें प्रथम चरण में सभी पंजीकृत महिला स्वसहायता समूहों को शामिल करना चाहिए।
– दूसरा, सरकार को महिलाओं को कुशल-क्षेत्र में काम करने के लिए 0% दर के ब्याज में लोन देना पड़ेगा जिसके लिए पृथक से ₹5000 करोड़ की लागत से पाँचों देवियों के नाम से क्षेत्रिय-वार पृथक ‘महिला बैंक’ स्थापित करने की आवश्यकता है।
– तीसरा, सभी महिला संविदा कर्मचारियों- विशेषकर मितानिन और आँगनबाड़ी सहायकों और कार्यकर्ताओं- का नियमितिकरण करना होगा।
– चौथा, उपरोक्त तीनों उद्देश्यों की प्राप्ति ‘महिला विकास और सशक्तिकरण मंत्रालय’ के अधीनस्त होना चाहिए।
– पाँचवा, प्रदेश के मैदानी इलाक़ों में पूर्ण शराबबंदी लागू करनी पड़ेगी ताकि महिला उत्पीड़न को जड़ से उखाड़ा जा सके।
– छटा, महिलाओं के विरुद्ध अपराध रोकने ने लिए हर ब्लॉक में ‘महिला थाना’ खोलना पड़ेगा।
– सातवाँ, IPC में संशोधन करके नाबालिग महिलाओं के विरुद्ध यौन शोषण और बलात्कार के लिए सजा-ए-मौत और शराब बेचने के लिए 14 साल कठोर कारावास का प्रावधान रखना पड़ेगा जिसका विचारण विशेष महिला अदालतों द्वारा 6 महीने के भीतर किया जाएगा।
– आठवाँ, हर ग्राम पंचायत में सरकार को ₹15000 समर्थन-राशि देके महिलाओं की टोली (ऐसी टोलियों को ‘गुलाबी गैंग’ के नाम से जाना जा रहा है) का गठन करना होगा जो रोज़ शाम 6 से रात 9 बजे तक गली-गली में फेरी लेके सुनिश्चित करे कि गाँव में कोई शराब का सेवन या शराब की बिक्री करके उपद्रव नहीं कर रहा है। इनमें स्थानीय थाने से कम से कम एक महिला पुलिसकर्मी को अटैच किया जाए।
– नौवाँ, हर ज़िले में ‘नशा-मुक्ति केंद्र’ (de-addiction centre) खोलना पड़ेगा जिसमें दरुओं का निशुल्क चिकित्सीय इलाज किया जा सके।
– दसवाँ, शराबबंदी अभियान (बिंदु क्रमांक 5 से 9) के समेकित क्रियान्वयन हेतु पृथक से ‘शराबबंदी मंत्रालय’ का नया गठन किया जाना चाहिए।

उपरोक्त 10 फ़ैसले-जिसमें मैंने महिला विधायकों और प्रमुख सचिवों के राजनीतिक और प्रशासनिक नेतृत्व में- दो नवीन मंत्रालयों के गठन का प्रस्ताव दिया है- लेने से ही वास्तव में हम छत्तीसगढ़ की महिलाओं का न केवल नाम से बल्कि काम से भी पूजा कर सकते हैं। छत्तीसगढ़ महतारी और छत्तीसगढ़ की पाँच प्रमुख देवियों को यही सच्ची श्रद्धांजली होगी। बाक़ी सब ढकोसला है।

अमित जोगी
अध्यक्ष- जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे)

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