CITU नेता पीई अंताप्पन का निधन, शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज को देहदान, डाक्टर करेंगे रिसर्च
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- शोध हेतु शंकराचार्य मेडिकल कालेज को सौंपा गया पीई अंताप्पन का पार्थिव शरीर।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल भिलाई स्टील प्लांट (SAIL – Bhilai STeel Plant) के आयरन ओर माइंस दल्ली राजहरा (Iron Ore Mines Dalli Rajhara) के माकपा व सीटू राजहरा के वरिष्ठ नेता पीई अंताप्पन का दुःखद निधन हो गया है। 10 जनवरी संध्याकाल में भानुप्रतापपुर में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनकी इच्छा थी कि उनके पार्थिव शरीर को मेडिकल कालेज को शोध हेतु दान कर दिया जाए।
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पीई अंताप्पन की इच्छा को सम्मान देते हुए परिवार ने शंकराचार्य मेडिकल कालेज, भिलाई को देहदान करने का निर्णय किया, जिसके तहत सोमवार को सुबह 11 बजे राजहरा के निर्मला स्कूल चर्च से अंताप्पन के पार्थिव शरीर को मेडिकल कालेज को सौंप दिया गया। देह दान के इस महान काम में आस्था वृद्ध आश्रम के प्रकाश गेडाम एवं रामू राव ने मदद किया।
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क्या महत्व है देहदान का
मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को मानव शरीर की संरचना से लेकर होने वाली बीमारियां एवं उन बीमारियों के इलाज के संदर्भ में पढ़ाया जाता है। इस अध्ययन में एनाटॉमी महत्वपूर्ण विभाग है, जिसमें मानव शरीर की संरचना को समझने के लिए प्रारंभिक तौर पर कृत्रिम शरीर का इस्तेमाल किया जाता है।
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कृत्रिम स्केलेटन भी लैब में रहता है, जिससे विद्यार्थी शारीरिक बनावट को समझते हैं। किंतु कितना भी कृत्रिम शरीर पर अध्ययन कर लें, वास्तविक अर्थात प्राकृतिक शरीर पर अध्ययन बहुत जरूरी होता है। इसके लिए उन्हें मृत देह अर्थात पार्थिव शरीर की आवश्यकता होती है।
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इस महत्व को जो मनुष्य समझता है। वे जीवित रहते ही अपने देहदान की घोषणा करते हैं। कई लोग फॉर्म भरकर देहदान का सर्टिफिकेट भी तैयार करके रख देते हैं, ताकि उनके मृत्यु होने के बाद देहदान करने में किसी तरह की अड़चन न आए कभी-कभी मृत्यु हो जाने के बाद उनके परिजन भी निर्णय करके देहदान करते हैं।
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इसके लिए पूरी आवश्यक वैधानिक प्रक्रिया मेडिकल कॉलेज द्वारा अपनाई जाती है। देहदान की घटनाएं समाज के अंदर कई लोगों को प्रेरित करती है कि विज्ञान के शोध एवं डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों के लिए देह दान करें।
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क्या होता है एनाटॉमी
शरीर रचना विज्ञान को एनाटॉमी कहते हैं। शरीर संरचना विज्ञान विज्ञान की वह शाखा है, जो जीवों की शारीरिक संरचनाओं और अंगों के अध्ययन पर केंद्रित है। इसे लोगों द्वारा सबसे पुराने चिकित्सा विज्ञान में से एक माना जाता है।
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शरीर संरचना विज्ञान का विकास धर्म और दर्शन से संबंधित प्रश्नों का परिणाम था प्रारंभिक अध्ययन मनुष्यों पर किए जाने से पहले सूअर और बंदरों जैसे जानवरों पर किए गए थे। पांचवी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास रहने वाले एक प्राचीन यूनानी वैज्ञानिक और दार्शनिक अल्केमियन को शरीर संरचना विज्ञान का अध्ययन करने वाला सबसे पहला व्यक्ति माना जाता है। यह भी माना जाता है कि उन्होंने ही मानव शरीर का पहला विक्षेपण किया था।
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महान काम है देहदान करना
सीटू के महासचिव जगन्नाथ प्रसाद त्रिवेदी ने कहा कि बेहतरीन से बेहतरीन डॉक्टर को तैयार करने के लिए आवश्यक अध्ययन सामग्री की आवश्यकता होती है, उसमें उपकरणों के साथ-साथ मानव देह अर्थात पार्थिव शरीर महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसीलिए देहदान करने के लिए लोगों को स्वयं से प्रेरित होना चाहिए, ताकि विज्ञान एवं चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे नए-नए शोध को और ज्यादा आगे बढ़ाया जा सके।
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