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Big Breaking News: अडानी ग्रुप का फरमान, ACC सीमेंट फैक्ट्री वेज बोर्ड के कर्मचारी VR लें या ट्रांसफर, हड़कंप

  • एसीसी जामुल में 178 मजदूर वेज बोर्ड के अधीन हैं। वीआर स्कीम के तहत 48 माह का बेनिफिट दिया जाएगा।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। गौतम अडानी (Gautam Adani) का नाम भिलाई में भी सुर्खियों में है। अडानी ग्रुप के एसीसी सीमेंट फैक्ट्री जामुल समेत देश के अन्य प्लांट के कर्मचारियो पर संकट का बादल छाया हुआ है। वेज बोर्ड के कर्मचारियों की छंटनी का रास्ता निकाला गया है। कंपनी के नए फरमान से दहशत फैली हुई है। वेज बोर्ड के कर्मचारियों को दो रास्ता दिखाया गया है। एक वीआर, दूसरा ट्रांसफर का।

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25 दिसंबर तक वीआर लेने की तारीख बढ़ा दी गई है। वीआर नहीं लेने वाले कर्मचारियों का देश के अन्य राज्यों की अडानी की सीमेंट फैक्ट्री में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। वीआर लेने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है।

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बताया जा रहा है कि एसीसी जामुल प्लांट के करीब 4 कर्मचारियों ने वीआर भी ले लिया है। एक नर्सिंग स्टाफ पर इतना दबाव डाला जा रहा है कि वह तनाव में है। मानसिक तनाव की स्थिति पैदा हो गई है। परिवार में दहशत का आलम है।

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अडानी के एसीसी जामुल प्लांट के कर्मचारियों ने सूचनाजी.कॉम को बताया कि अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वेज बोर्ड के तहत आने वाले कर्मचारियों का हटाया जाए। इनके स्थान पर ठेका प्रथा के तहत कार्य लिया जाए। इससे कंपनी पर पड़ने वाले आर्थिक भार को कम किया जा सकेगा।

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नियमित कर्मचारी का वेतन 40 से 50 हजार रुपए बताया जा रहा है। साथ ही कंपनी सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वहन भी करती है। वहीं, ठेका प्रथा से कार्य कराने पर 20 से 30 हजार रुपए में ही खर्च होगा।

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चर्चा है कि भाटापारा के अंबुजा सीमेंट के 18 कर्मचारियों ने वीआर ले लिया है। कइयों का ट्रांसफर गुजरात के अंबुजानगर में करने की बात सामने आ रही है। प्रबंधन के रवैये से आक्रोशित कर्मचारियों का कहना है कि जबरदस्ती प्रेशर बनाया जा रहा है। परेशान किया जा रहा है।

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एसीसी जामुल में 178 मजदूर वेज बोर्ड के अधीन हैं। वीआर स्कीम के तहत 48 माह का बेनिफिट दिया जाएगा। वेज बोर्ड के कर्मचारियों के बारे में बताया जा रहा है कि परीक्षा के बाद कैमूर में ट्रेनिंग होती है।फिर पोस्टिंग दी जाती है। अब वेज बोर्ड का नाम बदलकर एसएफए कर दिया गया है। भूमि अधिग्रहण के मामले में पीड़ितों को वेज बोर्ड में नौकरी देते हैं। इस प्रकरण पर प्रबंधन का पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन आधिकारिक रूप से कोई भी बोलने को तैयार नहीं हुआ।

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