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SAIL News: वित्तीय वर्ष 2024-25 में 5,700 करोड़ और 2025-26 में 7,500 करोड़ के Capital Expenditure को मंजूरी

  • निर्यात का निर्णय उद्यमी द्वारा संबंधित वस्तु की कीमतों सहित घरेलू मांग और आपूर्ति की स्थितियों के आधार पर लिया जाता है।

सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल (Steel Authority of India Limited-SAIL) से खबर आ रही है। सांसदों के सवाल पर केंद्र सरकार ने लोकसभा में जवाब दिया है। वित्तीय वर्ष 2024-25 और 2025-26 में सेल (SAIL) के लिए क्रमशः 5,700 करोड़ रुपये और 7,500 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) को मंजूरी दी गई है।

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इस्पात एवं भारी उद्योग राज्य मंत्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा (Minister of State for Steel and Heavy Industries Bhupatiraju Srinivas Verma) ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में जानकारी दी। उन्होंने बातया पूंजीगत व्यय में पूर्ण हो चुकी योजनाओं के लिए माइलस्टोन भुगतान, चालू योजनाओं के लिए प्रगति भुगतान, पूंजीगत मरम्मत/स्पेयर और संयुक्त उद्यमों में पूंजीगत व्यय में सेल का हिस्सा शामिल है।

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इस्पात उद्योग ने फ्लैट स्टील उत्पादों, सीआरएनओ और हॉट रोल्ड कॉयल्स के आयात पर निर्दिष्ट प्राधिकारी के समक्ष आयात के संबंध में जांच शुरू करने के लिए याचिका दायर की है।

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इस्पात एक विनियमन-मुक्त क्षेत्र है और सरकार इस्पात क्षेत्र के विकास के लिए अनुकूल नीतिगत माहौल बनाकर सुविधा मुहैया कराती है। यह उद्योग इस्पात संयंत्रों की स्थापना के बारे में निर्णय तकनीकी-व्यावसायिक विचारों के आधार पर लेता है, जिसमें कच्चे माल की उपलब्धता, आसान लॉजिस्टिक्स, बाजार तक पहुंच आदि जैसे कारकों को ध्यान में रखा जाता है।

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इस्पात का निर्यात पर भी आया जवाब

इस्‍पात मंत्रालय (Ministry of Steel) के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (सीपीएसई) देश भर के कुशल और अकुशल श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं और उन्हें आवश्यकता आधारित कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करते हैं।

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इस्‍पात एक विनियमन-मुक्त क्षेत्र है। इस्‍पात कंपनियां तकनीकी-आर्थिक विचारों के अनुसार इस्‍पात के आयात या निर्यात के लिए किसी विशेष बंदरगाह का उपयोग करने का निर्णय लेती हैं। देश से लोहा और इस्‍पात के निर्यात को उदार बनाया गया है और निर्यात का निर्णय उद्यमी द्वारा संबंधित वस्तु की कीमतों सहित घरेलू मांग और आपूर्ति की स्थितियों के आधार पर लिया जाता है।

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