हे राम…: पेंशनभोगियों को याद आए गांधी जी, लोकतंत्र में ईपीएस 95 पेंशनर के अहिंसक आंदोलनों का कोई महत्व नहीं…?
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- देश की सरकार वरिष्ठ नागरिकों की क्यों नहीं सुन रही है? क्या इस महान लोकतंत्र के देश में अहिंसक आंदोलनों का कोई महत्व नहीं है?
सूचनाजी न्यूज, मध्य प्रदेश। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employee Pension Scheme 1995) के तहत न्यूनतम पेंशन की आवाज मध्य प्रदेश से भी लगातार उठ रही है। यहां वोटों की सियासत और सरकार पर पेंशनभोगी लगातार तंज कस रहे हैं। लेकिन, उनका दर्द कम नहीं हो रहा है।
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ईपीएस 95 पेंशन राष्ट्रीय संघर्ष समिति मध्यप्रदेश (EPS 95 Pension National Struggle Committee Madhya Pradesh) के राजेश सिंह तोमर कहते हैं कि मैं सोच रहा हूं कि आज की राजनीति सरकार अपने अंहकार स्वार्थ में अंधी होकर सेवानिवृत्त वरिष्ठ नागरिकों का ख्याल भी नहीं रख रही है। जिसके लिए हक की लड़ाई आठ साल से अनवरत आन्दोलन ईपीएस 95 संगठन संघर्ष समिति के बैनर तले राष्ट्रीय अध्यक्ष कमांण्डर अशोक राऊत, राष्ट्रीय महासचिव इंजीनियर बीरेंद्र सिंह राजावत के लीडरशिप में लड़ी जा रही है।
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मिनिमम पेंशन को लेकर सरकार ने बहुत आश्वासन दिए। हर माह सेवानिवृत्त होने के बाद वृद्धा अवस्था में मासिक पेंशन के रूप में पेंशन देने का आश्वासन था कि खुश हाल जीवन रहेगा। सरकार वादे से मुकर रही है। मासिक पेंशन जो दे रही है। उससे एक खाना बनाने का सिलेंडर भी नहीं आता तो पेट भर खाना तो छोड़ो। ठीक से इलाज भी नहीं होता है। उसके लिए चार सूत्रीय मांग का आन्दोलन का परिणाम आठ साल बाद भी जहां था वहीं है।
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ईपीएस 95 पेंशन राष्ट्रीय संघर्ष समिति मध्यप्रदेश के राजेश सिंह तोमर ने कहा-राष्ट्रपिता गांधी जी के आन्दोलन में विदेश की सरकार भी झुकती थी। फिर मेरे देश की सरकार इन वरिष्ठ नागरिकों की क्यों नहीं सुन रही है? क्या इस महान लोकतंत्र के देश में अहिंसक आंदोलनों का कोई महत्व नहीं है? क्या …को ही सर्वोच्य स्थान है?
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