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ईपीएस 95 न्यूनतम पेंशन 7500 की मांग, ट्रेड यूनियनों पर फूट रहा गुस्सा

  • एनएसी समर्थक ने कहा-ट्रेड यूनियन की मांग केवल 5,000 रुपये की है। सभी ट्रेड यूनियन को एनएसी का समर्थन करना चाहिए।

सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employee Pension Scheme 1995): न्यूनतम पेंशन को लेकर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organization), केंद्र सरकार के बाद अब ट्रेड यूनियन पर गुस्सा उतारा जा रहा है। पेंशनभोगी लगातार ट्रेड यूनियनों की कार्य संस्कृति पर सवाल उठा रहे हैं। पेंशनर क्या सोच रहे हैं। क्या मांग है। कौन-क्या कह रहा है, इसको विस्तार से आप यहां पढ़िए।

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पेंशनभोगी गौतम चक्रवर्ती ने कहा-कई ट्रेड यूनियनों ने न्यूनतम पेंशन 5000 रुपये की मांग की है। हरियाणा और महाराष्ट्र (एनएसी आंदोलन का जन्मस्थान) में जीत और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस द्वारा किए गए गलत कामों से उत्साहित, जहां मुफ्तखोरी ने खजाने को सूखा दिया है, टीम मोदी या तो ईपीएस 95 मुद्दे को अनदेखा कर देगी या लाभार्थियों की मौजूदा पेंशन में मात्र 1000 रुपये जोड़ सकती है। ईएसआईसी या अन्य योजनाओं के माध्यम से चिकित्सा लाभ बढ़ाया जाएगा।

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सनत रावल बोले-ट्रेड यूनियन की मांग केवल 5,000 रुपये की है। सभी ट्रेड यूनियन को एनएसी का समर्थन करना चाहिए और कामगारों/कर्मचारियों के कल्याण के लिए एक आवाज बनना चाहिए। एकजुट होकर हम खड़े हैं, विभाजित होकर हम गिरेंगे।

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ट्रेड यूनियन सरकार के पिट्ठू हैं। यूनियनों की मांग 5000 रुपये की है। जब एनएसी की 7500+महंगाई भत्ता+चिकित्सा भत्ता की है। फिर ट्रेड यूनियन केवल 5,000/- रुपये की मांग क्यों कर रही है?

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सत्यनारायण हेगड़े का कहना है कि ट्रेड यूनियन हमेशा से ही ईपीएफओ 95 योजना की शुरुआत से ही कर्मचारियों के खिलाफ रही है। वे भ्रष्ट हैं और नियोक्ताओं और ईपीएफओ के लोगों के साथ घनिष्ठ संबंध रखते हैं और किसी तरह से योजना को विफल करना चाहते हैं। वे पहले दर्जे के बदमाश और कर्मचारी विरोधी हैं।

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संतोष स्वरूप ने भी गुससे में कहा-ट्रेड यूनियन ईपीएफओ-95 पेंशनभोगियों की लड़ाई को खराब कर रहे हैं और कमांडर न्यूनतम 7500 रुपये+डीए के लिए लड़ाई के प्रयासों को विफल कर रहे हैं।

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वादिराज राव ने कहा-हमें ट्रेड यूनियन नेताओं पर विश्वास नहीं करना चाहिए, क्योंकि वे दिखावे में माहिर हैं। वहीं, एक पेंशनर ने सवाल दाग दिया कि क्या EPS-95 के तहत दी जाने वाली विधवा पेंशन भी बढ़ेगी?

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पेंशनभोगी बीजीवी नरसिंह राव का कहना है कि पहले ट्रेड यूनियनों ने 3,000 रुपये के भुगतान पर सफलता प्राप्त की थी, लेकिन उस समय पेंशन सेनानियों ने उस सौदे को बिगाड़ दिया। चलो, चाहे 7500 हो या 5000, बिना आईजीओ के कुछ न होने से कुछ बेहतर है।

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