
डीवीसीएम दिनेश मोड़ियम सहित 9 इनामी माओवादी हुए सरेंडर
पुलिस दबाव, आंतरिक मतभेद और विकास कार्य बने आत्मसमर्पण के मुख्य कारण
रायपुर। बीजापुर जिले में गंगालूर एरिया कमेटी से जुड़े 17 माओवादियों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया। इनमें DVCM स्तर के 1, ACM स्तर के 2, प्लाटून कमांडर 2, जनताना सरकार अध्यक्ष 1, डीएकेएमएस अध्यक्ष 1, पार्टी सदस्य 1, केएएमएस अध्यक्ष 1, जनताना सरकार उपाध्यक्ष 2, प्लाटून डिप्टी कमांडर 1, जनताना सरकार सदस्य 4 और जीपीसी सदस्य 1 शामिल हैं।
- समर्पण करने वाले 9 माओवादी 24 लाख रुपये के इनामी थे।
- डीव्हीसीएम दिनेश मोड़ियम ने अपनी पत्नी, एसीएम ज्योति ताती के साथ आत्मसमर्पण किया।
- नए सुरक्षा कैंपों, पुलिस के बढ़ते दबाव और संगठन में आंतरिक मतभेद के कारण आत्मसमर्पण किया।
- आत्मसमर्पित माओवादियों को पुनर्वास नीति के तहत 25-25 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई।
समर्पण के पीछे मुख्य कारण
- शासन की पुनर्वास नीति और कल्याणकारी योजनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार।
- क्षेत्र में नए सुरक्षा कैंपों की स्थापना, सड़कों का विस्तार, परिवहन सुविधा, बिजली और पानी की उपलब्धता।
- सुरक्षा बलों द्वारा ग्रामीणों से संवाद और सामुदायिक पुलिसिंग का सकारात्मक असर।
- माओवादी संगठन में बढ़ते आंतरिक मतभेद और नेतृत्व का शोषणकारी रवैया।
- शांति और सुरक्षित पारिवारिक जीवन जीने की इच्छा।
2025 में अब तक:
- 65 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं।
- 137 माओवादी गिरफ्तार किए गए।
- 56 माओवादी विभिन्न मुठभेड़ों में मारे गए।
माओवादियों का आत्मसमर्पण कराने में इन सुरक्षा बलों की रही अहम भूमिका:
- डीआरजी (District Reserve Guard)
- बस्तर फाइटर फोर्स
- एसटीएफ (Special Task Force)
- सीआरपीएफ (CRPF) की विभिन्न बटालियन – 85वीं, 196वीं, 199वीं
- कोबरा बटालियन – 202, 204, 205, 206, 210
DVCM दिनेश मोड़ियम की अपील:
“माओवादी संगठन के बड़े नेता भोले-भाले आदिवासियों को गुमराह कर शासन के खिलाफ हथियार उठाने के लिए मजबूर करते हैं। विरोध करने पर उन्हें जन-अदालत लगाकर मौत की सजा दी जाती है।”
“मैं 20 वर्षों तक हिंसा के रास्ते पर रहा, लेकिन अब मुझे एहसास हुआ कि यह रास्ता विनाश की ओर ले जाता है। मैं अपने अन्य माओवादी साथियों से अपील करता हूं कि वे भी हथियार छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौट आएं।”
एसपी बीजापुर डॉ. जितेंद्र कुमार यादव की अपील:
“माओवादियों को शासन की पुनर्वास नीति का लाभ उठाना चाहिए। सरकार उनकी सुरक्षा, आजीविका और पुनर्वास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। अब समय आ गया है कि वे भ्रम से बाहर निकलें और एक शांतिपूर्ण जीवन अपनाएं।”
नक्सल उन्मूलन की दिशा में बढ़ते कदम
- “नियद नेल्ला नार” योजना के तहत माओवादियों को समाज की मुख्यधारा में लाने की प्रक्रिया जारी है।
- विकास कार्यों और सुरक्षा बलों की रणनीति से माओवादी संगठन कमजोर पड़ रहा है।
- बस्तर को नक्सलमुक्त बनाने की दिशा में यह आत्मसमर्पण एक और महत्वपूर्ण कदम है।