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कम कीमत वाले स्टील और चीन-वियतनाम पर मोदी सरकार ने ये कहा…

  • देश के भीतर ‘स्पेशलिटी स्टील’ के विनिर्माण को बढ़ावा देने पर जोर है।

सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। बाजार में कम कीमत वाले स्टील पर बहस शुरू हो गई है। इस्पात एवं भारी उद्योग राज्य मंत्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने मंगलवार को लोकसभा में इस पर जवाब दिया है।

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मंत्री ने कहा-इस्पात एक विनियमनमुक्त क्षेत्र है और इस्पात की कीमतें बाजार की शक्तियों की मांग-आपूर्ति की गतिशीलता के सिद्धांतों, वैश्विक बाजार की स्थितियों, कच्चे माल की कीमतों के रुझान, रसद लागत, बिजली और ईंधन की लागत आदि द्वारा निर्धारित की जाती हैं। सरकार देश में स्‍टील के छोटे और मध्यम उत्पादकों सहित इसके विकास के लिए अनुकूल नीतिगत माहौल बनाकर एक सुविधाकर्ता के रूप में काम करती है।

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सरकार ने स्‍टील आयात में कमी लाने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए घरेलू स्‍टील निर्माताओं की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए हैं।

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देश के भीतर ‘स्पेशलिटी स्टील’ के विनिर्माण को बढ़ावा देने और पूंजी निवेश को आकर्षित करके आयात को कम करने के लिए स्पेशलिटी स्टील के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की शुरुआत की गई। स्पेशलिटी स्टील के लिए पीएलआई योजना के तहत अनुमानित अतिरिक्त निवेश 27,106 करोड़ रुपये है, जिसमें स्पेशलिटी स्टील के लिए लगभग 25 मिलियन टन (एमटी) की डाउनस्ट्रीम क्षमता का निर्माण शामिल है।

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स्‍टील गुणवत्ता नियंत्रण आदेश लागू करना, जिससे घरेलू बाजार में घटिया/दोषपूर्ण स्‍टील उत्पादों के साथ-साथ आयात पर प्रतिबंध लगाया जा सके, ताकि उद्योग, उपयोगकर्ताओं और आम जनता को गुणवत्तापूर्ण स्‍टील की उपलब्धता सुनिश्चित हो जा सके।

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स्‍टील आयात निगरानी प्रणाली (एसआईएमएस) को नया रूप दिया गया है और घरेलू स्‍टील उद्योग की चिंताओं को दूर करने के लिए आयात की अधिक प्रभावी निगरानी के लिए 25 जुलाई 2024 को एसआईएमएस 2.0 को शुरू किया गया।

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सरकारी खरीद के लिए ‘भारत में निर्मित’ स्‍टील को बढ़ावा देने के लिए घरेलू स्तर पर निर्मित लौह एवं स्‍टील उत्पाद (डीएमआई एवं एसपी) नीति का कार्यान्वयन।

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कुछ स्‍टील उत्पादों जैसे कि सीमलेस ट्यूब, पाइप और लौह, मिश्र धातु या गैर-मिश्र धातु स्‍टील (कच्चा लोहा और स्टेनलेस स्टील को छोड़कर) (चीन जन.प्र. से), इलेक्ट्रो-गैल्वेनाइज्ड इस्पात (कोरिया जन.प्र., जापान, सिंगापुर से), स्टेनलेस स्टील सीमलेस ट्यूब और पाइप (चीन जन.प्र. से), वेल्डेड स्टेनलेस स्टील पाइप और ट्यूब (वियतनाम और थाईलैंड से) से संबंधित एंटी डंपिंग ड्यूटी (एडीडी) उपाय अभी लागू हैं।

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चीन और वियतनाम से आयातित वेल्डेड स्टेनलेस स्टील पाइपों और ट्यूबों पर काउंटरवेलिंग ड्यूटी (सीवीडी) लागू है।
घरेलू स्‍टील उद्योग की मौजूदा मांग/खपत को पूरा करने के लिए देश में लौह अयस्क का पर्याप्त भंडार है। आईबीएम द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2024 में लौह अयस्क का उत्पादन 270 मिलियन टन से अधिक था और निर्यात लगभग 46 मिलियन टन था जबकि आयात 4.9 मिलियन टन था।

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सरकार ने खनिजों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ, उत्पादन बढ़ाने के लिए खनन और खनिज नीति सुधार, समाप्त हो चुके पट्टों वाली खदानों की शीघ्र नीलामी और संचालन, व्यापार करने में आसानी, सभी वैध अधिकारों और अनुमोदनों का निर्बाध हस्तांतरण, खनन परिचालन और प्रेषण शुरू करने के लिए प्रोत्साहन, खनन पट्टों का हस्तांतरण, कैप्टिव खदानों को उत्पादित खनिजों का 50 प्रतिशत तक बेचने की अनुमति, अन्वेषण गतिविधियों को बढ़ाना आदि शामिल हैं।

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सरकार ने नवंबर, 2019 में स्टील स्क्रैप रीसाइक्लिंग नीति को अधिसूचित किया है। यह नीति विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न लौह स्क्रैप के वैज्ञानिक प्रसंस्करण और रीसाइक्लिंग के लिए भारत में धातु स्क्रैपिंग केंद्रों की स्थापना को सुविधाजनक बनाने और बढ़ावा देने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करती है।

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