SAIL में अनिवार्य सेवानिवृत्ति के विरोध में OA-BSP की गेट मीटिंग, अधिकारी उतरे सड़क पर

- सेफी ने सेल प्रबंधन से अपने इस निर्णय पर पुर्नविचार करने की मांग किया है।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेफी के आह्वान पर ऑफिसर्स एसोसिएशन, भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai Steel Plant), भिलाई द्वारा मंगलवार को अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने के विरोध में मुर्गा चौक में “गेट मीटिंग“ का अहम आयोजन किया।
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विदित हो कि हाल ही में सेल प्रबंधन (SAIL Management) द्वारा 11 अधिकारियों को समयपूर्व अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी। इस अनैतिक निर्णय के विरोध में सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र (SAIL – Bhilai Steel Plant) के अधिकारियों ने ओए द्वारा आयोजित गेट मीटिंग में बड़ी संख्या में पहुंच कर अपना विरोध दर्ज कराया।
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अधिकारीगण सेल प्रबंधन (SAIL Management) के इस निर्णय से बेहद आक्रोशित थे। इस गेट मीटिंग में सेफी चेयरमेन एवं ओए अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार बंछोर, महासचिव परविन्दर सिंह, कोषाध्यक्ष अंकुर मिश्रा, उपाध्यक्ष द्वय तुषार सिंह, अखिलेश मिश्रा सचिव द्वय संजय तिवारी, जेपी शर्मा सहित सभी जोनल प्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में अधिकारीगण उपस्थित थे।
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इस अवसर पर सेफी चेयरमेन एवं ओए अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार बंछोर ने उपस्थित अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि सेल में पहली बार इस प्रकार का अनुचित निर्णय लिया गया है। इस अनिवार्य सेवानिवृत्ति से जहां इस्पात बिरादरी का मनोबल गिरेगा।
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वहीं सेल के कार्य संस्कृति पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। आज सेल ने जो मुकाम हासिल किया है उसके पीछे सेल के कर्मठ कार्मिकों का महत्वपूर्ण योगदान है। अगर इस तरह के एकतरफा निर्णय लिए जाएंगे तो कार्मिक अपना बेहतर निष्पादन नहीं दे पाएंगे। इसका असर सेल के उत्पादन, उत्पादकता पर भी पड़ सकता है।
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एनके बंछोर ने इस संदर्भ में संघर्ष करने के ओए के संकल्प को दोहराते हुए कहा कि हम अपने अधिकारियों के अनिवार्य सेवानिवृत्ति के खिलाफ लड़ते रहेंगे। जरूरत पड़ी तो हम प्रधानमंत्री कार्यालय तक अपनी आवाज बुलंद करेंगे। हम इन अधिकारियों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। जरूरत पड़ी तो हम न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाएंगे और न्यायालय के खर्च को भी सेफी द्वारा वहन किया जाएगा।
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एनके बंछोर ने कहा कि भारत सरकार की नवीन इस्पात नीति 2030 के तहत इस्पात मंत्रालय के द्वारा सेल को क्षमता विस्तार हेतु निर्देशित किया गया है, इसके अंतर्गत सेल को वर्ष 2030 तक 35 एमटी की क्षमता अर्जित करने का लक्ष्य दिया गया है। इस विस्तार हेतु सेल के द्वारा 1 लाख करोड़ रूपये की राशि का निवेश किया जाएगा।
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सेफी ने यह मांग की कि सेल के वर्तमान विस्तार के योजनाओं को ध्यान में रखते हुए इस्पात क्षेत्र के दो सार्वजनिक उपक्रमों नगरनार इस्पात संयंत्र एवं राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड जिनकी क्षमता क्रमशः 3 एमटी एवं 7.3 एमटी है, अतः इन दोनों कंपनियों का सेल में रणनीतिक साझेदारी/विलय कर दिया जाए तो वर्तमान में दिए गए विस्तारीकरण के लक्ष्य को शीघ्र ही हासिल किया जा सकेगा।
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यह कदम जहां सेल के उत्पादन क्षमता को शीघ्र बढ़ाने में मददगार होगा वहीं इन राष्ट्रीय संपत्तियों को विनिवेश से बचाया जा सकेगा और इनके संपूर्ण क्षमता का उपयोग किया जा सकेगा। इसके साथ ही इन इकाईयों में कार्यरत कार्मिकों के हितों की भी रक्षा की जा सकेगी। सार्वजनिक क्षेत्र के इस्पात उपक्रमों के अधिकारियों का अपेक्स संगठन सेफी प्रारंभ से ही सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के अंधाधुंध नीजिकरण एवं विनिवेश के स्थान पर, पुर्नगठन तथा रणनीतिक समायोजन पर जोर देता रहा है।
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सेफी चेयरमैन ने इस्पात मंत्रालय एवं सेल प्रबंधन से आग्रह किया कि वे सार्वजनिक क्षेत्र के इस्पात उद्योगों के मर्जर जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर ध्यान देना राष्ट्रहित में होगा व अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देना जनहित में नहीं है।
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इस गेट मीटिंग को ओए के महासचिव परविन्दर सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि हम अनिवार्य सेवानिवृत्ति के इस आदेश की घोर निंदा करते हैं। हम इस संघर्ष को और तेज करेंगे, हमारा अंतिम लक्ष्य होगा इस अनिवार्य सेवानिवृत्ति आदेश को रद्द कराना। एक ओर जहां सेल एक महारत्न कंपनी है, जिसे “ग्रेट प्लेस टू वर्क“ से सम्मानित किया गया है।
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परंतु समयपूर्व अनिवार्य सेवानिवृत्ति के इस निर्णय से कार्मिकों का मनोबल गिरने के साथ ही कंपनी की छबि भी धूमिल हुई है। सेल प्रबंधन का यह निर्णय कार्मिकों को हतोत्साहित करने वाला है। सेफी, सेल प्रबंधन से अपने इस निर्णय पर पुर्नविचार करने का पुरजोर मांग करती है। संघर्ष की इस कड़ी में हम 20 मार्च 2025 को सेल के सभी अधिकारीगण ब्लैक बैच लगाकर इस निर्णय का विरोध करेंगे।
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