राष्ट्रहित में नगरनार स्टील प्लांट का SAIL में करें मर्ज, सेफी ने पीएम मोदी से लगाई गुहार, न बेचें प्लांट

- छत्तीसगढ़ अंचल में इस विलय से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से 50000 से अधिक रोजगार उत्पन्न होंगे।
- दुर्गम बस्तर अंचल भी विकास की मुख्य धारा में जुड़ जाएगा।
- बस्तर क्षेत्र में अधोसंरचना से ना केवल छत्तीसगढ़ बल्कि, ओडिशा व आंध्र प्रदेश को भी फायदा होगा।
- अन्य विकसित शहरों के तर्ज पर नवीन इस्पात नगरी के रूप में नगरनार (जगदलपुर) स्थापित होगा।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। देश की संपत्ति को बारी-बारी से बेचने का दाग मोदी सरकार पर लगता जा रहा है। अब नगरनार इस्पात संयंत्र (Nagarnar Steel Plant) चर्चा में है। स्टील एग्जीक्यूटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया-सेफी (Steel Executives Federation of India-SEFI) ने पीएम मोदी से गुहार लगाई है कि इसे बेचने से रोकें। राष्ट्रहित में फैसला लें। नगरनार स्टील प्लांट को सेल में मर्ज कर दिया जाए।
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चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) से नगरनार इस्पात संयंत्र के विनिवेश की बजाय इसका सेल में रणनीतिक विलय करने का पुनः अनुरोध किया है। जिससे कि देश के इस्पात नीति के तहत सेल के उत्पादन बढ़ाने के लक्ष्य को शीघ्र प्राप्त किया जा सके।
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इसके लिए नगरनार इस्पात संयंत्र (Nagarnar Steel Plant) का सेल में विलय हेतु गंभीरतापूर्वक विचार करना राष्ट्रहित में अत्यंत आवश्यक है। यह रणनीतिक विलय जहां सेल के लिए लाभकारी होगा वहीं यह नगरनार इस्पात संयंत्र के सुचारू संचालन में मदद करेगा।
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सेफी बस्तर के जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए माननीय प्रधानमंत्री जी से निवेदन किया है कि नगरनार इस्पात संयंत्र का विनिवेश करने के बजाय सेल में रणनीतिक विलय किया जाए जिससे इस आदिवासी अंचल तथा देश के विकास को नई गति प्रदान की जा सके।
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विदित हो कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल बस्तर स्थित नगरनार इस्पात संयंत्र (Nagarnar Steel Plant) को दिनांक 03.10.2023 को प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया था। उन्होंने बस्तर की जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए लोगों को आश्वस्त किया कि नगरनार इस्पात संयंत्र (Nagarnar Steel Plant) के मालिक बस्तर के लोग होंगे। इन संसाधनों पर बस्तर के लोगों का पहला हक होगा एवं नगरनार इस्पात संयंत्र (Nagarnar Steel Plant) में लगभग 50000 लोगों को रोजगार मिलेगा, जिससे बस्तर के विकास में एक नया अध्याय जोड़ा जा सकेगा।
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विदित हो कि सेफी प्रारंभ से ही सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण का विरोध करता आ रहा है तथा राष्ट्रहित में इन उपक्रमों का रणनीतिक विलय करने की मांग करता रहा है। सेफी इस भागीरथी प्रयास में राष्ट्रहित में चिंतन मनन करने वाले सभी जनप्रतिनिधियों को इस मेगा मर्जर हेतु अवगत करा चुका है।
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सेफी का यह प्रस्ताव इस्पात मंत्रालय एवं वित्त मंत्रालय को भी दिया जा चुका है एवं इस विषय पर सेफी जनवरी में माननीय इस्पात एवं भारी उद्योग मंत्री श्री एच. डी. कुमारस्वामी एवं माननीय इस्पात एवं भारी उद्योग राज्यमंत्री श्री भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा से चर्चा कर अपने प्रस्ताव से अवगत करा चुका है।
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इस रणनीतिक विलय से दशकों के मेहनत से बनी इन राष्ट्रीय संपत्तियों को राष्ट्रहित में अक्षुण रखा जा सकेगा। सेफी ने आग्रह किया है कि विनिवेश किए जाने वाले उपक्रमों की क्षमताओं पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाए तथा उनकी आवश्यकताओं का निपुर्णतापूर्वक समायोजन कर इसे लाभप्रद रणनीति बनाई जा सकती है और इस संयंत्र को विनिवेश से बचाया जा सकता है।
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विदित हो कि इस्पात मंत्रालय के निर्देशानुसार सेल जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की महारत्न कंपनी को जब क्षमता विस्तार का लक्ष्य दिया गया है। इस विस्तार में सेल के द्वारा एक लाख दस हजार करोड रुपए की राशि का निवेश वित्त वर्ष 2030-31 तक किया जाना है।
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सेफी का यह मानना है कि भारत सरकार के द्वारा एक ओर क्षमता विस्तार के प्रयास किये जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर निर्मित क्षमताओं का निजीकरण का प्रयास जारी है। यदि सेल के द्वारा विनिवेश के लिए प्रस्तुत सार्वजनिक उपक्रम नगरनार इस्पात संयंत्र का अधिग्रहण किया जाए तो सेल के द्वारा विस्तार का लक्ष्य भी न्यूनतम समय में प्राप्त कर लिया जाएगा।
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विदित हो कि नगरनार इस्पात संयंत्र (Nagarnar Steel Plant) के निर्माण में 24 हजार करोड़ रूपये का निवेश किया गया है। इसके संचालन हेतु तकनीकी मानव संसाधन की भारी कमी है। जिसके फलस्वरूप वर्तमान में इस अत्याधुनिक संयंत्र को चलाने हेतु सेल के सेवानिवृत्त अधिकारियों व सेवानिवृत्त कर्मचारियों की सेवाएं ली जा रही है। यह सर्व विदित है कि सेल को इस्पात निर्माण का 65 वर्षों से भी अधिक का दीर्घकालीक अनुभव है। इसके साथ ही सेल के पास तकनीकी मानव संसाधन की पर्याप्त उपलब्धता है।
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सार्वजनिक उपक्रमों को निजीकरण से बचाकर इन कार्मिकों के हितों की रक्षा की जा सकेगी, साथ ही बस्तर अंचल के सामाजिक दायित्व के निर्वहन को प्राथमिकता देते हुए इसका बेहतर संचालन किया जा सकता है।
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छत्तीसगढ़ अंचल में इस विलय से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से 50000 से अधिक रोजगार उत्पन्न होंगे। जिससे दुर्गम बस्तर अंचल भी विकास की मुख्य धारा में जुड़ जाएगा। बस्तर क्षेत्र में अधोसंरचना से ना केवल छत्तीसगढ़ अपितु समीपस्थ उड़ीसा व आंध्र प्रदेश भी लाभान्वित हो पाएंगे तथा अन्य विकसित शहरों के तर्ज पर नवीन इस्पात नगरी के रूप में नगरनार (जगदलपुर) स्थापित होगा।
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