सागौन और बाँस के प्लांटेशन में रुचि दिखा रहे किसान
मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना अंतर्गत प्लांटेशन को प्रोत्साहन देने के निर्णय से किसान इस ओर दिखा रहे रुचि
कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा की
दुर्ग। सागौन और बांस के प्लांटेशन की व्यावसायिक संभावनाओं को देखते हुए किसान पहले भी इस ओर रुचि ले रहे थे, मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना के आने के बाद इसे क्रियान्वित करने को लेकर किसानों का उत्साह और बढ़ गया है। कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने आज मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा की। बैठक में डीएफओ श्री धम्मशील गणवीर एवं जिला पंचायत सीईओ श्री सच्चिदानंद आलोक ने विस्तार से इस संबंध में प्रगति की जानकारी दी। श्री गणवीर ने बताया कि किसान सागौन और बाँस के प्लांटेशन में रुचि दिखा रहे हैं। तीन वर्षों तक मिलने वाली प्रोत्साहन राशि से किसान काफी उत्साहित हैं। हमारे अधिकारी उन्हें बता रहे हैं कि किस तरह से प्लांटेशन उनके लिए बड़े आर्थिक लाभ का स्रोत हो सकता है। बैठक में लीड बैंक आफिसर भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि इस दिशा में आगे बढ़ने वाले लोगों के लिए बैंकिंग की पूरी सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
बता रहे बांस का आर्थिक गणित-
श्री गणवीर ने बताया कि वन विभाग का अमला किसानों को बांस एवं सागौन की आर्थिक संभावनाओं के बारे में बता रहा है। यह प्लांटेशन पहले से ही आर्थिक संभावनाओं से भरा था लेकिन जैसाकि बांस के क्षेत्र में है। इको टूरिज्म को तेजी से बढ़ावा दिये जाने की वजह से बांस की मांग में तेजी आई है और इसके दाम भी अच्छे मिल रहे हैं। दूसरी वजह यह है कि बांस में क्राफ्ट के क्षेत्र में भी अच्छा काम हो रहा है। इस क्षेत्र में डिजाइनर कंपनियाँ काम कर रही हैं और बांस के खूबसूरत उत्पाद ड्राइंग रूम में सज रहे हैं। हम उन्हें इसकी आर्थिक संभावना और बाजार के बारे में बता रहे हैं। चूँकि बांस का पौधा तेजी से बढ़ता भी है अतः इसकी बढ़त के लिए लंबे समय तक इंतजार भी नहीं करना पड़ता। चूँकि इस योजना के अंतर्गत हर साल दस हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि मिलेगी अतः इससे भी किसानों को इस दिशा में बढ़ने में मदद मिलेगी।
ग्राम पंचायतों ने भी दिखाई रुचि-
जिला पंचायत सीईओ श्री सच्चिदानंद आलोक ने बताया कि इस क्षेत्र में ग्राम पंचायतों ने भी रुचि दिखाई है। किसान दलहन तिलहन फसलों के साथ ही कुछ रकबे में प्लांटेशन करने की इच्छा भी दिखा रहे हैं। ग्रामीण अमले के अधिकारी किसानों को यह बता रहे हैं कि खेती से आर्थिक संभावनाएँ हासिल करने के लिए वैविध्य जरूरी है। बड़े किसानों को यह कहा जा रहा है कि कुछ क्षेत्रों में दलहन-तिलहन की फसल लें और कुछ क्षेत्रों में प्लांटेशन करें तो अच्छे आर्थिक नतीजे हासिल होंगे।
पेड़ काटने की प्रक्रिया होगी आसान-
इस योजना के अंतर्गत प्लांटेशन करने वाले किसानों के लिए पेड़ काटने की प्रक्रिया आसान रहेगी। इसकी वजह से उनके लिए प्लांटेशन की व्यावसायिक संभावनाओं का दोहन करना आसान होगा।
क्या खास हैं मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना में-
किसानों को अपने खेतों में वृक्षारोपण के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण करने के साथ आर्थिक लाभ हेतु छत्तीसगढ़ शासन द्वारा मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना प्रारंभ की गई है। खरीफ वर्ष 2020-21 में धान की फसल लेने वाले किसानों द्वारा धान की फसल के बदले वृक्षारोपण करने पर उन्हें आगामी 3 वर्षों तक दस हजार प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि प्रदान राशि का प्रावधान। कृषकांे द्वारा स्वयं रोपित वृक्षों के परिवहन को परिवहन अनुज्ञा के अनिवार्यता से नियमानुसार मुक्त किए जाने का प्रावधान है। अब निजी क्षेत्र में पूर्व से खड़े वृक्ष तथा रोपित वृक्षों के लिए कटाई की अनुमति का प्रावधान और अधिक सरल तथा सुगम होगा। इस योजना की अधिक जानकारी हेतु इन नंबरों से संपर्क करें। दुर्ग और धमधा के लिए 9893009280 से संपर्क करें। । बेमेतरा और साजा के लिए 9893264711 से संपर्क किया जा सकता है। वन मण्डल कार्यालय के लिए से संपर्क 07882327531 है।
16 जून से 15 अगस्त तक मतस्याखेट निषिद्ध
दुर्ग। वर्षा ऋतु में मछलियों की वंश वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, उन्हे संरक्षण देने के लिए राज्य में छत्तीसगढ़ नदीय मत्स्योद्योग अधिनियम के अंतर्गत दिनांक 16 जून 2021 से 15 अगस्त 2021 तक की अवधि को क्लोज सीजन घोषित किया गया है। अतः जिले में समस्त नदियों-नालों और सहायक नदियों में जिन पर सिंचाई के जलाशय जो निर्मित किया गया है, केज कल्चर के अतिरिक्त सभी प्रकार का मतस्याखेट पूर्णतः निषिद्ध रहेगा।
इन नियमों का उल्घंन करने पर एक वर्ष का कारावास अथवा दस हजार रूपये का जुर्माना या दोनों एक साथ होने का प्रावधान है। यह नियम केवल छोटे तालाब या अन्य जल स्त्रोत जिनका संबंध किसी नदी नाले से नहीं है, इसके अतिरिक्त जलाशयों में किये जा रहे केज कल्चर में यह नियम लागू नहीं होगें।