भाजपा नेता धान भीगने को लेकर घड़ियाली आंसू बहाने के बजाये 60 लाख मीट्रिक टन चांवल की अनुमति दिलाये
आर.पी. सिंह ने कहा है कि भाजपा के नेता धान भीगने में के मामले में घड़ियाली आंसू बहाने के बजाये मोदी सरकार से वादानुसार 60 लाख मीट्रिक टन चांवल लेने की अनुमति दिलाये। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार देश की पहली सरकार है जो अपने किसानों को धान का 2500 रू. प्रति क्विंटल दे रही है। छत्तीसगढ़ में धान का बंपर पैदावार हो रही है। किसानों में धान उत्पादन करने उत्साह है। बीते दो साल में धान पैदा करने वाले किसानों की संख्या में 4 लाख की वृद्धि हुयी है। मोदी सरकार के वादाखिलाफी के चलते छत्तीसगढ़ के धान खरीदी केन्द्रों में धान का उठाव नहीं हो पाया है। बीते 15 साल के भाजपा शासनकाल में मंडीयो में किसानों के धान भींगते रहे एवं धान भीगने का नुकसान किसानों को होता रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार के दौरान किसानों को धान बेचने या धान भीगने से होने वाले नुकसान से राहत मिला है।
उन्होंने ने कहा है कि डॉ. रमन सिंह और भाजपा अपना कार्यकाल याद करे जब पूरे प्रदेश में किसानों के धान भींगते रहे और किसानों को नुकसान होता रहा। रमन शासनकाल में किसानों को धान बेचने के आंदोलन करने पड़ते थे। 7 लाख 28 हज़ार मैट्रिक टन धान का उठाव नहीं हुआ था. जब किसानों ने अपने अन्न के लिए आंदोलन की चेतावनी दी तो क्रूर रमन सरकार ने उन्हें अलोकतांत्रिक तरीके से दबाने की कोशिश की. स्वयं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह जी के गृह ज़िले राजनांदगांव में कोरोड़ों का धान सड़ गया लेकिन भाजपा वाले सत्ता के नशे में मदमस्त थे। प्रदेश के बिलासपुर ज़िले के संग्रहण केंद्र में 2012 – 2013 से वर्ष 2014 – 2015 तक 4 लाख 50 हज़ार क्विंटल धान संग्रहण केंद्र में रखे सड़ गया. रमन राज में अरबों का धान खुले आकाश के निचे सड़ने को छोड़ दिया गया, किसानों के साथ वादाखिलाफी की जाती थी, अचानक सबकुछ भूल कैसे गए हमारी भाजपा के साथीगण।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली में 36,000 करोड़ रुपये का घोटाला करने वाली भाजपा सरकार आखिर कब से किसान हितैषी हो गई? 2015 में जब यह छापेमारी की कार्रवाई हुई, तो डायरी में ‘सीएम मैडम’ का जिक्र था. भाजपा और रमन सिंह बताये कि अगर किसानों के अन्न कि इतनी चिंता है तो नान घोटाला को अंजाम क्यों दिया गया? क्यों गरीब के हिस्से का कोरोड़ों का अन्न दबा गए डॉ रमन? केंद्र की गलत नीतियों के कारण प्रदेश के किसानों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। एफसीएल के गोदामों को प्रदेश की जरुरत के अनुसार उपलब्ध नहीं कराया जाता है।