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राष्ट्र के सतत विकास में अभियंताओं की भूमिका, 64 तकनीकी पेपर पेश

  • उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि मिथिलेश कुमार देशमुख, पूर्व निदेशक (तकनीकी), मेकॉन, रांची थे।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) के भिलाई केंद्र द्वारा जीनियर भवन सिविक सेंटर भिलाई में राज्य स्तरीय तकनीकी पेपर प्रस्तुतीकरण का आयोजन किया गया। इस प्रस्तुतीकरण का विषय था “राष्ट्र के सतत विकास में अभियंताओं की भूमिका”।

इस आयोजन में पूरे प्रदेश से 64 तकनीकी पेपर प्रस्तुति हेतु प्राप्त हुए। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि मिथिलेश कुमार देशमुख, पूर्व निदेशक (तकनीकी), मेकॉन, रांची थे एवं विशिष्ट अतिथि प्रणय कुमार, मुख्य महाप्रबंधक सेट, सेल भिलाई थे।

अपने सारगर्भित उद्बोधन में एमके देशमुख ने कहा कि आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री ने अभियंताओं को राष्ट्र निर्माता की उपाधि दी थी । उन्होंने कहा कि आज 75 वर्ष पश्चात हमारे देश ने जो प्रगति हासिल की है उसमें वैज्ञानिको और अभियंताओं का बहुत बड़ा योगदान है।

उन्होंने कहा कि हमारे देश के नई पीढ़ी के अभियंता न केवल देश में अपितु पूरे विश्व में अपनी प्रतिभा और ज्ञान का लोहा मनवा रहे हैं। श्री देशमुख ने कहा कि सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग आदि में अभियंताओं की नई पीढ़ी ने महारत हासिल की है। उन्होंने श्री रामचरितमानस के चौपाई छिति जल पावक गगन समीरा को उद्धृत करते हुए कहा कि जीवन की व्यवस्था इन पांच तत्वों पृथ्वी, आकाश, जल, हवा और अग्नि के संतुलन से बनी हुई है।

श्री देशमुख ने कहा कि यदि हम माइनिंग कर रहे हैं और तत्पश्चात उसे गड्ढे को वापस रिक्लेम कर उसके ऊपर पेड़ नहीं लगाते तो यह प्रकृति का एक असंतुलन है। उन्होंने कहा कि पहले सामान्यत: नदियों में पानी रहता था पर आज वर्षा के मौसम को छोड़ दे तो नदियाँ प्रायः सूखी रहती है। उन्होंने छात्रों से आवाहन किया कि हमें विकास के साथ प्रकृति का संतुलन बनाए रखना है।

विशिष्ट अतिथि प्रणय कुमार, मुख्य महाप्रबंधक ने कहा कि राष्ट्र का विकास एक विस्तृत विषय है जिसमें की मुख्य रूप से आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास समावेशित है । उन्होंने कहा कि जी डी पी की बढ़त, अधोसंरचना विकास, जीवन की गुणवत्ता में सुधार, सामाजिक विकास, स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी, गरीबी दर कम होना राष्ट्रीय विकास के महत्वपूर्ण कारक हैं।

प्रणय कुमार ने कहा कि राष्ट्र के विकास में इंजीनियरिंग की सभी ब्रांच को यह लक्ष्य रखना होगा कि हम कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में पूरे समर्पित भाव से काम करें , तभी हम आने वाली पीढियां को एक बेहतर कल दे पाएंगे।

उन्होंने कहा कि हर इंजीनियरिंग छात्र को कोर इंजीनियरिंग ब्रांच जैसे सिविल, मैकेनिकल , इलेक्ट्रिकल, कंप्यूटर साइंस आदि के बुनियादी सिद्धांतों का अच्छे से अध्ययन करना चाहिए जिससे उनके भविष्य के व्यावसायिक जीवन में बेहतर सफलता मिलेगी और समाज की बेहतरी के लिए सकारात्मक योगदान दे पायेंगे। प्रणय कुमार ने छात्रों को सलाह दी कि न केवल कोर इंजीनियरिंग बल्कि सभी ब्रांच के अभियंताओं को फील्ड में जाकर जमीनी स्थिति से भी अवगत रहना चाहिए जिससे उन्हें अपने कार्य को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण बनाए रखने में मदद मिलेगी।

संगोष्ठी के समापन सत्र में विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉक्टर संजय कुमार, चेयरमैन द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया), छत्तीसगढ़ राज्य केंद्र एवं विभागाध्यक्ष कंप्यूटर साइंस एवं आईटी, रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर, डॉक्टर प्रदीप कुमार घोष उप कुलपति, सी वी रमन विश्वविद्यालय, बिलासपुर एवं योगेश शास्त्री मुख्य महाप्रबंधक, बार एंड रोड मिल, भिलाई इस्पात संयंत्र उपस्थित थे।

डॉक्टर संजय कुमार ने अपने उद्बोधन में उपस्थित छात्रों से कहा कि आज के परिपेक्ष में अनुसंधान एवं विकास न केवल अकादमिक क्षेत्र की आवश्यकता है अपितु औद्योगिक और राष्ट्र के विकास प्रक्रिया के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आज इस आयोजन से छात्रों को एक मंच मिला है जिससे आगे बढ़कर उन्हें इस दिशा में अपने को तैयार करना है और उन्हें अपनी क्षमता को परिमार्जित कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी और देश की धाक जमाना है।

डॉक्टर प्रदीप घोष ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि छात्रों को सलाह दी कि वो जो भी प्रस्तुत करें वह उनका मूल कार्य हो क्योंकि जब कोई भी कार्य प्रस्तुति कर दिया जाता है तो इसकी पूरी जवाबदारी प्रस्तुतिकर्ता की हो जाती है और गलत सही के जवाबदेह वह स्वयं हो जाते हैं।

उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि वह समूह में पेपर लिखने का कार्य करें जिसमें ज्ञान का बेहतर आदत प्रदान होता है। योगेश शास्त्री ने कहा कि पर्यावरण के असंतुलन से जीडीपी के विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। उन्होंने अध्ययनरत युवा अभियंताओं से जीवन में पांच नियमों का अनुपालन करने को कहा जो कि नियत, नियम, न्याय, निर्माण और नीति। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग में हम इन पांच सिद्धांतों का पालन करके ही राष्ट्र का सतत विकास कर सकते हैं।

संस्था के सचिव बसंत साहू ने सभी उपस्थित छात्रों को द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) के इतिहास और उनकी गतिविधियों के बारे में जानकारी साझा की। इस तकनीकी प्रस्तुतीकरण के निर्णायक के रूप में मिथिलेश कुमार देशमुख, शिखर तिवारी एवं डीपी मिश्र मौजूद थे। उपरोक्त प्रस्तुतीकरण में प्रथम पुरस्कार शंकराचार्य तकनीकी कैंपस भिलाई के नेश सोनी, प्रखर सिंह एवं सुहासिनी को मिला, द्वितीय पुरूस्कार शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय रायपुर से उत्तम कुमार साहू, दीप लख्वानी, दीपिका कुम्भकार, जिज्ञासा धनकर को मिला, तृतीय पुरूस्कार बी आई टी दुर्ग से डा अभिषेक वर्मा, अनुपम अग्रवाल, हर्षिता गिरी, रुद्राक्ष पाठक, आदित्य शर्मा को मिला।

सांत्वना पुरस्कार शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय रायपुर से अर्श खान, हर्षवर्धन कौशिक, पूजा साहू , बीआईटी दुर्ग से डा मोनिका वर्मा, अशोक कुमार बेहरा, अमन गुप्ता, आदित्य चौहान, अर्जुन कुशवाहा, श्रेष्ठ वर्मा, सुहानी अग्रवाल, यशश्वी साहू, नागेश्वर चौहान, मोहम्मद लईक सीएसआईटी दुर्ग से डा रवि मिश्र, चंद्र शेखर साहू, दामिनी उमरे को मिला।

आभार प्रदर्शन डॉक्टर शीना शेखर एवं डॉ नागेंद्र त्रिपाठी ने किया। कार्यक्रम का मार्गदर्शन हिना मिश्रा के मार्गदर्शन में हुआ और संचालन श्रृष्टि ने किया। बैंक ऑफ़ बड़ोदा क्षेत्रीय कार्यालय भिलाई ने कार्यक्रम आयोजित करने में अपना सहयोग प्रदान किया।

इस अवसर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के अधिष्ठाता डॉ विनय पांडे, शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय रायपुर से प्रोफेसर श्वेता चौबे, द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) के भिलाई केंद्र के अध्यक्ष पुनित चौबे, ई सी सदस्य विनोद श्रीवास्तव, श्री डी के साहू, अरविन्द रस्तोगी, सेट सेल भिलाई के महाप्रबंधक सौरभ राजा, महाप्रबंधक (उपयोगिता) चैतन्य वेंकटेश्वर , संस्था के सदस्य इंजीनियरिंग महाविद्यालय के संकाय सदस्य और राज्य के इंजीनियरिंग एवं पॉलिटेक्निक कॉलेज के छात्र छात्रा उपस्थित थे।

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