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Bokaro Steel Plant में आंदोलन का असर: अगर गैस रिसाव हुआ तो कार्मिक संग आंदोलनकारी भी आएंगे लपेटे में, फंसे 5000 भूखे-प्यासे

  • बोकारो आफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एके सिंह का कहना है कि आंदोलनकारी समझदारी दिखाएं।

सूचनाजी न्यूज, बोकारो। बोकारो स्टील प्लांट (Bokaro Steel plant) की स्थिति भयावह हो गई है। करीब 5 हजार से ज्यादा कर्मचारी और अधिकारी अंदर फंसे हुए हैं। परिवार में कोहराम मचा हुआ है। गुरुवार को जो ड्यूटी पर पहुंचे, वह अब तक प्लांट के अंदर ही हैं। प्लांट के अंदर आवश्यक सेवाओं का पहुंचना काफी जरूरी है। अन्यथा गैस लाइन बाधित हो जाएगी। गैस रिसाव हुआ तो कर्मचारी-अधिकारी के साथ विस्थापित भी लपेटे में आ जाएंगे। आंदोलनकारी के परिवार वाले भी बच नहीं पाएंगे।

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बोकारो आफिसर्स एसोसिएशन (Bokaro Officers Association) के अध्यक्ष एके सिंह का कहना है कि आंदोलनकारी समझदारी दिखाएं। जिस प्लांट में नौकरी की मांग कर रहे हैं, अगर वही प्लांट नहीं बचेगा तो कहां नौकरी करेंगे। फिलहाल, एक गेट को खोलकर आवश्यक सेवा के तहत जरूरी सामान अंदर जाने दें। 5 हजार से ज्यादा कर्मचारी और अधिकारी अंदर फंसे हैं। ऐसे में भोजन का हक भी आंदोलनकारी न छिनें।

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बोकारो स्टील प्लांट प्रबंधन (Bokaro STeel Plant Management) का कहना है कि बीएसएल एक थर्मो सेंसिटिव प्लांट है, जिसके अंदर संवेदनशील गैस पाइपलाइन का नेटवर्क है। इसे 24 घंटे कड़े सेफ्टी प्रोटोकॉल में रखा जाता है, ताकि गैस पाइपलाइन नेटवर्क सुरक्षित रहे। बोकारो इस्पात संयंत्र (Bokaro Steel Plant) के सभी गेट जाम कर दिये जाने की वजह से लगभग 5000 लोग प्लांट में 24 घंटे से अधिक समय से भूखे-प्यासे अंदर फंसे हैं।

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ऐसी स्थिति में प्लांट के सभी ब्लास्ट फर्नेस के साथ-साथ अन्य प्रमुख उत्पादन इकाइयां जैसे कोक ओवन, सिंटर प्लांट, एसएमएस, हॉट स्ट्रिप मिल भी कल रात से ही पूरी तरह से बंद हो गए हैं। गौरतलब है कि प्रमुख उत्पादन इकाइयों के बंद होने से संवेदनशील गैस पाइपलाइन के सेफ्टी प्रोटोकॉल को कायम रखने में भी कठिनाई आ रही है।

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हालांकि भूखे-प्यासे और रात भर जगे होने के बावजूद कर्मी अभी तक यथासंभव सेफ्टी प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित कर रहे है, पर यदि यही स्थिति आगे भी बनी रहती है तो सेफ्टी प्रोटोकॉल का पालन करना मुश्किल हो जाएगा, जिससे प्लांट और शहर की सेफ्टी पर गंभीर खतरा उत्पन्न होने की आशंका है।

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