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ऋतंभरा साहित्य समिति की गोष्ठी सम्पन्न

मुरारीलाल साव, महेश वर्मा, आर. डी. राव, चिंतामणि साहू, रियाजखान गौहर सम्मानित

       दुर्ग। ऋतंभरा साहित्य समिति की गोष्ठी प्रेस क्लब भवन कुम्हारी में सम्पन्न हुई. मुख्य अतिथि जितेन्द्र कुशवाहा, मुख्य नगरपालिका अधिकारी ने दीप प्रज्ज्वलित कर गोष्ठी का शुभारंभ किया. उन्होंने साहित्यिक योगदान के लिए सम्मानित किए गए पांचों विभूतियों को शुभकामनाएँ दी.

       गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए ऋतंभरा साहित्य समिति के अध्यक्ष नारायण वर्मा ने छत्तीसगढ़ी कविता के माध्यम से कोरोना काल में संवेदनाओं को बचाए रखने का संदेश दिया.

       समिति के सचिव सुरेश वाहने ने सम्मानित रचनाकारों की साहित्यिक उपलब्धियों का परिचय दिया. ऋतंभरा साहित्य समिति के पूर्व अध्यक्ष मुरारीलाल साव के संपादन में संस्था के द्वारा पहला काव्य संग्रह “समवेत स्वर” निकाला गया था. इसमें समिति के रचनाकारों की प्रतिनिधि कविताएँ संग्रहित की गई थी.

       बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी “लोकमया” छत्तीसगढ़ी लोक कला मंच के संस्थापक अध्यक्ष महेश वर्मा ने रंगकर्म, पटकथा लेखन, दूरदर्शन में संचालन, फिल्मों में अभिनय व छत्तीसगढ़ी गीत सृजन में उल्लेखनीय भूमिका का निर्वहन किया है.

       बेहतरीन आवाज के मालिक आर. डी. राव न केवल कवि हैं, बल्कि दिनेश दीक्षित के निर्देशन में अनेक अखिल भारतीय नाट्य स्पर्धाओं में अपने अभिनय का लोहा मनवाया है. उन्हें विशेष ख्याति “इंस्पेक्टर मातादीन चांद पर” नाटक में इंस्पेक्टर की भूमिका में मिली थी.

       सेवानिवृत्त शिक्षक व चिंतामणि साहू “अध्यात्म शोधक” ने “रामरस” सहित अनेक किताबें लिखी हैं. “तेरी ऐसी की तैसी” हास्य रचना से उन्हें हास्य कवि के रूप में पहचान मिली.

       शायर हाजी रियाजखान गौहर लंबे अरसे से ग़ज़ल को विधा का माध्यम बनाकर साहित्य को लगातार उर्वर बनाते आ रहे हैं.

       समिति की ओर से पांचों विभूतियों को शाल, श्रीफल व स्मृति चिह्न भेंट देकर सम्मानित किया गया.

       विक्रमशाह ठाकुर ने रचनाओं पर कार्यशाला आयोजित किए जाने पर बल दिया. उन्होंने अपनी कविता से मंच को उंचाई दी.

       यशवंत “यश” सूर्यवंशी ने छंदबद्ध रचना का पाठ किया. सूर्यप्रकाश सिंह कुशवाहा ने अपनी कविता में किसानों के आक्रोश का उल्लेख किया. ओमवीर करण ने ओजस्वी स्वर में कविता प्रस्तुत कर ध्यान आकृष्ट किया. डा. नौशाद अहमद सिद्दीकी ने हज़ल सुनाकर माहौल खुशनुमा बनाया. महेश वर्मा ने “जागे-जागे सुतबे संगवारी” सामयिक छत्तीसगढ़ी कविता का पाठ किया.

       नरेश विश्वकर्मा के संचालन में उपस्थित अन्य सभी कवियों ने अपनी अपनी रचनाओं का पाठ किया. गोष्ठी में मुख्य रूप से हेमलाल साहू “निर्मोही”, निश्चय वाजपेयी, रामाधार शर्मा, कामता प्रसाद दिवाकर, रवीन्द्र कुमार थापा, जगन्नाथ निषाद, बिसरूराम कुर्रे, हरेन्द्र राठौर, प्रियर्शन देव बर्मन, मौजी प्रसाद बर्रे आदि कविगण उपस्थित थे.

       गोष्ठी के समापन पर पूर्व अध्यक्ष आर. सी. मुदलियार, पत्रकार चन्द्रशेखर साहू, एन. बी. थापा व अन्य दिवंगत आत्मीयजनों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

– सुरेश वाहने

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