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रमन सिंह और भाजपा न्याय योजनाओं को लेकर भ्रम फैलाने और गुमराह करना बंद करें
रायपुर। कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि किसानों पशुपालकों और मजदूरों से 2 रू. किलों में गोबर खरीदने की छत्तीसगढ़ सरकार की अद्भुत सफल एवं जनहितकारी योजना को लेकर भ्रम फैलाने और गुमराह करने का कड़ा प्रतिवाद किया है। दरअसल रमन सिंह को खेती, किसानी, गांव, गरीबों की समझ ही नहीं है।
वे गोबर और वर्मी कम्पोस्ट में अंतर ही नहीं समझ पा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में देश में सबसे अच्छा वर्मी कम्पोस्ट किसानों को दिया जा रहा है। वर्मी कम्पोस्ट के बारे में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का बयान गोपालक गौठान समूह में कार्यरत किसान मजदूर और महिला स्व-सहायता समूहों की मेहनत का अपमान है। रमन सिंह को न कभी गांव, गरीबों, मजदूरों, किसानों गौपालकों की चिंता रही है और नही वे छत्तीसगढ़ की संस्कृति, छत्तीसगढ़ की परंपरा, रीति रिवाज और खेती किसानी को समझते है। रमन सिंह को तो यह भी नहीं पता कि गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनता कैसे हैं? वर्मी कम्पोस्ट बनाने की प्रक्रिया क्या है? गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनने में क्या-क्या बदलाव होते हैं और यह वर्मी कम्पोस्ट खेतों में जाकर क्या काम करता है, अगर रमन सिंह जी में यह समझ होती तो वे वर्मी कम्पोस्ट के खिलाफ ऐसा गलत एवं तथ्यहीन बयान जारी नहीं करते।
शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ आर्गेनिक खेती की ओर बढ़ रहा है तो भाजपा और रमन सिंह को तकलीफ क्यों हो रही है? छत्तीसगढ़ में किसानों को बाध्य करने का काम रमन सिंह 15 साल के शासनकाल के समाप्त होते ही बंद हो चुका है। बल्कि वर्मी कंपोस्ट के लाभ को प्रचारित कर आर्गेनिक खेती के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। बाध्यता तो रमन सिंह के 15 साल के समय में थी जब कमीशनखोरी के चलते कभी नीम सोना की तो कभी नीम रत्न में जैसे उत्पादों के लिये बिना यूरिया और डीएपी किसानों को नहीं दिया जाता था। आज भूपेश बघेल सरकार में किसानों पर कोई दबाव नहीं। दरअसल पूंजीपतियों के समर्थक रमन सिंह और भाजपा गांव, गरीब, किसान और गौपालको की समृद्धि को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे है। भाजपा का मूल चरित्र ही किसान विरोधी है, गरीब विरोधी है। गोठान समिति के द्वारा दो रूपए किलो गोबर का भुगतान होता है और गोबर से वर्मी कम्पोस्ट गौठान समिति के सदस्यों के साथ मिलकर महिलाओं की स्व-सहायता समूह के 45 दिन के मेहनत भरी प्रक्रिया के बाद बनता है। प्रक्रिया के उपरांत 45 दिन बाद तैयार वर्मी कम्पोस्ट को फिर पैकिंग करके खेतों तक पहुंचाने की व्यवस्था गोठान समूह और स्व-सहायता समूह के द्वारा की जाती है। उसके बाद वर्मी कम्पोस्ट का 10 रूपये किलो मिलता है।
उन्होंने कहा है कि रमन सिंह के 15 साल के शासनकाल में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के चलते हार्टिकल्चर और फारेस्ट विभाग के सरकारी उपयोग के लिये वर्मी कम्पोस्ट बाहरी एजेंसियों से खरीदा जाता रहा। दलालों और बिचौलियों के माध्यम से बाहर की कंपनियों से खरीदी होती थी। स्थानीय मजदूर, किसान और गरीबों को न काम मिलता था न ही कोई लाभ। भाजपा के 15 साल के कुशासन में केवल कमीशनखोरी और घोटाले के षड़यंत्र ही रचे जाते रहे। रमन सरकार में 2014-15-16 में 9.87 रू. किलो में खरीदी जाती है और उसमें 50 प्रतिशत से अधिक मिट्टी के होने की शिकायतें मिली थी। घटिया अमानक वर्मी कम्पोस्ट किसानों को देने की यह शिकायतें सच भी पाई गयी थी और कई सप्लायर इसी कारण से रमन सिंह के राज में बैन भी किये गये थे।