पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने पेगासस मामले में मोदी सरकार को घेरा
रायपुर। देश में सरकार के मंत्री सहित विपक्षी नेताओं के मोबाइल फोन की बातचीत को इजराइली साफ्टवेयर के माध्यम से जासूसी किए जाने से हड़कंप मचा हुआ है। ज्ञात हो कि यह साफ्टवेयर सिर्फ सरकारों को बेचा जाता है, व्यक्तिगत नहीं। इस मामले को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष मोहन मरकाम ने संवाददाताओंं से चर्चा करते हुए सरकार को घेरा।
देश में संविधान और कानून, दोनों की हत्या मोदी सरकार द्वारा कैसे की जा रही है, प्रजातंत्र को पांव तले कैसे रौंदा जा रहा है, देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कैसे दबाया जा रहा है, उसकी व्याख्या लेकर आपके बीच में आए हैं।
# मोदी सरकार ने देशद्रोह किया है। मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ किया है। श्री राहुल गांधी समेत देश के विपक्षी नेताओं, देश के सम्मानित अलग-अलग मीडिया संगठनों के पत्रकारों और संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की जासूसी करवाई है। भारतीय जनता पार्टी का नाम बदल कर अब भारतीय जासूसी पार्टी रख देना चाहिए। देश के लोग अब कह रहे हैं -‘अबकी बार देशद्रोही जासूस सरकार’।
जिस प्रकार से अब सार्वजनिक पटल पर, समाचार पत्रों और पोर्टल की खबरों से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सामने आया है, मोदी सरकार इजरायली स्पाइवेयर पेगासस के माध्यम से देश के सम्मानित न्यायाधीशों की, संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों की, अपने ही मंत्रिमंडल के मंत्रियों की, विपक्ष के सम्मानित नेताओं की, पत्रकारों, वकीलों, ह्यूमन राइट्स, एक्टिविस्ट की, जासूसी करवा रही है।
# ऐसा लगता है कि मोदी सरकार ने स्वयं देश के संविधान पर हमला बोल रखा हो। कानून के शासन पर हमला बोल रखा हो। मौलिक अधिकारों पर हमला बोल रखा हो और संविधान की शपथ जो ली थी सरकार ने, उस शपथ को भी दबा कर उस पर भी हमला बोल रखा हो। मोदी सरकार खुद ही इजरायली जासूसी उपकरण पेगासस के माध्यम से ये नृशंस कार्य कर रही है और ये तो एक सैंपल है।
# पेगासस सॉफ्टवेयर करता क्या है – ये किसी के भी मोबाईल में उसकी मर्जी के बगैर उसे हैक करके उस मोबाईल के कैमरा को हैक कर लेता है। उस सेलफोन के माइक्रोफोन को हैक कर लेता है। उसके सारे पासवर्ड, कॉन्टैक्ट लिस्ट को हैक कर लेता है और जो बात आप मोबाईल पर करते हैं या मोबाईल बंद भी हो, सभी जानकारियां जो कैमरा या माइक्रो फोन के माध्यम से सुनी जा सकती है, जो कि गैरकानूनी है यानी आपके मोबाईल की नाजायज तरीके से इस पेगासस सॉफ्टवेयर के माध्यम से एक्सेस जा सकती है।
देशवासियों, आपमें से किसी के मोबाईल के अंदर भी नाजायज तौर से ये इजरायली सॉफ्टवेयर पेगासस मोदी सरकार डाल सकती है। आपकी बेटी, आपकी पत्नी के मोबाईल के अंदर ये डाल सकती है। आप अगर बाथरुम में फोन लेकर जा रहे हैं, अपने कमरे के अंदर शयनकक्ष में आपके फोन है, तो आप क्या वार्तालाप क्या कर रहे हैं, आपकी बेटी, आपकी पत्नी, आपका परिवार क्या वार्तालाप कर रहा है, अब वो सब मोदी सरकार सुन सकती है, जिसके फोन के अंदर भी पेगासस का सॉफ्टवेयर डाल दिया जाए। ये इसका परिणाम है। अगर ये देशद्रोह नहीं, अगर ये राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ नहीं, तो क्या है?
और न्यूज रिपोर्ट तो अब ये भी कह रही हैं कि केवल पत्रकारों, विपक्ष के नेता और खुद के मंत्रियों के नहीं, देश की सुरक्षा एजेंसियों के जो हैड हैं, जो हमारी सुरक्षा करते हैं, जो देश की सीमाओं की सुरक्षा करते हैं, मोदी सरकार उनकी भी जासूसी कर रही थी। अरे, किसी को तो बख्श दिया होता।
राहुल गांधी जी की भी जासूसी और खुद के मंत्रियों की भी जासूसी। आप जो कैमरे के आगे और पीछे हैं, आपकी भी जासूसी और देश की रक्षा करने वाले हमारे सिक्योरिटी फोर्सेस के हैड की भी जासूसी। क्या किसी सरकार ने इससे ज्यादा शर्मनाक कुकृत्य कभी किया होगा? और इसके सबूत अब हैं और देश में जो चुनाव आयुक्त हैं, जो भारत के इलेक्शन कमिश्नर थे, अशोक लवासा जी, उनकी भी जासूसी।
मीडिया ऑर्गेनाइजेशन की भी जासूसी। जिनके नाम अब तक सामने आए हैं और अभी बहुत से नाम सामने आयेंगे। हिंदू अखबार, इंडियन एक्सप्रेस अखबार, हिंदुस्तान टाइम्स अखबार, दी वायर न्यूज एजेंसी, दी मिंट अखबार, टीवी 18 इंडिया, इंडिया टूडे, इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली, पायनियर, न्यूज क्लिक, ट्रिब्यून, आउटलुक, डीएनए, फ्रंटियर टीवी, रोजाना पहरेदार और पता नहीं कौन-कौन। इन सबकी जासूसी।
# इसलिए तो अब बीजेपी भारतीय जासूसी पार्टी बन गई है और जासूसी के तो वो पुराने इस मामले में करवाते ही रहे हैं। और दोस्तों, ये जासूसी आज से नहीं चल रही है, ये पिछले लोकसभा चुनाव से भी पीछे से चल रही है और इसका सबूत उपलब्ध है। आज मैं वो सबूत आपसे फिर साझा करने लगा हूं।
अगर आप इस जासूसी को देखें तो CERT-In जो भारत सरकार की एजेंसी है, ये रिपोर्ट अब अवेलेबल नहीं है, ये उतार ली गई है। मैं इसकी प्रतिलिपि आपको भेज रहा हूं। ये CERT-In ने रिपोर्ट दी थी कि वाट्सअप के माध्यम से पेगासस इजरायली सॉफ्टवेयर से टेलीफोन को हैक करके सीधे-सीधे जासूसी चल रही है। ये मैं नहीं कह रहा, ये भारत सरकार की जो एजेंसी है, उन्होंने लिखकर रिपोर्ट दी है। और इसमें उन्होंने बाकायदा लिखा, original issue date is 17th May, 2019 “A vulnerability has been reported in WhatsApp which could be exploited by a remote attacker to execute arbitrary code on the affected system”- और ये बाकायदा ट्रेकर न्यूज और सब कुछ इसके अंदर दिया है।
अब साथियों, सवाल ये है कि ये पेगासस है क्या, ये एक इजरायली कंपनी है एनएसओ और ये कहते हैं कि हम ये सॉफ्टवेयर केवल और केवल सरकार को ही बेचते हैं और किसी को नहीं। कोई कह सकता है कि भैया, ये तो सरकार, मोदी जी ने तो खरीदा नहीं होगा, तो मैं इसलिए उनकी वेबसाइट की प्रतिलिपि भी आपको रिलीज कर रहा है। ये पेगासस एनएसओ की वेबसाइट है और उन्होंने साफ तौर से ये कहा कि (9.49)“NSO products are used exclusively by Government intelligence and law enforcement agencies to fight crime and terror”- मोदी जी, राहुल गांधी जी के फोन की जासूसी करवा कर आप कौन सा क्राइम और टैरर से लड़ाई लड़ रहे थे? हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस, टीवी 18, इंडिया टूडे, फ्रंटियर टीवी, वायर, न्यूज क्लिक इनकी जासूसी करवाकर आप कौन से टेररिस्ट से लड़ रहे थे? आप हिंदुस्तान के इलेक्शन कमिश्नर की जासूसी करवा कर कौन से उग्रवादी से लड़ रहे थे? आप एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म के जगदीप छोकर (Jagdeep Chhokar) साहब की जासूसी करवा कौन से उग्रवादी से लड़ रहे थे? और अब सामने आएगा, अपने खुद के कैबिनेट मंत्रियों की जासूसी करवा कर कौन से उग्रवादियों से लड़ रहे थे और संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों और शायद जजेस की जासूसी करवा कर, क्या ये उग्रवादी और आतंकी हैं? और राहुल गांधी जी के स्टॉफ की जासूसी करवा कर, अब 5 लोगों के, उनके स्टॉफ के भी नाम सामने आए हैं।
तो आप कौन से उग्रवादी से लड़ रहे थे, क्योंकि ये पेगासस का सॉफ्टवेयर तो केवल आपको बेचा गया, सरकार को बेचा गया और आपने खरीदा? और तीसरा हिस्सा, साथियों मंक स्कूल ऑफ यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो ने, जिनके पास सिटीजन लैब है, बाकायदा इस पेगासस सॉफ्टवेयर और हिंदुस्तान पर अटैक की जांच करवाई और उन्होंने जून, 2017 में ये पाया।
ये मैं उनकी रिपोर्ट की कॉपी आपको रिलीज भी कर रहा हूं और लगा भी रहा हूं कि हिंदुस्तान के राजनीतिक व्यक्तियों, हो सकता है उनमें खरगे साहब का फोन भी हैं, अधीर रंजन चौधरी साहब का भी हो, ममता जी का भी हो, लालू जी का भी हो, अखिलेश जी का भी, दूसरे लोगों का भी हो। उन सबको अटैक किया गया था, 2017 में, पेगासस सॉफ्टवेयर के माध्यम से। ये वो रिपोर्ट की कॉपी है, जो मैं आपको रिलीज कर रहा हूं।
और इतना ही नहीं साथियों, इस पेगासस सॉफ्टवेयर से इंटरनेट और ब्रॉडबैंड को भी इंफैक्ट कर दिया गया। यानी इस देश के लोग अपने टेलीफोन पर, यूट्यूब पर क्या देखते हैं, आपकी बेटी, आपकी पत्नी, आप स्वयं, आपका बेटा, ब्रॉड बैंड पर, यूट्यूब पर, टेलीफोन पर क्या देखते हैं, क्या सर्च करते हैं, उस पर भी मोदी सरकार नजर रख रही है। और जो-जो, ये मैं नहीं कह रहा हूं, ये भी सिटीजन लैब रिपोर्ट में आया और उन्होंने कहा कि जो-जो कंपनियां इन्फैक्ट की उन्होंने इंटरनेट की, वो है भारती एयरटेल लिमिटेड, महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड, खुद की सरकारी कंपनी को भी नहीं बख्शा।
नेशनल इंटरनेट बैकबोन, सब कुछ उसी पर चलता है, एनआईसी, कोर्ट की प्रोसिडिंग से लेकर, सरकार की सब कार्यवाही, हर डिपार्टमेंट की कार्यवाही एनआईसी पर चलेंगी। हैथवे (Hathway) केबल इंटरनेट, स्टार ब्रॉडबैंड सर्विसेस, एरिया कन्वर्जन टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड, ये कागज भी मैं आपको रिलीज कर रहा हूं।
# ये सब भी इन्फैक्ट हो गया और आज भी मोदी सरकार झूठ बोल रही है। आज भी आईटी मंत्री ने कह दिया, हमारा तो कोई लेना-देना ही नहीं। एनएसओ और पेगासस को तो हम जानते ही नहीं। उन्होंने तो बयान ही दे दिया।
शायद मंत्री जी अगर आप कांग्रेस के कॉलिंग अटेंशन में पुराने आईटी मिनिस्टर का 28 नवंबर, 2019 का जवाब पढ़ लेते, तो इतना झूठ संसद को ना बोलते। ये मैं इस देश के फॉर्मर आईटी मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद का संसद का जवाब दिखा रहा हूं आपको। जो कांग्रेस के कॉलिंग अटेंशन मोशन पर राज्यसभा में उन्होंने दिया और वहाँ उन्होंने तीन बातें मानी।
पहली बात कि 121 आदमियों के नाम उनके पास आए हैं हिंदुस्तान के, जिनके टेलीफोन को पेगासस इजरायली जासूसी यंत्र से हैक किया गया है। ये मैं नहीं कह रहा हूं, ये मैं आपको दिखा देता हूं। ये मंत्री जी ने मान लिया और संसद के पटल के ऊपर मान लिया कि 121 नाम तो उनके पास हैं। तो जब मिनिस्टर ये कह रहे हैं कि मेरे पास 121 नाम हैं, तो फिर आज आईटी मिनिस्टर ये क्या कह रहे हैं?
# दूसरा, उन्होंने ये माना कि एनएसओ को नोटिस दिया गया नवंबर, 2019 में। ये भी उन्होंने मान लिया। ये है अभी तक वॉट्सएप ने हमें 121 नाम दिए। ये देखिए ( एक लिस्ट दिखाते हुए श्री सुरजेवाला ने कहा) तो ये वो खुद ही मानते थे।
नवंबर, 2019 में भारत सरकार ने संसद के पटल पर माना और उसके बाद ये भी कहा कि हमने एनएसओ को नोटिस दिया है। मैं आपको वो लाइन पढ़कर बता देता हूं। श्री रविशंकर प्रसाद, हमने तो आपको पहले ही कहा था कि एनएसओ को भी नोटिस दिया है। तो भैया, उस नोटिस का क्या हुआ वैष्णव साहब? या आपको सरकार बता नहीं रही नए-नए आईटी मिनिस्टर बने हो।
# आप कह रहे हैं कि हमारा पेगासस के बारे में जानकारी नहीं, आपके मंत्री कह रहे हैं कि 121 नाम हैं, हमने तो नोटिस दिया है। अब कौन सा मंत्री झूठ बोल रहा है, पुराने वाला झूठ बोल रहा है या नए वाला झूठ बोल रहा है?
# इसलिए हमारे सीधे-सीधे 6 सवाल हैं और आदरणीय खरगे साहब और उसके बाद अधीर रंजन जी अपनी बात कहेंगे।
पहला, Is spying on India”s Security Forces, Judiciary, Cabinet Ministers] Opposition Leaders including Shri Rahul Gandhi] Journalists and other activists through a foreign entity’s spyware not ^treason* and a inexcusable breach of National Security”- क्या हिंदुस्तान में चुनाव आयुक्त, विपक्ष के नेता समेत श्री राहुल गांधी खुद के कैबिनेट मंत्रियों, पत्रकार साथियों, एक्टिविस्ट और इन सबकी जासूसी करवाना अगर देशद्रोह नहीं और राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ नहीं, तो क्या है?
# दूसरा सवाल, क्या 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले और उसके बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी, उनके गृहमंत्री अमित शाह जी और उनकी सरकार जासूसी करवा रही थी?
तीसरा, भारत सरकार ने ये इजरायली जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस कब खरीदा? क्या इसके लिए होम मिनिस्टर अमित शाह जी ने अनुमति दी या प्रधानमंत्री जी ने अनुमति दी और कितना हजार करोड़ रुपए खर्च हुआ या कितने सैंकड़ों रुपए खर्च हुए और वो पैसा कहाँ से आया?
चौथा, अब ये साफ है कि अप्रैल-मई, 2019 में, ये देखिए CERT -In की रिपोर्ट है, भारत सरकार को इस सॉफ्टवेयर की जानकारी थी। तो 2019 से 2021 के बीच में अगर मोदी जी आपको जानकारी थी, तो आप और अमित शाह जी चुप क्यों रहे? भारत सरकार ने, रहस्यमयी चुप्पी, षड्यंत्रकारी चुप्पी क्यों साध रखी है?
पांचवा सवाल, देश में आंतरिक सुरक्षा के जिम्मेदार तो अमित शाह हैं, तो माननीय अमित शाह को एक सेंकेड भी अपने पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है, उन्हें बर्खास्त क्यों नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि ये सब तो उनकी देख रेख में हो रहा है? जासूसी कांड जो है इस देश का, वो तो अमित शाह जी की देखरेख में हो रहा है।
और आखिरी, क्या प्रधानमंत्री जी की भूमिका की जांच नहीं होनी चाहिए?
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी की पेगासस मामले में संवाददाताओं से चर्चा के प्रमुख बिन्दु 21 जुलाई 2021
छत्तीसगढ़ में जानकारिया उजागर
1 नवंबर 2019 को संडे गार्जियन
2018 के विधानसभा चुनावों के पहले 2017-18 में इजरायली कंपनी एनएसओ को पेगासस स्पाइवेयर छत्तीसगढ़ में उपयोग किये जाने के गंभीर मामले की जानकारी प्राप्त हो रही है।
सबसे पहले सन्डे गार्जियन के माध्यम यह मामला नवंबर 2019 को उजागर हुआ था।
सन्डे गार्जियन के माध्यम से 10 नवंबर 2019 को छत्तीसगढ़ सरकार ने एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था।
दिल्ली से पेगासस बेचने रायपुर आये थे। यह नवंबर 2019 को संडे गार्जियन ने छापा है।
छत्तीसगढ़ का वाटर गेट कांड
यह स्पष्ट रूप से पाया गया कि पेगासस कंपनी के लोगों की छत्तीसगढ़ में पुलिस प्रशासन के उन अधिकारियों के साथ मीटिंग हुयी थी, जो सत्ता के केन्द्र के नजदीकी थे।
कमेटी गठित
गृह सचिव सुब्रत साहू पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी जनसंपर्क संचालक तारक प्रकाश सिंह, वर्तमान कलेक्टर राजनांदगांव और आईजी इंटेलीजेंस भी सदस्य बनाये गये थे।
छत्तीसगढ़ के 6 नाम पेगासस की पहली सूची में आ चुके है। पहली सूची में चार नाम सामने आयी है-शुभ्रांशु चौधरी का नाम जिनने खुलासा किया उसका नाम वासू नहीं है नामक किताब। अभी तो कई सूचियां आना बाकी है।
उच्चस्तरीय समिति हाईलेवल कमेटी गठित 11 नवंबर 2019 को गृह सचिव सुब्रत साहू की अध्यक्षता में डीएम अवस्थी डायरेक्टर जनरल ऑफ पोलिस तत्कालीन जनसंपर्क विभाग के संचालक तारम प्रकाश सिंहा और आईजी गुप्तवार्ता उसके सदस्य है।
जांच के बिन्दु
क्या चीप्स एजेंसी और राज्य पुलिस की इंटेलीजेंस विंग का दुरूपयोग किया गया?
इजरायली नागरिक जो उस दौरान छत्तीसगढ़ प्रवास पर आये उनके नाम और दीगर विवरण क्या है?
सरकार बदलने के बाद चीप्स और अन्य सरकारी दफ्तरों से फाइले लाकर बीटीआई में जलाये जाने की खबरे समाचार माध्यमों से था। क्या इसमें पेगासस से जुड़ी फाइले भी थी?
छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के नागरिकों निजता की सुरक्षा के मद्देनजर पूरे प्रकरण की जांच के लिए और इन सवालों के जवाब ढूंढने के लिये तीन सदस्यी समिति गठित की है।
1 रमन सिंह जी की सरकार के दौरान इजराइली सॉफ्टवेयर कंपनी के अधिकारी छत्तीसगढ़ आकर किससे मिले?
2 किसने उनको बुलाया था?
3 किनके-किनके व्हाट्सएप मोबाइल की टेपिंग की गई है? सदस्य थे। इसमें आईजी गुप्तवार्ता को भी कमेटी गठित की थी।
पत्रकारों, न्यायाधीशों अपने ही मंत्रियों की जासूसी करके मोदी सरकार किन आतंकवादियों से लड़ रही थी?
कांग्रेस की मांग
कांग्रेस मांग करती है कि पेगासस के नये खुलासे के मद्देनजर कांग्रेस स्पष्ट रूप से अवैधानिक रूप से निजता का हनन करते हुए फोन टैपिंग मैसेज एवं व्हाट्सएप कालटेपिंग के इस अवैधानिक कृत्य में शामिल व्यक्तियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग करती है।
मांग करती है कि एनएसओ और छत्तीसगढ़ सरकार के बीच सारे मेल ट्रांजेक्शन की समग्र जांच की जाये। हमें पूरा विश्वास है कि माओवाद के खिलाफ लड़ाई की आड़़ में विपक्षियों के खिलाफ राजनैतिक षड़यंत्र छत्तीसगढ़ में रचा गया।
जो जांच में सामने आ रही है- राजनैतिक उद्देश्यों से विपक्षियों के खिलाफ पेगासस के दुरूपयोग का कांग्रेस मांग करती है कि छत्तीसगढ़ सरकार लिखें – पेगासस को।
इंटेलीजेंस, सरकार और एनएसओ के बीच के मेल-ट्रांजेक्शन की जांच की जाये।
यह सीधे-सीधे एजेंसी के दुरूपयोग टेरर और माओवादियों से संपर्क छोड़कर राजनैतिक कारणों से किये गये दुरूपयोग का मामला कायम किया जाये।