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रमन राज में सीएजी ने कोल ब्लाक घोटाला, ई-टेंडरिंग घोटाल, उजागर किया था

सीएजी रिपोर्ट कांग्रेस सरकार की ईमानदारी, पारदर्शिता और जनहितैषी होने का पुख्ता प्रमाण है
 
 
       रायपुर। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक कि सीएजी रिपोर्ट के संदर्भ में जारी बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों, छत्तीसगढ़ की उपेक्षा, असहयोग और व्यवधान के चलते लगातर केंद्रीय योजनाओं में छत्तीसगढ़ की उपेक्षा की जा रही है। सीएजी रिपोर्ट में स्पष्ट है कि केन्द्रीय हिस्सेदारी कम होने के कारण 3 हजार 252 करोड़ 85 लाख रूपये राजस्व में कमी आई है। जो कुल राजस्व संग्रहण का 13.87 प्रतिशत है। केंद्रीय योजनाओं में व्यवधान के गुनहगार तो छत्तीसगढ़ के भाजपा नेता है जो विगत ढ़ाई वर्षों से लगातार मोदी सरकार को छत्तीसगढ़ के हक और हित के खिलाफ बरगलाने का काम कर रहे हैं। एक तरफ़ जहां पूरे देश की अर्थव्यवस्था उल्टी दिशा में दौड़ रही है वहीं छत्तीसगढ़ बेहतर वित्तीय प्रबंधन और वित्तीय अनुशासन के चलते ही मजबूती से आगे बढ़ रहा है। धरमलाल कौशिक ये बताये कि रमन सरकार ने जो 41 हजार करोड़ का कर्ज खजाने पर छोड़ा है, उसकी भरपाई कौन करेगा? भूपेश बघेल सरकार ने तो राज्य के 20 लाख से अधिक किसानों का कर्जामाफ किया है। मोदी सरकार के गलत नीतियों और मनमानी के चलते देश भर में आर्थिक मंदी से कोई भी राज्य अछूता नही है। छत्तीसगढ़ सरकार अपने छत्तीसगढ़ मॉडल, अपनी जनहितैषी नीतियों के चलते छत्तीसगढ़ को मंदी से दूर रखने कामयाब रहा है। अर्थव्यवस्था के तीनो प्रमुख सेक्टरों कृषि, सेवा और उत्पादन तीनों में बेहतर प्रतिमान स्थापित किया है। राजस्व घाटे की भरपाई आने वाले वर्षो में हो जायेगी लेकिन  धरमलाल कौशिक बताये कि क्या रमन सिंह सरकार के दौरान 15 वर्षो में 15 बार प्रस्तुत की गयी सीएजी रिपोर्ट में हर बार वित्तीय अनियमिता पायी गयी थी, जो रमन सरकार के कुशासन, भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का साक्ष्य नही था? धरमलाल कौशिक सीएजी रिपोर्ट की तर्कहीन व्याख्या कर जनहितैषी भूपेश बघेल सरकार को बदनाम करने का षडयंत्र रच रहे है। लेकिन वे कामयाब नही होंगे। पारदर्शिता और जवाबदेही भूपेश बघेल सरकार की विशेषता है। अब तक किसी प्रकार की कोई आर्थिक अनियमितता, भ्रष्टाचार के आरोप लगाने में असफल रहे है। सीएजी रिपोर्ट भूपेश बघेल सरकार की ईमानदारी का प्रमाण है। 
 
       प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में जल, जंगल, जमीन, बिजली, पानी, खनिज सभी संसाधन सरप्लस होने के बावजूद 15 साल कमीशनखोरी, भ्रष्टाचार, कमजोर वित्तीय प्रबंधन व करोड़ों के नुकसान का बजट रमन राज में आम बात थी। सर्वविदित है कि 2018 के सीएजी रिपोर्ट में रमन राज के 4601 करोड़ का ई-टेंडरिंग का घोटाला भी सीएजी ने ही उजागर किया था। 2018 के सीएजी के रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया कि रमन सिंह सरकार के दौरान 17 विभागों में ई- टेंडरिंग की प्रक्रिया लागू की गयी थी लेकिन जिन 74 कम्प्यूटर से 1921 ई टेंडर जारी किये गये, ठेकेदारो ने भी टेंडर भरने के लिये उन्ही कम्प्यूटरो का इस्तेमाल किया। फिर विभाग के कर्मचारी और अफसरो ने उन्ही कम्प्यूटरों से टेंडरों को मंजूरी दे दी। यानि टेंडर जारी करने वाले अफसर अपने कम्प्यूटर से टेंडर भरवाते थे और फिर उन्हे मंजूरी देते थे। 79 ठेकेदारों ने दो-दो पेनकार्ड का इस्तेमाल किया जो गैरकानूनी है। रमन राज में भाजपा नेताओं की स्वार्थ पूर्ति के लिए गलत आर्थिक नीतियां अपनाई जाती रही, जिसके परिणाम स्वरूप छत्तीसगढ़ गरीब से और गरीब होता गया। राष्ट्रीय औसत से लगभग दोगुने, गरीबी रेखा में नंबर वन। बेरोजगारी में नंबर वन। कुपोषण, एनीमिया और मलेरिया से होने वाली मौत में नंबर वन। नक्सल प्रभावित क्षेत्र में नंबर वन, 15 साल के भाजपा के कुशासन में छत्तीसगढ़ की यही पहचान बना दी गई थी। यह भी सर्वविदित है कि विगत विधानसभा चुनाव के पूर्व सितंबर 18 में प्रस्तुत सीएजी की रिपोर्ट में बजट का 20 प्रतिशत राशि खर्च न कर पाने पर गंभीर सवाल खड़े कर वित्तीय अपराध में संलिप्त रहने का प्रमाण पत्र तत्कालीन रमन सिंह सरकार को दिया गया था। राजस्व घाटे और कर्ज पर सवाल उठाने वाले भाजपाई ये जान ले कि भूपेश सरकार ने किसानों को कर्ज से उबारने के लिये कर्ज लिया है। कर्जमाफी, धान का समर्थन मूल्य 2500 रूपये प्रति क्विंटल देने, तेंदूपत्ता का समर्थन मूल्य 2500 रूपये से बढ़ाकर 4000 रूपये प्रति मानक बोरा देने, बिजली बिल हाफ और सिंचाई कर माफ करने के लिये लिया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार अपने संसाधनों से कर्ज चुकाने सक्षम है। 
 
       प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि रमन सरकार में वर्ष 2017-18 के 88590 करोड़ के हवा-हवाई बजट में से 18886 करोड़ इस्तेमाल ही नहीं हो पाया था, 5800 करोड़ लिप्स हो गए थे। गंभीर बात तो यह है कि कमीशन के लालच में ऐसे 13 कार्यशील सार्वजनिक उपक्रमों को 9463.02 करोड़ के आर्थिक सहायता दिए थे जिन्होंने 4 साल तक का लेखा जोखा तक पेश नहीं किया था। पिछले सीएजी रिपोर्ट में यह भी तथ्य सामने आए थे कि वर्ष 2017-18 में रमन सरकार के दौरान अनुसूचित जाति, जनजाति, महिला, समाज कल्याण जैसे विभाग के अनेकों मद में 70 से 80 परसेंट राशि खर्च ही नहीं की गई थी। रमन सरकार के अंतिम अनुपूरक बजट का भी 34 प्रतिशत अनुपयोगी रहा। खेल और युवा कल्याण का भी लगभग यही हाल रहा। केवल केवल रमन सिंह की छवि चमकाने विकास यात्रा के नाम पर जनसंपर्क विभाग के 250 करोड़ के बजट के बजाय 450 करोड़ से अधिक राशि खर्च की गयी। केन्द्र की सीएजी रिपोर्ट 2018 ने नरेन्द्र मोदी के वित्तीय प्रबंधन पर सवालिया निशान लगाया था। उक्त रिपोर्ट के अनुसार 4 लाख करोड़ से ज्यादा का खर्च और कर्ज यानि उधारी छिपाने का काम किया है। इस धनराशि का जिक्र बजट के दस्तावेजों में नही है। माना जा रहा है कि राजकोषीय घाटे के संकेतो और आंकड़ो का दुरूस्त रखने के लिये मोदी सरकार आफ बजट फाईनेसिंक की तरकीब का इस्तेमाल करके संसद के नियंत्रण से बाहर रखकर चर्चा और समीक्षा से बचना चाहती है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार की योजनाओं के केंद्र में भ्रष्टाचार और कमीशन खोरी पर होता था। आज छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार का पूरा फोकस गांव, गरीब, किसान, आदिवासी महिलाओं और आमजन की बेहतरी के लिए जन हितैषी योजनाओं पर केंद्रित है। आर्थिक अनियमितता और गड़बड़ी भाजपा सरकार में परंपरा बन चुकी थी आज भूपेश बघेल सरकार में पूरी पारदर्शिता है। नान और धान के घोटाले, अगस्ता और पनामा के कमीशन, अंतागढ़ और नागरिक सहकारी बैंक के षड्यंत्र अब बंद हो चुके हैं। विगत कई वर्षों में भ्रष्टाचार का एक भी मामला सामने नहीं आया है यही प्रमाण है भूपेश बघेल सरकार के कुशल वित्तीय प्रबंधन का।

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