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डीएमएफ कमेटी पर हठधर्मिता भाजपा और मोदी सरकार के अधिनायकवाद का प्रमाण
“हम दो हमारे दो” की मोदी सरकार ने जनप्रतिनिधियों को किया बाईपास
रिमोट कंट्रोल द्वारा डीएमएफ फंड हड़पने की भाजपा की साजिश उजागर
रायपुर। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि हमारे लोकतंत्र के संवैधानिक ढांचे में नीति तय करने का काम निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का है और उसे कार्य रूप में परिणित करने का दायित्व कार्यपालिका अर्थात एडमिनिस्ट्रेशन का होता है। केंद्रीय योजनाओं में राज्य सरकार और स्थानीय निकाय एक एजेंसी की भूमिका में होते हैं। जिला कलेक्टर और तमाम प्रशासनिक अधिकारी सचिव, कमिश्नर या सीईओ के रूप में शामिल किए जाने चाहिए, लेकिन किसी कमेटी में अध्यक्ष की भूमिका में अधिकारी हों, और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को केवल सदस्य रखा जाए यह संविधान की मूल भावना के विपरीत है। निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के संवैधानिक अधिकारों को बाईपास करने से साबित होता है कि ये डीएमएफ फंड का दुरुपयोग करने का मोदी सरकार का षड्यंत्र है।
2015 से गठित डीएमएफ के संदर्भ में केंद्र सरकार के द्वारा खर्च के मद तय हैं। स्पष्ट प्रावधान है कि फंड की राशि खनन और उद्योग प्रभावित क्षेत्र के उसी जिले के लोगों की शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, स्किल डेवलपमेंट और पर्यावरण जैसे बुनियादी कार्यों में खर्च किया जाएगा। इसके विपरीत रमन सरकार में 2015 से 2018 तक प्रभावित जनता के हकों का गला घोट कर कमीशनखोरी के लालच में डीएमएफ फंड की राशि को शहरों में अनावश्यक निर्माण कार्य में खर्च किया जाता रहा। डीएमएफ फंड से रायपुर के कटोरा तालाब का सौंदर्यीकरण, नालंदा परिसर का निर्माण, अनेकों जिलों में अधिकारियों के घरों में स्विमिंग पूल, 2-2 मंजिल की बिल्डिंग में 4-4 लिफ्ट लगाने, शहरों में वातानुकूलित ऑडिटोरियम बनाने जैसे मदों में डीएमएफ फंड का दुरुपयोग करते रहे।
सुरेन्द्र वर्मा ने कहा है कि भाजपा के कुशासन में जितने भी आरोप कांग्रेस ने लगाए थे, लगभग सभी प्रमाणित हो चुके हैं। यही कारण है कि भूपेश बघेल सरकार ने 2 वर्ष पहले यह फैसला लिया कि सभी जिलों के डीएम कमेटी में जिले के प्रभारी मंत्री अध्यक्ष होंगे, जिला कलेक्टर सचिव की भूमिका में रहेंगे और उस जिले के सभी विधायक डीएम कमेटी के सदस्य के रूप में शामिल होंगे। यह निर्विवाद सत्य है कि निर्वाचित जनप्रतिनिधि जनता के सतत संपर्क में रहते हैं और उनकी समस्याओं और आवश्यकताओं की बेहतर समझ रखते हैं। प्रभावित क्षेत्र की जनता जनप्रतिनिधियों के समक्ष अपनी बात ज्यादा आसानी से रख पाती हैं। हमारे संविधान में भी नीति निर्धारण की भूमिका, विधायिका के पास ही है। प्रभारी मंत्री और निर्वाचित विधायकों को दिए मैप कमेटी का कमान सौंपने के बाद से आज तक विगत 2 वर्ष में अनियमितता की एक भी शिकायत प्रदेश में नहीं आई है, जिससे यह प्रमाणित है कि भूपेश बघेल सरकार का निर्णय सही है।
पूर्व में “स्मार्ट सिटी” के संदर्भ में भी मोदी सरकार द्वारा इसी प्रकार से निर्वाचित महापौर को बाईपास करके स्मार्ट सिटी कमेटी को कमिश्नरो के माध्यम से संचालित करने का प्रयास किया गया जिसका परिणाम सर्वविदित है। ठोस कार्य के बजाय केवल रंगाई-पुताई और झाँकीबाजी में तमाम फंड फूके जाते रहे।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा के कुशासन में जिलों के खनिज न्यास फंड की राशि का जमकर बंदरबांट पूरे प्रदेश में हुआ। प्रभावितों के हित में खर्च हेतु तय मद के विपरित कमीशनखोरी में फूका गया। कोरोना काल में भी जिले और राज्य की जनता के हक और अधिकार को बाईपास करके पीएम केयर्स फंड में दबावपूर्वक चंदा जमा कराया गया जिसका ना कैग ऑडिट होगा, ना ये आरटीआई के दायरे में है और न ही यह पब्लिक फंड है। असलियत यह है कि प्रभावित क्षेत्र की गरीब जनता के कल्याण के लिए गठित फंड पर मोदी सरकार और भाजपा की नियत खराब हो गई है और अधिकारियों के माध्यम से “हम दो हमारे दो” की मोदी सरकार के द्वारा रिमोट कंट्रोल से डीएमएफ फंड पर कब्जा करके हड़पने की साजिश है। यह सबको पता है कि पिछले कुछ वर्षों में मोदी सरकार ने बहुत से पब्लिक सेक्टर को अपने चहेते पूंजीपति मित्रों को बेचकर धन कमाया, जनता को मिलने वाली गैस सब्सिडी अघोषित रूप से खत्म कर पैसे कमाए, पेट्रोल-डीजल के दामों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी कर पैसे बनाएं, लेकिन इस पैसे का सदुपयोग जनता के लिए नहीं हुआ। और तो और कोरोना काल में घरों को लौट रहे प्रवासी मजदूरों से भी रेल टिकट के तय कीमत से ज्यादा पैसे वसूले, आखिर यह पूरा पैसा जा कहां रहा है? देश में जहां 97 प्रतिशत लोगों की आय घटकर आधी रह गई है, मोदी सरकार की गलत नीतियों के चलते लगभग 23 करोड लोग नौकरी गंवा चुके हैं, विगत सात वर्षों के मोदी राज में लगभग 27 करोड़ लोग मध्यम वर्ग से गरीबी रेखा के नीचे धकेले जा चुके हैं, वहीं शहरों में नए-नए आलीशान भाजपा कार्यालय बन रहे हैं, पूंजीपति मित्रों के खजानों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। और अगर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार जनता के हित में कोई काम करती है तो भाजपा और मोदी सरकार उसमें सिर्फ मुश्किलें पैदा करते हैं, झूठ फैलाते हैं। इसी कड़ी में डीएमएफ पर भाजपा और मोदी सरकार का निर्णय एक ताजा उदाहरण है।