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पैरेंट्स एसोसियेशन की मांग पर लगी मोहर, शाला त्यागी बच्चों की होगी जांच

       दुर्ग। शिक्षा का अधिकार कानून के अंतर्गत प्रदेश के लगभग 6500 प्रायवेट स्कूलों में 3 लाख से अधिक बच्चे पढ़ रहे है, लेकिन विगत 10 वर्षो में कई बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया, जिसे ड्रॉपआउट भी कहा जाता है। जिसकी कभी कोई निष्पक्षता से जांच नहीं कराया गया कि आरटीई के अंतर्गत इतनी बड़ी संख्या में बच्चों ने क्यों स्कूल छोड़ दिया और वे बच्चे आज कहां है और क्या कर रहे है, जबकि शाला त्यागी बच्चों के लिए केन्द्र सरकार और सरकार करोड़ों रूपये खर्च कर उन्हें पुनः मुख्यधारा यानि स्कूलों में प्रवेश दिलाने का प्रयास करने का दावा कर रही है।

       छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल के द्वारा विगत तीन वर्षो से यह मांग किया जा रहा है कि आरटीई के अंतर्गत विगत दस वर्षो में लगभग 30 हजार बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया और इसकी जांच होनी चाहिए। लोक शिक्षण संचालनालय ने अब इस मामले में जांच कराने का निर्णय लिया है और एक एनजीओ को जांच करने की जिम्मेदारी दी है। प्रथम चरण में रायपुर, राजनांदगांव, सरगुजा और द्वितीय चरण में रायगढ़ और बस्तर के प्रायवेट स्कूलों में आरटीई के अंतर्गत प्रवेशित बच्चों की सोशल आडिट होगी।

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