छोटी सी पहल बड़ी बचत लेकर आई
दुर्ग। धान संग्रहण केंद्रों में चबूतरों के नहीं होने के चलते हर साल धान के भीगने की समस्या सामने आती थी। इनके नहीं होने से हर साल बारिश में नीचे में पड़े धान के बोरे सीलन से भर जाते थे और धान की बड़ी मात्रा खराब हो जाती थी। शासन ने एक छोटा सा कदम उठाया। जिन संग्रहण केंद्रों में चबूतरे नहीं हैं वहां चबूतरे बनवाने का। डीएमएफ की राशि से इसके लिए साढ़े चार करोड़ रुपए स्वीकृत किये गये और इसके माध्यम से 221 चबूतरे बनवाये गये। सभी जगहों में धान चबूतरे बन जाने से ग्रामीणों में अच्छा उत्साह है। भाठागांव के ग्रामीण रामसनेही ने बताया कि बारिश का भरोसा नहीं रहता। ऊपर ढंक देने से भी नीचे जब तक मजबूत ढांचा न हो, नीचे पड़े धान को भीगने से रोकना कठिन है। बारिश ज्यादा होने की स्थिति में तो काफी ज्यादा नुकसान होता था। अब चबूतरे बन गये हैं तो किसी तरह की दिक्कत नहीं। भाठागांव के ही सतीश साहू ने बताया कि छोटे-छोटे कदम उठाकर बड़ी बचत की जा सकती है। ऐसा तभी संभव हो पाता है जब सरकार आम जनता से जुड़ी हो। जब जमीन से जुड़ी सरकार होती है तो जनता की समस्याओं का प्रभावी तौर पर निराकरण होता है। साथ ही शासन ऐसे पहल करती है जो ग्रामीण क्षेत्र के लिए बेहद उपयोगी होते हैं और ऐसे नवाचार ग्रामीण विकास की दिशा को बदल देने में सक्षम होते हैं। जिला पंचायत सीईओ श्री सच्चिदानंद आलोक ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार तेजी से संग्रहण केंद्रों में चबूतरा बनवाने की कार्रवाई की गई। चबूतरों के माध्यम से बड़ी संख्या में धान को सुरक्षित रख पाने में सफलता मिल रही है। उल्लेखनीय है कि डीएमएफ के माध्यम से कृषि के विकास को भी विशेष तौर पर फोकस किया गया है। चाहे मेड़ों पर अरहर बीज बोने के लिए किसानों को उत्साहित करना हो अथवा ड्रिप एवं स्प्रिंकलर के माध्यम से खेती। सभी में डीएमएफ के माध्यम से अच्छे कार्य किये गये हैं जिसका जमीनी असर देखने में मिल रहा है।
कौही की महिला समूह की सदस्यों ने किया रोजगारमूलक गतिविधियों का विस्तार
दुर्ग। सामाजिक आर्थिक क्षेत्र में विकास के लिए महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। महिलाओं को अवसर और संसाधन महैय्या कराया जाए तो हर क्षेत्र में अपनी महती भूमिका के साथ सफल होने में कामयाब होते हैं। छत्तीसगढ़ में महिला समूहों को आगे बढ़ाने के प्रयासों के अच्छे नतीजे सामने आये है। छत्तीसगढ़ राज्य मुख्य रूप से ग्रामीण बसाहट और परंपरागत व्यवसाय पर निर्भर है। राज्य की अर्थव्यवस्था मूलतः कृषि पर आधारित है और इसे ही परंपरागत और आधुनिक तरीकों को अपनाकर राज्य का अग्रणी बनाने की दिशा में कार्य हो रहे हैं।
शासन द्वारा इस दिशा में बाड़ी कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। जिससे अनेक महिला समूहों को सुनहरा अवसर मिला है। महिला समूहों के लिए सामाजिक आर्थिक विकास के द्वार खुले हैं। अवसर मिलने पर महिलाओं ने इसे साबित भी कर दिखाया है। गौठानों को आजीविका का केन्द्र स्थापित कर आमदनी अर्जित करने का अवसर मिला है।
पाटन विकासखण्ड के ग्राम पंचायत कौही की महिला समूहों ने बाड़ी विकास कार्यक्रम के महत्तव को बखूबी समझा है। महिला समूह गौठान योजना से जुड़कर विविध गतिविधिायां कर रही है। महिला समूह वर्मी खाद, नाडेप खाद के साथ सब्जी, फल, साग भाजी का उत्पादन कर काफी लाभ कमा रही हैं। महिला समूह द्वारा अब तक सालभर में लगभग 75 हजार रूपए का लाभ अर्जित किया गया है। समूह की महिलाओं के लिए बाड़ी कार्यक्रम वरदान साबित हुआ है। समूह से जूड़ी महिलाओं के लिए यह घर गृहस्थी से समय निकालकर आमदनी जुटाने का अच्छा माध्यम है। इससे समूह की सभी महिलाएं काफी खुश है और आगे भी बाड़ी कार्यक्रम को जारी रखने एकजुट है।
महिला स्वास्थ्य जागरूकता के लिए प्रदेश का पहला पिंक गार्डन भिलाई में
दुर्ग। संस्कृत में एक श्लोक है-‘यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवताः’ अर्थात् जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। महिला अपने जीवन के हर पड़ाव पर संघर्ष से भरी हुई होती है, चाहे उसका बचपन हो या गृहस्थ जीवन। जिम्मेदारियों के चलते समान्यतः ऐसा देखा गया है कि महिलाएं अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख पाती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए नगर पालिका निगम के जोन क्षेत्रों में विशेष उद्यान बनाए गए हैं, जिसे की ‘पिंक गार्डन’ का नाम दिया गया है।
पिंक गार्डन-
हमारे पुरुष प्रधान देश में पिंक गार्डन ऐसा स्थान है जहां पुरुषों का जाना ही वर्जित है। यहां केवल व केवल महिलाओं को ही जाने की अनुमति है। महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बने और गार्डन के संसाधनों का प्रयोग कर स्वस्थ जीवन धारण करें यही इस गार्डन का मुख्य उद्देश्य है । पिंक गार्डन में ओपन जिम और वॉशरूम की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। गार्डन में कारपेट ग्रास लगाई गई है और पेंटिंग गुलाबी रंग से की गई है।
योगाभ्यास के लिए विशेष सुविधा-
पिंक गार्डन में योगाभ्यास के लिए कारपेट ग्रास लगाई गई है। बदलते लाइफ स्टाइल के चलते लोग स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक तनाव से भी गुजर रहे हैं और इसके लिए वो योग को एक विकल्प के तौर पर अपना रहे हैं। गार्डन में आए महिला समूहों में से शांति जी से बात करने पर उन्होंने बताया कि वो बहुत लंबे समय से योगाभ्यास घर में करती थी, क्योंकि उन्हें योगाभ्यास के लिए पिंक गार्डन जैसा सुरक्षित वातावरण खुले स्थान पर नहीं मिल पा रहा था। पिंक गार्डन के बनने से वो बहुत खुश हैं क्योंकि उन्हें यहां किसी प्रकार का संकोच महसूस नहीं होता है। उन्होंने यह भी बताया कि यहां महिला समूह द्वारा लाफ्टर सेशन का आयोजन भी किया जाता है।
पिंक गार्डन के लिए चयनित पांच स्थान-
निगम के अंतर्गत कुल 5 जोन है। प्रत्येक जोन के एक उद्यान को पिंक गार्डन के रूप में विकसित किया जा रहा है। वार्ड क्रमांक-3 में लाल बहादुर शास्त्री उद्यान, वैशाली नगर में ट्राइएंगल पार्क, सेक्टर 1 में सड़क-14 स्थित उद्यान, वार्ड क्रमांक 38 में चंद्रमा चौक और वार्ड क्रमांक 54 सेक्टर 5 में सड़क 41 व 42 के मध्य स्थित उद्यान को पिंक उद्यान का दर्जा दिया गया है। इन उद्यानों को तैयार करने में निगम प्रशासन द्वारा लगभग 2 लाख 90 हजार रूपए आबंटित किया गया है।
भारतीय डाक विभाग के सहयोग से आम नागरिकों को निःशुल्क विधिक सेवाएं उपलब्ध कराए जाने हेतु जागरूक किया जा रहा है
दुर्ग। श्री राजेश श्रीवास्तव जिला एवं सत्र न्यायाधीशध्अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में 14 सितंबर से डाक विभाग के सहयोग से आम नागरिकों को जन उपयोगी सेवाओं के लिए स्थाई लोक अदालत का लाभ एवं निःशुल्क विधिक सेवाएं उपलब्ध कराए जाने हेतु जागरूक किया जा रहा है।
जन उपयोगी सेवाओं के लिए स्थाई लोक अदालत का लाभ किस प्रकार लिया जा सकता है के अंतर्गत शामिल सेवाएं – लोक उपयोगिता सेवाओं के लिए स्थायी लोक अदालत विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम की एक और विशेषता है। यह पूर्व-मुकदमेबाजी, सुलह और समझौता की एक प्रक्रिया है। विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम (संशोधन अधिनियम), 2002 के अनुसार, जिला स्तर पर स्थायी लोक अदालतों (लोक उपयोगिता सेवाओं) का गठन किया गया है। इन लोक अदालतों में सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं से संबंधित पूर्व-मुकदमे तय किए जाते हैं।स्थाई लोक अदालत का कार्यालय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यालय में ही स्थापित होता है। सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं से संबंधित मामले चेयरमैन के समक्ष सादे कागज पर एक आवेदन के माध्यम से दायर किए जा सकते हैं, लोक उपयोगिता सेवाओं के लिए स्थायी लोक अदालत। स्थायी लोक अदालत का विशेष अधिकार क्षेत्र रुपये है 1 करोड़।
सार्वजनिक उपयोगिता सेवाएं-
हवाई, सड़क या पानी द्वारा यात्रियों या माल की ढुलाई के लिए परिवहन सेवाएं, पोस्टल, टेलीग्राफ या टेलीफोन सेवा, किसी भी प्रतिष्ठान द्वारा जनता को बिजली, प्रकाश या पानी की आपूर्ति, सार्वजनिक संरक्षण या स्वच्छता की प्रणाली, अस्पताल या औषधालय में सेवा, बीमा सेवाएँ, बैंकिंग सेवाएं, वित्त सेवाएँ, इमिग्रेशन, एलपीजी उनकी आपूर्ति और रिफिल को कनेक्शन देते हैं, आधार कार्ड, राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और बीपीएल कार्ड ,वृद्धावस्था और विधवा पेंशन, शगुन योजना और बेरोजगारी भत्ता, सार्वजनिक वितरण प्रणाली सेवाएं, शिक्षा या शैक्षिक संस्थानय या आवास और अचल संपत्ति सेवा, समय-समय पर राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना के माध्यम से शामिल कोई अन्य सेवाएं।
विधिक सहायता एवं सलाह-
इस योजना के अंतर्गत न्यायालय में विचाराधीन या प्रस्तुत करने योग्य प्रकरणों में पात्रता रखने वाले व्यक्तियों को विधिक सहायता प्रकरणों में होने वाले व्यय एवं अधिवक्ता की नियुक्ति के रूप में उपलब्ध कराई जाती है। यह सहायता तहसील न्यायालय, जिला न्यायालय, उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय तक दी जाती है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 12 के अंतर्गत सबको न्याय के समान अवसर उपलब्ध कराने हेतु राज्य के निर्धन एवं सीमांत हितग्राहियों के लिए विधिक सेवा योजना संचालित की जा रही है, इस योजना के अंतर्गत न्यायालय में विचाराधीन या प्रस्तुत करने योग्य प्रकरणों में उपरोक्तानुसार पात्रता रखने वाले व्यक्तियों को विधिक सहायता एवं सलाह प्रदान किया जाता है। विधिक सहायता एवं सलाह उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, उच्च न्यायालय में उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, जिलों में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं तालुक में तालुक विधिक सेवा समितियों की स्थापना की गई है, जिनके कार्यालयों एवं उनके द्वारा स्थापित प्रबंध कार्यालय, लीगल एड क्लीनिक- जो ग्राम सामुदायिक भवन, किशोर न्याय बोर्ड, स्कुल, महाविद्यालयों में स्थापित है, के द्वारा पात्र व्यक्तियों को निःशुल्क विधिक सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
संविधान प्रत्येक गिरफ्तार व्यक्ति को अपनी पसंद के वकील से परामर्श करने और अपने बचाव का अधिकार प्रदान करता है। संविधान के अनुच्छेद 22(1) के अनुसार कानूनी परामर्श का अधिकार गिरफ्तारी के समय से ही शुरू हो जाता है न कि सुनवाई के चरण से। यह सुनवाई खत्म हो जाने तक ही जारी नहीं रहता है बल्कि निर्णय को चुनौती देने के आखिरी अवसर खत्म हो जाने तक जारी रहता है। निःशुक्ल कानूनी सहायता पाने के लिए अपने नजदीकी प्राधिकरणए समिति और विधिक सेवा केंद्र में लिखित प्रार्थना पत्र या फिर प्राधिकरण द्वारा जारी किये गए फॉर्म से आवेदन कर सकता है। अगर व्यक्ति लिखने में सक्षम नहीं हैए तो वह मौखिक माध्यम से अपना आवेदन कर सकता है, प्राधिकरण में मौजूद अधिकारी उस व्यक्ति की बातों को आवेदन पत्र में लिखेगा।
दिशा की बैठक 30 सितंबर को
दुर्ग। सांसद श्री विजय बघेल की अध्यक्षता में जिला विकास समन्वय निगरानी समिति (दिशा) की बैठक 30 सितंबर को कार्यालय जिला पंचायत दुर्ग के सभाकक्ष में अपरान्ह 12 बजे आयोजित की जाएगी। बैठक में केन्द्रीय योजनाओं से संबंधित, जिले में किये जा रहे कार्यों के प्रगति की समीक्षा की जाएगी। बैंठक में संबंधित विभागों की उपस्थिति अनिवार्य है।