अस्पताल खुद चलकर पहुंच रहा मरीज के पास – मोबाइल मेडिकल यूनिट ने पिछले महीने साढ़े पांच हजार मरीजों का किया इलाज
इलाज – स्लम एरिया में जाकर लोगों का उपचार कर रही टीम
दुर्ग। गवर्नेंस का एक माडल ऐसा होता है जिसमें नागरिक शासकीय संस्थाओं में पहुंचकर सेवाओं का लाभ लेते हैं। एक ऐसा माडल भी होता है जिसमें कोशिश की जाती है कि अधिकारी खुद लोगों तक पहुंचे, उनसे शासकीय सेवाओं से जुड़े फीडबैक लें, एवं उनकी समस्या हल करें। दुर्ग जिले में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप प्रशासन मौके पर पहुंचकर लोगों को सेवाएं प्रदान करने की दिशा में कार्य कर रहा है। दीगर विभागों के साथ ही हेल्थ में भी इस पहल को अपनाया गया है। जिले में इसकी मिसाल स्लम एरिया में कार्य कर रही मोबाइल मेडिकल यूनिट हैं।
हेल्थ के मामले में सजग रहना और रिस्पांस टाइम सबसे अहम- स्वास्थ्य विभाग की निरंतर समीक्षाओं में यह बात सामने आई कि स्वास्थ्य के मामले में रिस्पांस टाइम बेहद अहम है। मसलन कोई स्वास्थ्यगत समस्या प्रारंभिक रूप से पनपती है और इसकी उपेक्षा की जाए तो धीरे-धीरे बढ़ने लगती है। सही समय पर यह पकड़ में आ जाए तो इसे पूरी तरह से ठीक भी किया जा सकता है और नियंत्रित भी किया जा सकता है। अक्सर लक्षण गंभीर होने पर ही लोग अस्पतालों में चेकअप के लिए जाते हैं। स्लम एरिया में जहां जागरूकता की कमी है वहां यह पाया जाता है कि कई बार मरीज प्रारंभिक रूप से समस्या की उपेक्षा कर देते हैं और समस्या गंभीर होने पर इसका इलाज मुश्किल हो जाता है। मोबाइल मेडिकल यूनिट के कार्य करने से इस दिशा में लोगों का चिन्हांकन करना आसान हो गया है। मौके पर ही टेस्ट, वहीं पर दवाइयां- मोबाइल मेडिकल यूनिट में चिकित्सक के साथ ही लैब टेक्निशियन, फार्मासिस्ट एवं एएनएम होती हैं। ये लोगों को हेल्थ चेकअप के लिए प्रेरित करते हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. गंभीर सिंह ठाकुर ने बताया कि बीपी, शुगर, एनीमिया जैसी बीमारियों का चिन्हांकन इससे आसान हो जाता है। कभी-कभी यह होता है कि लोग सामान्य स्वास्थ्य जांच के लिए आते हैं और उनकी एनीमिया या डायबिटीज जैसी समस्या का पता चल जाता है। फिर इसका इलाज शुरू हो जाता है। डा. ठाकुर ने बताया कि जल्द चिन्हांकन से इलाज आसान हो जाता है। उदाहरण के लिए यदि टीम पाती है कि किसी व्यक्ति को लंबे समय से खांसी है तो इसके सैंपल एकत्र कर लेती है। इससे टीबी जैसे रोगों की रोकथाम में भी मदद मिलती है।
स्वास्थ्य जागरूकता भी- मोबाइल मेडिकल यूनिट स्वास्थ्य जागरूकता के लिए भी कार्य करती हैं। ये विभिन्न बीमारियों से बचने के संबंध में एवं ऐसी बीमारियां हो जाने पर रखी जाने वाली सावधानियों के संबंध में पैंफलेट आदि भी वितरित करती हैं। डाक्टर ठाकुर ने यह भी बताया कि मेडिकल टीम के माध्यम से हमें उस क्षेत्र से जुड़े फीडबैक भी मिलते हैं। किसी खास तरह के रोगों के मरीजों की संख्या का चिन्हांकन होने से इसे पूरी तरह से क्षेत्र में समाप्त करने के लिए कार्ययोजना बनाने में आसानी होती है। अगस्त माह में 5601 मरीजों ने कराया इलाज- अगस्त माह में निगम क्षेत्रों में पांच हजार छह सौ एक मरीजों ने अपना इलाज मोबाइल मेडिकल यूनिटों के माध्यम से कराया। भिलाई में 36 जगहों पर मोबाइल मेडिकल यूनिट गई और 1843 मरीजों का इलाज किया। चरौदा में 24 जगहों पर यूनिट गई और यहां 2042 मरीजों का इलाज किया। दुर्ग में 21 जगहों पर मोबाइल मेडिकल यूनिट गई और 1716 मरीजों का इलाज किया। एनीमिया का पता चला, दवा अब चालू कर दूंगी- भिलाई में मोबाइल मेडिकल यूनिट में सर्दी-खांसी के इलाज के लिए पहुंची शकुंतला का चिकित्सकों ने एचबी काउंट भी टेस्ट किया। उनका हीमोग्लोबिन कम पाया गया और हीमोग्लोबिन की दवा भी प्रारंभ की गई। यहां की चिकित्सक ने बताया कि अनेक लोग तात्कालिक रिलीफ के लिए आते हैं लेकिन लक्षणों की जांच के दौरान बुनियादी समस्या भी समझ आती है और हम इनके ट्रीटमेंट के लिए आगे की दिशा में कार्रवाई करते हैं।