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झूठ नफरत घृणा का तपता बाजार

 

       रायपुर। एक ओर पूरा विश्व कोरोना की महामारी से जूझ रहा है। दूसरी ओर भारत मे झूठ, नफरत, घृणा का बाजार तप रहा है। विगत कुछ वर्षो मे धर्मो व जातियों के बीच इस कदर कटुता फैला दी गई है कि मनुष्य एक दूसरे का विरोधी नही वरन् दुश्मन बन गया है।

       नफरत की पराकाष्ठा इस हद तक बढ गई है कि एक दूसरे का खून देखकर खुश हो रहा है। चिंता का विषय यह है कि इससे कोई भी वर्ग अछूता नही है। युवा, पुरूष व महिलाऐं, विशेषकर पढा लिखा व नौकरी पेशा वर्ग भी नफरत की आग मे जल रहा है।

       राम, कृष्ण, महावीर, बुद्ध, गांधी की धरती पर जिसे देव भूमि भी कहा जाता है, आखिर इतनी नफरत व कट्टरता कैसे लोगो मे व्याप्त हो गई है। यह सब चंद वर्षो मे हुआ है वर्ना यहाँ के भाईचारे, एकता व प्रेम का लोग उदाहरण दिया करते थे।

       सिर्फ सत्ता के लिए लोगो के बीच वैमनस्यता फैलाई गई। इसमें मिडिया की भी भूमिका प्रमुख है, जिसने लोगो के बीच नफरत फैलाने मे कोई कसर नही छोड़ी।

       संवैधानिक संस्थाओ को इस कदर पंगु बना दिया गया कि जनता का इन सब से विश्वास उठता जा रहा है। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि लोग कानून हाथ मे लेने लग गये है। भीड कही भी, कभी भी, किसी को भी मार दे रही है। उस पर उचित व कठोर कानून नही बनाए जाने से भीड के हौसले बुलंद होते जा रहे है।

       आज देश कि स्थिति इस कदर बिगड़ गई है कि सडक मार्ग से जाने वाले, किसी कि जान सुरक्षित नही है। सोचिए कल आप या आपके परिजन भी तो निकलते है, सही सलामत वापस आएंगे या नही कौन गारंटी ले सकता है।

       नफरत व झूठ का जो वातावरण बना दिया गया है, अगर जल्द से जल्द इसे नही रोका गया तो हमारा तो हमारा, आने वाली पीढी का क्या होगा, सोचिएगा जरूर…. हम क्या दे रहे है उन्हे, रोजगार के अवसर या कट्टरपंथी नफरत।

 

संजय सिंह ठाकुर
लेखक, दाण्डी यात्री, गांधीवादी चिंतक व सद्भावना, शांति विचारक

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