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प्रवासी मजदूरों से मोदी सरकार गणितबाजी बंद करें – कांग्रेस
एक तरफ सफर के लिए दो तरफ का किराया जोड़कर फिर 85% की छूट का दावा बेहद हास्यास्पद है – घनश्याम राजू तिवारी
भाजपा मोदी सरकार का गरीब विरोधी चेहरा उजागर – कांग्रेस
रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी ने केंद्र की भाजपा मोदी सरकार पर प्रवासी मजदूरों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाते हुए कहा कि, मोदी सरकार गरीब प्रवासी मजदूरों से प्रदेश वापसी को लेकर एक तरफ सफर करने वाले मजदूरों से दो तरफ याने आने – जाने दोनों का भाड़ा लिये जाने को वर्तमान हालातो में गरीबी के साथ अन्याय बताया है।
अन्याय क्या है – दिल्ली से छत्तीसगढ़ सफर का किराया ट्रेन में केंद्र सरकार की एक्स सब्सीडी देने के बाद स्लीपर क्लास की टिकट आम आदमी को 700 ₹ की पड़ती है। यानी आम आदमी के लिए स्लीपर क्लास दिल्ली से छत्तीसगढ़ आना 700 ₹ टिकट है। कोरोना संक्रमण के चलते अब लॉकडाउन 3.0 हुआ। पूरे देश में मजदूरों को रहने खाने की व्यवस्था ठीक से नहीं हो पाई। मजदूर पैदल निकलने लगे। त्रासदी बढ़ने लगी। केंद्र सरकार खामोश बैठे रही। सात से ज्यादा राज्यों ने मजदूरों की प्रदेश वापसी को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाया तो केंद्र सरकार ने न नुकुर कर ट्रेन चलाने की मजबूरी बन गयी, मजबूरी में विशेष ट्रेन चलाए जाने का निर्णय लिया। अब मोदी सरकार को मजदूरो से तो ट्रैन किराया लेना था, वह भी बिना बदनाम हुए, तो पैसा वसूलने की जिम्मेदारी राज्यों को दी गयी। कहा गया टिकट प्रिंट करके ट्रेन में दिया जाएगा और पैसा राज्य मजदूरों से लेकर केंद्र सरकार को देंगे।
देश मे मजदूरों की समस्या से निजात दिलाने कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षा सोनिया गांधी जी ने घोषणा की टिकट का पैसा कांग्रेस पार्टी देगी। कुछ राज्यों ने कहा हम अपने लोगों का पैसा देंगे, हल्ला मचा तो मोदी सरकार और नीतीश सरकार ने झूठ फैलाना शुरू किया, बीजेपी सांसद सुब्रमण्यमस्वामी ने झूठा ट्वीट कर कहा की केंद्र सरकार 85% और राज्य 15% पैसा दे रही है। भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा भी श्रेय लेने हल्ला करने लगे।
तिवारी ने अन्याय का आरोप लगाते हुए कहा कि, ट्रैन से दिल्ली – रायपुर स्लीपर क्लास की टिकिट मूल्य सब्सिडी काटकर 700 रु. है मजदूर को टिकट 50 ₹ का सरचार्ज के साथ 750 रुपये क्यो..?, और फिर केंद्र सरकार द्वारा दी गयी कथित 85% छूट कहा है? स्लीपर की टिकट हमेशा से आम आदमी को 700 रुपये में मिलता है। क्योंकि मजदूर एक्सप्रेस ट्रेन मजदूरों को छोड़ कर खाली वापस आएगी इसलिए इसे 85% कहना धोखा है। मजदूर को टिकट अतरिक्त 50 ₹ के साथ 750 की पड़ेगा तो केंद्र सरकार ने कैसी और कौन सी छूट दी है? प्रवासी गरीब मजदूरों के साथ किस तरह गुणाभाग कर अंक गणित खेला गया यह स्पष्ट उजागर होता है जो सरासर अन्याय है।