भारतीय राजनीति में गिरावट के मोदी शाह अहम किरदार
रायपुर। विगत 7 वर्षो से भारतीय राजनीति मे जो गिरावट आयी है उसके मोदी जी और अमित शाह जी अहम करदार है। कार्पोरेट्स की शह पर तत्कालीन यूपीए सरकार को बदनाम करने की जो मुहिम इन्होने चलाई, उसमे सफल भी रहे, लेकिन भारतीय राजनीति व लोकतंत्र का जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई शायद जल्दी संभव नही होगी।
सरकार मे बैठे अवसरवादियों की इन्हे व्यापक मदद मिली। विनोद राय जैसे महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोगों ने इसमे अपनी उल्लेखनीय भूमिका निभाई। 2 जी व कोल घोटाले को लेकर मनमाने आंकलन किए। उसके आधार पर मोदी व अमित शाह ने कांग्रेस को बदनाम करने की मुहिम चलाई। जिसमें वे सफल रहे। जबकि बाद मे इनके सब आरोपों की कलई खुल गई। मोदी-शाह को सत्ता मिली और विनोद राय को बैंक बोर्ड के चेयरमैन का पद। और देश को धोखा।
आज मोदी सरकार झूठ और लफ्फफाजी से चल रही है। विगत 6 वर्षो मे इनकी कोई उपलब्धि नही रही। एक भी नीति सफल नहीं रही। हर मोर्चे पर सरकार फ़ेल रही है। बेरोजगारी दर मे वृद्धि, किसानों की बढती समस्या, व्यापार, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य ईत्यादि क्षेत्र इससे सबसे ज्यादा प्रभावित रहे हैं।
सैकडो युवाओ को सोशल मिडिया पर आन-पेमेंट बैठाकर विपक्ष को बदनाम करने का काम इन लोगो ने किया है। अपने स्वार्थ के लिए समाज मे नफरत व घृणा फैलाने का जो कृत्य इन्होने किया है, इसका परिणाम हमारी आने वाली पीढ़ियों को भोगना पडेगा।
देश की बिकी हुई गोदी मिडिया ने भी देश का बहुत नुकसान किया है। मोदी-शाह ने या तो खरीद कर या डरा कर मिडिया को अपने चरणों मे ला खडा किया है। यह गोदी मिडिया 24 घंटे सत्ता के गुणगान मे लगा है। मोदी शाह व सरकार से सवाल पूछने की इन्हे इजाजत नहीं है। विपक्ष से सवाल कर काम चलाना पड़ रहा है। इन्हे कौन समझाऐ कि सवाल सत्ता से पूछे जाते है न कि विपक्ष से।
लोकतंत्र के सभी स्तंभों मे दीमक लगाने के बाद यह लोग अब मनमानी पर उतर आए है। आज देश मे अघोषित तानाशाही चल रही है। 10 करोड लोग सडकों पर मारे मारे फिर रहे है। सैकड़ो भूख प्यास से व एक्सीडेंट से जान गंवा चुके है। मगर मजाल है जो सरकार के चेहरे पर शिकन भी आई हो । इनके बनाए हुए स्लीपर सेल व कालीदास मजदूरो को ही गरियाने मे लगे है।
अब वक्त आ गया है कि नौजवान जाग जाए, इनकी हकीकत को समझे और अपने अधिकारो के लिए सामने आए वर्ना उनका भविष्य खतरे से बाहर नही आ पाएगा।
संजय सिंह ठाकुर
लेखक दाण्डी यात्री, गांधीवादी चिंतक व सद्भावना, शांति विचारक है।