धान खरीदी में केंद्र का कोई योगदान नहीं : कांग्रेस
मोदी सरकार में देश के मात्र 6 से 12 प्रतिशत किसानों को एमएसपी मिलता है, भूपेश सरकार में 95 प्रतिशत किसानों का एमएसपी मिलता है
रायपुर। धान खरीदी कांग्रेस सरकार अपने दम पर करती है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज ने कहा कि धान खरीदी में केंद्र सरकार का कोई भी योगदान नही है। छत्तीसगढ़ का हर किसान कसम खाकर दावा करेगा उनका धान कांग्रेस सरकार खरीदती है। झूठ फरेब भाजपा की फितरत, भाजपा कितना भी भ्रम फैला ले, प्रदेश ने 23.42 लाख से अधिक किसान जिन्होंने अपना 107 लाख मीट्रिक टन धान 2640 रूपये प्रति क्विंटल में बेचा है वे भाजपा के बहकावे में नही आने वाले है। केन्द्र की भाजपा सरकार ने सहयोग के बजाय छत्तीसगढ़ के किसानों को धान की कीमत 2500 देने में अडंगा ही लगाया था उसी के कारण कांग्रेस सरकार ने किसानों के लिये राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरू करके 9000 और 10,000 रू. प्रति एकड़ की इनपुट सब्सिडी देना शुरू किया है।
मोदी सरकार का धान खरीदी में कोई योगदान नहीं है। धान खरीदी का पूरा का पूरा पैसा राज्य सरकार के द्वारा वहन किया जाता है। राज्य सरकार मार्कफेड के माध्यम से विभिन्न बैंकों से कर्ज लेकर धान खरीदी करती है। किसानों को छत्तीसगढ़ में 2640 रूपये, देश ही नही दुनिया में सबसे ज्यादा कीमत भूपेश सरकार दे रही है। भारतीय जनता पार्टी नेता भ्रम फैलाने के लिये जबरिया वाहवाही लेने के लिये राजनीति कर रहे है। पिछले वर्ष 107 लाख मीट्रिक धान की खरीदी कांग्रेस सरकार ने किया था। यह एक बड़ी उपलब्धि है। 15 साल में रमन सरकार के द्वारा इसका आधा धान ही खरीदा जाता था। इस वर्ष 125 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है।
केंद्र का राज्यों से चावल और अन्य अनाज खरीदना और राज्य का अपने किसानों से धान खरीदना दोनों अलग-अलग योजना है। राज्य अपने किसानों को उसकी उपज की पूरी कीमत देने अपने संसाधनों से धान की खरीदी करती है। छत्तीसगढ़ के किसानों से भूपेश सरकार ने 2640 रू. में धान खरीदा है। भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात आदि ने तो किसानों को 1000-1200 में धान बेचना पड़ता है। केंद्र सरकार अपनी कल्याण योजनाओं के लिये सस्ते दर पर चावल, गेहूं आदि दुकानों के माध्यम से बांटने के लिये राज्यों से खरीदती है। छत्तीसगढ़ से चावल खरीद कर मोदी सरकार राज्य पर कोई अहसान नहीं करता यह उसकी मजबूरी है।
केंद्र को कल्याण योजनाओं के लिये चावल बिना छत्तीसगढ़ का चावल खरीदे संभव नहीं है। छत्तीसगढ़ सरकार यदि 86 लाख टन केंद्र को चावल न दे तो केंद्र सरकार के पास बांटने के लिये चावल का संकट पैदा हो जायेगा। मोदी सरकार के पास पर्याप्त मात्रा में चावल का भंडार नहीं है। कर्नाटका ने जब अपनी अन्नभाग्य योजना के केंद्र से 35 लाख मीट्रिक टन चावल मांगा तो केंद्र ने मना कर दिया था। छत्तीसगढ़ केंद्र को चावल देकर उसकी पीडीएस सिस्टम में अनाज बांटने में मदद करता है।