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छत्तीसगढ़

महंगाई पर मौन क्यों है भाजपा नेत्रियां?

       रायपुर। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता शिल्पा देवांगन ने कहा कि महंगाई पर भाजपा की नेत्रियां मौन क्यों है? महंगाई के खिलाफ गृहणियों की आवाज उठाने से क्यों डर रही है? 2014 के पहले महंगाई पर घड़ियाली आंसू बहाने वाली, आलू-प्याज की माला पहनने वाली नेत्रियां अब गायब है। 100 दिनों में महंगाई कम कर जनता को राहत देने की गारंटी देकर सत्ता में आने वाले मोदी सरकार की मुनाफाखोरी के नीति के चलते जनता आज महंगाई से परेशान हैं मोदी सरकार और पेट्रोलियम कंपनियां संगठित होकर जनता से पेट्रोल डीजल में मुनाफा कमा रही है। जनता महंगाई से बेहाल है। मोदी सरकार खुद के मुनाफा और पेट्रोलियम कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए क्रूड ऑयल की कीमत में 35 प्रतिशत की कमी का फायदा जनता को नहीं दे रही है।बीते 9 साल में मोदी सरकार ने पेट्रोल डीजल में भारी भरकम एक्साइज ड्यूटी लगाकर 30 लाख करोड़ रुपए गरीब जनता की जेब से निकाल लिया है और अब पेट्रोलियम कंपनियों को संरक्षण देकर उनके फायदा के लिए काम कर रही है। गरीब जनता महंगाई से कहरा रही है उनकी पीड़ा को केंद्र की सरकार अनसुना कर रही है।

       प्रवक्ता शिल्पा देवांगन ने मोदी सरकार से पूछा जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड आयल के दाम में 35 प्रतिशत तक की गिरावट आई है फिर देश के भीतर पेट्रोल डीजल की दरों में 35 प्रतिशत की कमी क्यों नहीं की गई? पेट्रोल डीजल के दामों में 35 प्रतिशत की कमी की जाती और एक्साइज ड्यूटी मनमोहन सरकार के दौरान की ली जाती तो देश की जनता को महंगाई से बड़ी राहत मिलता। आवश्यक वस्तुओं के दामों में भी 30 से 35 प्रतिशत की कमी आती।


       मोदी सरकार की गलत नीतियों के चलते सब्जी की कीमत में शत प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है दवाइयों के कीमत में 30 प्रतिशत किताब, कापी, स्टेशनरी, जूता, चप्पल के दाम में 20 प्रतिशत खाद्य तेल, दाल, शक्कर, कपड़ा, टोल टैक्स, ऑटो पार्ट्स, टायर, ट्यूब, आयल, ग्रीस, सौंदर्य प्रसाधन सहित सभी आवश्यक वस्तुओं के दाम में 2014 के मुकाबले 30 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।


       2013 से 2023 के बीच में आटे के दाम में 46 प्रतिशत, आटा… कॉमन फ्लोर के दाम में 46 प्रतिशत वृद्धि हुई है। चावल 25 रुपए किलो बिकता था, अब 36 के ऊपर पहुंच गया है; दाल जो 72 की थी वो 160-170 के बीच की मिल रही है; सरसों का तेल 90 से दोगुना हो कर 185 पार कर चुका है और नमक। हमारे बस्तर की तरफ़ कहा जाता है कि भाजी-दाल न हो तो नून से खा लीजिए रोटी। तो वाकई में जो लोग मोदी को लाए थे और ये वादा किया था कि नमक-रोटी खाएंगे, उनको नमक के लिए भी मजबूर कर दिया है। नमक का दाम जो कभी 13 रुपए होता था, वो 20 के ऊपर है।

       समानो के दामों में आग लगी हुई है, आसमान छू रही है। एक और चीज़ की जा रही है आपकी आंखों में धूल झोंककर, आपकी जेबों पर डाका पड़ रहा है। वज़न घटाया जा रहा है पैकेटों का और या तो दाम वही रखा जा रहा है या दाम बढ़ाया जा रहा है। पारले-जी का पैकेट है गांव, शहर, देहात कहीं भी जाइए ये छोटा पैकेट खूब बिकता है। ये छोटे पैकेट का दाम 5 रुपए लेकिन अब ये 50 ग्राम का हो गया है, पहले ये 80 ग्राम का था, 30 ग्राम कम कर दिया गया, दाम वही रखा गया है। तो ये बिस्कुट बढ़ा महंगा हो गया है। ये चाय की पत्ती है पहले 50 रुपए में 250 ग्राम मिलती थी, अब 70 रुपए में 200 ग्राम मिल रही है। जब हम लोग गांव जाते हैं तो लोग बिस्कुट का पैकेट ज़रूर खिलाते हैं, चाय पिलाएंगे, बिस्कुट खिलाएंगे। ये 30 ग्राम कम कर दिया, दाम वही रखे ये 50 रुपए का मिलता था 250 ग्राम, अब 70 रुपए का और वज़न 200 ग्राम। ये नमकीन के कुछ पैकेट मैं लाई हूं 10 रुपए में पहले 65 ग्राम नमकीन बिकता था, ये पैकेट है आप लोगों के सामने. अब 10 रुपए में 32 ग्राम नमकीन बिक रहा है मतलब आधा कर दिया, 33 ग्राम इस नमकीन के पैकेट को कम कर दिया गया।

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