गौठानों में मछलीपालन, मुर्गीपालन जैसी गतिविधियों को भी बढ़ाएं : कलेक्टर डाक्टर सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे
पाटन में ब्लाक लेवल समीक्षा के दौरान कलेक्टर ने आजीविकामूलक गतिविधियों को बढ़ाने दिए निर्देश
पाटन ब्लाक में चल रही महत्वपूर्ण कार्यों की समीक्षा की, तय समय पर काम पूरा करने दिए निर्देश
दुर्ग। गौठानों को आजीविकामूलक गतिविधियों का केंद्र भी बनाया जाएगा। कलेक्टर डाक्टर सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे ने आज पाटन ब्लाक में हुई अधिकारियों की समीक्षा बैठक में निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अधिकतम अवसर पैदा करने हैं। इसके लिए आजीविकामूलक गतिवधियों को बढ़ावा देना प्रमुख लक्ष्य होगा। नरूवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना मूल रूप से कृषि की तरक्की एवं पशुधन संवर्धन के लिए तैयार की गई है। कृषि और गोपालन के अतिरिक्त मुर्गीपालन, मत्स्यपालन जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देकर किसानों की आय बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि गौठानों में डबरियों में मछलीपालन को प्रोत्साहित करें। मत्स्यपालन में बड़ी संभावनाएं हैं। जिले में भी इसकी बड़ी माँग है अगर स्थानीय स्तर पर ज्यादा से ज्यादा उत्पादन किया जाए तो बाजार की किसी तरह की कमी नहीं है। उन्होंने मत्स्य अधिकारी को इस संबंध में योजना बनाकर कार्य करने निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि गौठानों में मुर्गीपालन जैसे कार्यों को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। उद्देश्य यह है कि आसानी से उपलब्ध बाजार को सबसे पहले पूरी तरह दोहन किया जाए जहां अच्छी आय की संभावना हो।
दूसरी ओर गौठान में अन्य आजीविकामूलक गतिविधि भी बढ़ाई जाए जैसे स्वसहायता समूह साबुन और फिनाइल आदि का उत्पादन कर रहे हैं। इनके विपणन की व्यावसायिक संभावनाएं काफी हैं। प्रशासन की ओर से सभी विभागों को निर्देश भी दिए गए हैं कि स्वसहायता समूहों द्वारा उत्पादित वस्तुओं का क्रय किया जाए। इन संभावनाओं का लाभ उठाना चाहिए और अलग-अलग गौठानों में स्थानीय जरूरतों की चीजें बनाई जानी चाहिए। आपस में समन्वय भी होना चाहिए ताकि किसी एक ही तरह के उत्पाद का निर्माण ज्यादा से ज्यादा न हो ताकि बाजार का लाभ सबको अच्छी तरह मिल पाए। उन्होंने कहा कि उत्पाद की गुणवत्ता भी बेहद महत्वपूर्ण है। लगातार ट्रेनिंग हो, इसकी गुणवत्ता का ध्यान रखें। बाजार की जरूरतों के मुताबिक उत्पाद तैयार करें। बाजार तलाशने में किसी तरह की दिक्कत आये तो मदद करें। बैंक लिंकेज में किसी तरह की परेशानी आ रही है तो इस ओर आगे बढ़े। कलेक्टर ने कहा कि गौठानों के काम को आगे बढ़ाना सबसे महत्वपूर्ण है। गौठान समिति सक्रिय और प्रभावी रूप से कार्य करें, नवाचारों को प्रेरित करें और यह देखे कि गौठान में निरंतर सुव्यवस्था बनी रहे। खाद का उत्पादन होता रहे। लगातार माॅनिटरिंग से चीजें बेहतर होती रहती हैं। उन्होंने गौठानों में इम्यूनाइजेशन और वेक्सीनेशन के कामों को प्रमुखता से करने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने कहा गौठान एवं चारागाह में सोलर पंप और नलकूप खनन का काम तय अवधि में पूरा हो जाए।
उन्होंने खरीफ फसल के लिए खाद-बीज की उपलब्धता की जानकारी ली। बच्चों के सुपोषण के लिए चलाये जा रहे कार्यक्रम की समीक्षा की और विभिन्न केंद्रों में कुपोषण की स्थिति की जानकारी ली। कलेक्टर ने सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक सभी महत्वपूर्ण विभाग के अधिकारियों को एक-एक घंटे में अपनी विभागीय योजनाओं के पाटन ब्लाक में क्रियान्वयन के बारे में पूछा। अगले तीन दिनों में धमधा और दुर्ग ब्लाक में ऐसी समीक्षा की जाएगी।
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खरीफ के दौरान खुले में चराई मुक्त गांवों के लिए रोकाछेका की अपील
खरीफ सीजन के दौरान खुले में चराई से मुक्त गांवों के लिए रोकाछेका की परंपरा का होगा आयोजन, गांवों में तैयारियां शुरू
गौठानों में उत्साह से जुटकर कार्य कर रहे ग्रामीण और गौठान समिति के सदस्य
18 जून को आश्रित गांव में और 19 जून को ग्राम पंचायत में होगी ग्राम सभा, खरीफ के दौरान अपने मवेशियों को खुले में नहीं छोड़ने की शपथ लेंगे
दुर्ग। खरीफ की फसल को मवेशियों से बचाने खुले में चराई से मुक्त गांव के लिए रोकाछेका की तैयारी गांवों में बड़े पैमाने पर की जा रही है। रोकाछेका छत्तीसगढ़ की परंपरा है इसमें खरीफ फसल से पूर्व ग्रामीणों को शपथ दिलाई जाती है कि खरीफ फसल के दौरान अपने मवेशियों को गौठान में ही रखें। अब चूंकि गांवों में नरूवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना के माध्यम से सामूहिक गौठान बने हैं तो रोकाछेका की रस्म और भी प्रासंगिक हो जाती है। दुर्ग जिले में 18 जून को आश्रित गांवों में और 19 जून को ग्राम पंचायतों में इस अवसर पर ग्रामीणों को शपथ दिलाई जाएगी। इस अवसर पर विशेष ग्रामसभा का आयोजन भी किया जाएगा। गौठानों में इसके लिए विशेष तैयारियां चल रही हैं। रोकाछेका की उपयोगिता इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि अब सामूहिक गौठान के रूप में विकल्प ग्रामीणों के पास उपलब्ध हैं जहां मवेशियों के लिए पर्याप्त मात्रा में चारा है। जिले में गौठान न केवल पशुधन संवर्धन के केंद्र के रूप में उभरे हैं अपितु आजीविकामूलक गतिविधियों के सृजन के लिए भी माध्यम बने हैं। हर गौठान में नवाचार के अलग से प्रयोग हो रहे हैं जो उस क्षेत्र के लिए उपयोगी साबित हुए हैं। सामूहिक फलोद्यान के लिए ट्री फेंसिंग तैयार करने से लेकर मनरेगा काम के दौरान लोगों को सैनिटाइज करने के लिए साबुन तैयार करने तक का काम स्वसहायता समूह की महिलाएं कर रही हैं। रोकाछेका के आयोजन के दौरान स्वसहायता समूहों द्वारा उत्पादित सामग्री का वितरण किया जाएगा। गौठानों में पशुचिकित्सा तथा पशुस्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जाएगा। पशुपालन एवं मछलीपालन हेतु किसान क्रेडिट कार्ड बनाने शिविर का आयोजन किया जाएगा।
कृषि, पशुपालन, मछलीपालन की विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। गौठानों में पैरा संग्रहण एवं भंडारण हेतु मुहिम भी छेड़ी जाएगी। अपने गांव में तैयारियों के संबंध में मचांदूर के सरपंच श्री दिलीप साहू ने बताया कि रोकाछेका को लेकर हम लोग काफी उत्साहित हैं। खरीफ फसल की सुरक्षा के लिए बरसों से मनाई जा रही इस परंपरा को सरकार भी बढ़ा रही है। यह देखकर अच्छा लग रहा है। जनपद सदस्य श्रीमती लेखन साहू ने बताया कि गौठान का उद्देश्य पशुधन संवर्धन और फसल की रक्षा दोनों है। रोकाछेका के माध्यम से खरीफ फसल को मवेशियों से बचाने की परंपरा रही है। हम लोग इसके लिए सभी को तैयार कर रहे हैं और सब 19 जून के दिन शपथ लेंगे।
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नगरीय निकायों में रोकाछेका संकल्प अभियान 19 जून से
दुर्ग। नगरीय क्षेत्रों को आवारा पशु मुक्त, साफ-सुथरा एवं स्वच्छ रखने के साथ-साथ दुर्घटनामुक्त रखने हेतु मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर 19 जून से 30 जून 2020 तक समस्त नगरीय निकायों में रोकाछेका संकल्प अभियान चलाया जाएगा। साथ ही 19 जून को पशु पालकों से इस हेतु संकल्प पत्र भराया जावेगा। इसके लिए नगरीय निकायेां में मुनादी के द्वारा व्यापक प्रचार-प्रसार किया जावेगा। इस अभियान को सफल बनाने के लिए आवश्यक मापदण्ड निर्धारित किये गए है। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य के ग्रामीण परिवेश में फसलों को खुले में घूमने वाले पशुओं से सुरक्षित रखने हेतु रोका-छेका की परंपरा प्रचलित है। शहरों के आसपास स्थित फसलों, बाड़ियों, उद्यानों आदि की सुरक्षा हेतु इस प्रकार की व्यवस्था की आवश्यकता है।
नगरीय निकाय में निर्मित गौठान/गौठानों की क्षमता का आंकलन किया जाएगा। उसमें आवश्यक संधारण कार्य कराकर चारे की समुचित व्यवस्था प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित की जावेगी। निकाय के आयुक्त/मुख्य नगरपालिका अधिकारी यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी मवेशी निकाय के सड़कों/सार्वजनिक स्थलों पर आवारा घूमते हुए नहीं पाया जाना चाहिए। आवारा घूमते हुए पशुओं को नियमानुसार शुल्क/जुर्माना की भुगतान करने के उपरांत ही मुक्त कर संबंधित पशु पालक को सौंपा जावेगा।
दिनांक 30 जून के उपरांत यदि कोई मवेशी निकाय क्षेत्र में अनियंत्रित खुले में धूमता हुआ पाया जाता हैं तो इसके लिए संबधित आयुक्त/मुख्य नगर पालिका अधिकारी को जिम्मेदार माना जाएगा।. निकाय द्वारा प्रत्येक वार्ड में वार्ड प्रभारी की नियुक्ति की जाएगी। जिनके द्वारा दिनांक 18 जून तक वार्ड का सर्वेक्षण कर, वार्ड में निवासरत पशु पालको के नाम एवं पालतू पशुओं की जानकारी एकत्रित की जाएगी। दिनांक 19 जून को वार्ड के सर्वेक्षित पशु पालको से निर्धारित संकल्प पत्र में हस्ताक्षर लेकर एकत्र किया जाएगा। पशुओं से सबंधित रिकार्ड तथा हस्ताक्षरित संकल्प पत्र, वार्ड कार्यालय एवं नगरीय निकाय कार्यालय के रिकार्ड में रखे जाएगें।
नागरिको को पशु पालन हेतु समुचित व्यवस्था रखने हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा। नगरीय निकायों में स्थित कांजी हाउस/गौठान की जानकारी से समस्त नागरिकों को अवगत कराया जाएगा, साथ ही धूमते पाये जाने वाले आवारा पशुओं हेतु निकाय द्वारा निर्धारित दण्ड के बारे में भी व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा। पशु पालन से उत्सार्जित पदार्थों से उपयोगी सामग्री यथा-खाद इत्यादि बनाये जाने हेतु पशु पालकों को प्रोत्साहित किया जाएगा। पशु पालन स्थल पर खाद निर्माण हेतु स्थल कमी की स्थिति में निकायों में स्थित कम्पोस्ट शेड की जानकारी से अवगत कराया जाएगा।
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जिले में कोरोना पाॅजिटिव केस पाये जाने पर कन्टेन्मेंट जोन घोषित
दुर्ग। जिले के में नया कोरोना पाॅजिटिव केस पाये जाने के कारण कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भूरे ने रिसाली(इस्पात नगर), वार्ड क्रं. 60, शारदा स्कूल के पास, रिसाली बस्ती वार्ड क्रं. 60, वार्ड क्र. 59, रिसाली सेक्टर दक्षिण, सेक्टर-6 (एवेन्यू डी), वार्ड क्रं. 56, एवं जुनवानी(माॅडल टाउन) वार्ड क्र. 2 नगर निगम भिलाई को कन्टेनमेंट जोन घोषित किया है।
उक्त क्षेत्र को कन्टेनमेंट जोन घोषित करने के परिणामस्वरूप कन्टेनमेंट जोन में चिन्हांकित क्षेत्र में सभी प्रकार के दुकानें व वाणिज्यिक प्रतिष्ठान बंद रहेगी। इसके अलावा सभी प्रकार की वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध रहेगा। मेडिकल इमरजेंसी को छोड़कर अन्य किसी भी कारण से घर से बाहर निकलना प्रतिबंधित होगा। उक्त क्षेत्र की निगरानी पुलिस विभाग के द्वारा पेट्रोलिंग कर की जावेगी। जिला चिकित्सालय व स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से संबंधित क्षेत्र में स्वास्थ्य की निगरानी के साथ ही निर्देशानुसार सेम्पल की जांच की जायेगी।