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प्रवासी मजदूरों के लिये प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित कल्याण योजना सिर्फ और सिर्फ चुनावी स्टंट

कांग्रेस के सवाल : छत्तीसगढ़ के साथ अन्याय 
छत्तीसगढ़ के भाजपा के 9 लोकसभा सदस्य इस पर खामोश क्यों है?
छत्तीसगढ़ के गरीब मजदूर किसानों से नहीं है भाजपा सांसदों को कोई सरोकार

       रायपुर। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि अगर ऐसा नहीं होता तो विधानसभा चुनाव वाले प्रदेश बिहार और 20 से अधिक विधानसभा उपचुनाव वाले प्रदेश मध्यप्रदेश को शामिल कर छत्तीसगढ़ को नहीं छोड़ा जाता। 3 लाख से अधिक छत्तीसगढ़ के मजदूर कमाने वाले बाहर के प्रदेशों में गये थे। छत्तीसगढ़ के तीन लाख मजदूरों में से 60 दिन के मोदी करोना लाकडाउन में भूखे प्यासे रहकर वापस लौटे है। सैकड़ों मजदूर करोना संक्रमण का शिकार हुये। 60 दिन लाकडाउन में छत्तीसगढ़ के इन मजदूरों को हाटस्पाट जोन तक में भूखे-प्यासे रहने के लिये संक्रमण का शिकार तक होने को मजबूर हुये। दरअसल मोदी जी भाजपा और भाजपा के लोकसभा सदस्यों को छत्तीसगढ़ की गरीबों की मजदूर किसानों की परवाह ही नहीं है। मनरेगा में काम देने में अव्वल नंबर पर है छत्तीसगढ़ सरकार।

       मोदी सरकार ने छत्तीसगढ़ के प्रवासी मजदूरों को योजना का लाभ देना क्यों जरूरी नहीं समझा? 2500 रू. प्रतिक्विंटल धान खरीदी, कोरोना से लड़ने 30,000 करोड़ का पैकेज छत्तीसगढ़ हित के हर मामले में गरीब हित मजदूर हित किसान हित के हर मामले में भाजपा के सांसद और भाजपा छत्तीसगढ़ के खिलाफ क्यों खड़ी रहती है। मजदूर कल्याण योजना की कथित घोषणा और इसमें छत्तीसगढ़ को छोटे जाने से यही बात फिर से स्पष्ट हो गयी है। मोदी सरकार ने देश के मजदूर को मजबूर समझने की बड़ी भूल की है। दरअसल समाज के गरीब मजदूर किसान मध्यमवर्ग छोटे व्यापारियों और छोटे उद्योग धंधा करने वालों को मोदी सरकार हेय दृष्टि से देखती है। जबकि यही वर्ग देश की अर्थव्यवस्था और देश का संचालन करते हैं। मोदी सरकार ने यह जिम्मेदारी भी नहीं निभाई।

       शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि सिर्फ 4 घंटे के नोटिस पर मोदी सरकार ने पूरे देश का लाक डाउन कर दिया। रेल, बस सब यातायात के साधन बंद कर दिये। लाखों मजदूर भाई और बहन सैकड़ों हजारों किलोमीटर का सफर तय कर थके हारे भूखे प्यासे बगैर राशन बगैर दवाई बच्चों को गोद में उठाए और थोड़ी बहुत जमा पूंजी सामान और लॉक डाउन के कारण हुआ कर्ज भी पीठ पर लादकर पांव में छाले लेकर जब अपने घर गांव वापस जा रहे हैं तो उनको घर पहुंचाने की जवाबदारी देश की सरकार की थी। 12 मई को मोदी जी ने बहुत बड़ी घोषणा की थी कि करोना से लड़ने 20 लाख करोड़ का पैकेज दिया जाएगा। पूरे देश को उम्मीद और आशा बंधी थी कि शायद अब मोदी जी को गरीबों का, लाचारों का दुख और दर्द समझ में आ गया है। शायद अब मोदी जी को समझ में आ गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। वो इससे निपटने ठोस कदम उठाने जा रहे हैं और लेकिन जो पांच धारावाहिक वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने देश को दिखाए, उसके बाद ये बात साफ है कि मोदी सरकार गरीब का, कमजोर का और यहाँ तक कि मध्यम वर्ग का भी दर्द नहीं समझ रही है।

       करोना की भयावह मानवीय त्रासदी का विकराल रूप मोदी सरकार की गलत नीति विफल प्रबंधन और गलत नीयत के कारण सामने आया।

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