8 माह का गौरीशंकर नन्हें कदमों से बढ़ रहा है सुपोषण की ओर
जो बच्चा बैठ नहीं पाता था डॉक्टरों की कोशिश से न सिर्फ बैठ रहा बल्कि सहारे से खड़ा भी हो रहा है
एनआरसी पाटन की कोशिशें रंग लाई, 8 माह का गौरीशंकर नन्हें कदमों से बढ़ रहा है सुपोषण की ओर
सिर्फ 15 दिनों में अति कुपोषित से मध्यम कुपोषित की श्रेणी में आया
सही पोषण और फिजियोथेरेपी की मदद से आ रहा लगातार सुधार
एनआरसी पाटन में अब तक 57 बच्चों को मिला फायदा
दुर्ग। एक नन्हा बच्चा उम्र महज 8 माह, माता पिता के दिल में कितने अरमान थे उसके बैठते देखना, क्रॉल करते देखना और चलते देखना लेकिन कुपोषण ने उनके सारे अरमानों को उदासी और चिंता में तब्दील कर दिया था। ऐसे में उम्मीद की एक किरण मिली मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से।
पाटन ब्लॉक के गुढ़ियारी निवासी ईश्वर और ममता अपने पुत्र गौरीशंकर की सेहत को लेकर काफी परेशान थे, 8 महीने के बच्चों की तरह न वो बैठ पाता था न क्रॉल कर पाता था। जैसे-जैसे वो बड़ा हो रहा था उनकी चिंता भी बढ़ रही थी। क्योंकि वो काफी सुस्त रहने लगा था। एक दिन जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता राधा ठाकुर गृह भेंट पर गई तब उसने मामले को समझा और गौरीशंकर को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर गईं। जहाँ डॉक्टरों ने उसकी स्वास्थ्य जांच की तो पता लगा कि उसका वजन काफी कम है एयर वह गंभीर रूप से कुपोषण ग्रस्त है। डॉक्टरों ने बिल्कुल देर न करते हुए उसे तुरंत पोषण पुनर्वास केंद्र पाटन में भर्ती करने की सलाह दी।
पाटन के बीएमओ डॉ. आशीष शर्मा ने बताया कि गौरीशंकर 4 जून को पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती हुआ। उसकी स्थिति देखते हुए उसे बेहतर पोषण की जरूरत तो थी ही मगर उसके साथ एक और गंभीर समस्या थी वो बैठ नहीं पाता था पलट नहीं पाता था। इसलिए उसके लिए एक स्पेशलाइज्ड प्लान तैयार किया गया। जिसमें पोषण आहार के साथ फिजियोथेरेपी और व्यायाम भी शामिल था। एनआरसी की पूरी टीम ने इसे एक मिशन के रूप में लिया। फिजियोथेरिपिस्ट डॉ. लीना चुरेन्द्र की फिजियोथेरेपी और व्यायाम से गौरीशंकर को काफी मदद मिली। सुश्री विधि गौतम और छाया देवांगन ने उसके पोषण और मेडिकेशन का पूरा ख्याल रखा। जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। डॉ. शर्मा ने बताया कि 4 जून को जब गौरीशंकर को लाया गया उसका वजन 4.65 किलोग्राम था। लगातार देखभाल से उसका वजन बढ़ने लगा और 21 जून को जब वजन किया गया तो वजन 5.800 किलोग्राम हो गया। जो बच्चा बैठ नहीं पाता था वो आज बैठने लगा है और सहारे से खड़ा भी हो पा रहा है। कुपोषण का स्तर भी कम हुआ है अब वह गंभीर कुपोषित से मध्यम कुपोषित में आ गया है। ये सचमुच बहुत खुशी की बात है मगर हमें यहीं नहीं रुकना है। हमारी कोशिश है कि उसे सामान्य की श्रेणी में लाएं। इसके लिए डिस्चार्ज होने के बाद भी हम उसकी मॉनिटरिंग करेंगे।
बेटे को स्वस्थ होता देखकर माँ को भी मिली राहत
गौरीशंकर की माँ ममता बताती हैं कि आज अपने बच्चे को स्वस्थ देखकर उनको बहुत खुशी हैं। जब वो बैठ नहीं पाता था तो उसके पिता और मैं दिन रात उसकी ही चिंता में लगे रहते थे। हमारी आर्थिक स्थिति भी उतनी अच्छी नहीं थी कि इलाज करा पाते। लेकिन पोषण पुनर्वास केंद्र में सारा इंतजाम निःशुल्क था। ममता ने बताया यहाँ पर पूरी टीम ने उनके बच्चे की अच्छी तरह देखभाल की। यहां पर माँ और बच्चे दोनों के लिए रहने की व्यवस्था है। 3 टाइम का भोजन और स्वस्थ दिनचर्या के बारे में बताया जाता है। डिस्चार्ज होने के बाद घर में क्या सावधानी रखनी है, खान पान कैसा होना चाहिए यह बताया जाता है। ममता पूरे डॉक्टरों को बार-बार आभार व्यक्त करते हुए कहती हैं कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से उनके बेटे को नया जीवन मिला है।
एन आर सी पाटन से अब तक 57 बच्चों को मिली कुपोषण से मुक्ति
बीएमओ डॉ आशीष शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरुआत के साथ ही 2 अक्टूबर 2019 को ही पोषण पुनर्वास केंद्र पाटन का शुभारंभ हुआ था। अब तक यहां से 57 बच्चों को कुपोषण से मुक्ति मिली है। आस पास के ग्रामीण अंचलों में रहने वाले लोगों का विश्वास भी हमने जीता है।उन्होंने बताया कि महिला बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग के बेहतरीन समन्वय से परिणाम मिले हैं।हमारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और मितानिनों की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण है जो स्वयं जागरुक हैं और कुपोषण की खिलाफ लड़ाई में कदम से कदम से मिलाकर चल रही हैं।