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कलेक्टर दुर्ग को नेहा साहू ने जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग के माध्यम से सूचना नोटिस देकर पालकों की व्यथा बताई

       दुर्ग। संचालक लोक शिक्षण संचालनालय छत्तीसगढ़ एवं कलेक्टर दुर्ग को ब्लॉक कांग्रेस कमेटी सुपेला (भिलाई) महामंत्री नेहा साहू ने जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग के माध्यम से सूचना नोटिस देकर पालकों की व्यथा और समस्याओं का निराकरण नहीं करने के कारण पूछा है।

       विधिक प्रक्रिया में नेहा साहू ने जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग से निजी शाला संचालकों के द्वारा संचालित कि जा रही आनलाईन शिक्षण गतिविधि को दी गई प्रशासनिक स्वीकृति और मान्यता कि पुष्टि करने और जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा इस कार्यवाही को करने के आधार को स्पष्ट करने के लिए कहा है।

पालक किन मामलो में जिला शिक्षा अधिकारी से स्पष्टीकरण चाहते है?

       विगत माह से दुर्ग जिले के निजी शाला संचालक पालकों पर दबाव बना रहे है कि वे ऑनलाइन शिक्षण गतिविधि के लिए आवश्यक संसाधनों कि व्यवस्था करें और आगामी शैक्षणिक सत्र में बच्चो की ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करवाएं। निजी शाला संचालकों द्वारा लिए गए इस एक तरफा निर्णय के कारण पालक व्यथित व भ्रमित है और संचालक लोक शिक्षण संचालनालय छत्तीसगढ़, कलेक्टर दुर्ग और जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग से अग्रलीखित्त विषयों पर स्पष्टीकरण चाहते है :-

       ऑनलाइन शिक्षण गतिविधि के कारण मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से बच्चो पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव के बारे में क्या कोई सलाह मशवरा विषय विशेषज्ञों से लेकर सक्षम प्राधिकारीगण द्वारा ऑनलाइन शिक्षण गतिविधि करने कि अनुमति निजी शाला संचालकों को प्रदान की गई है?

       क्या सक्षम प्राधिकारीगण ने ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था के कारण छात्रों की आखों और कानों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव के विषय में चिकित्सकीय सलाह लेकर विधिवत अनुमोदन हासिल कर इसका अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए निजी शाला संचालकों को निर्देशित किया है?

       क्या सक्षम प्राधिकारीगण ने ऑनलाइन शिक्षण गतिविधि करने के लिए इस बात का कोई वित्तीय अनुमान लगाया है कि प्रत्येक पालकों पर प्रति छात्र तकनीकी संसाधनों कि व्यवस्था करने के लिए कितना वित्तीय बोझ पड़ेगा?

       पालकों की गोपनीयता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सक्षम प्राधिकारीगण ने ऑनलाइन शिक्षण गतिविधि के संचालन के लिए उपयोग में लाए जाने वाले ऐसे साइबर माध्यम के विषय में क्या कोई दिशा निर्देश जारी किए है जिसका अनुपालन कर निजी शाला संचालक ऐसे साइबर प्रणाली को अपनाने को बाध्य होंगे जो सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से शासन द्वारा अभिप्रमाणित है? उल्लेखनीय है जिन बच्चो के अभिभावक नौकरी करते है ऐसे बच्चो कि ऑनलाइन पढ़ाई कैसे होगी अगर ये बच्चे अकेले ही ऑनलाइन पढ़ाई करने को मजबूर होंगे तो उनकी सुरक्षा को कौन सुनिश्चित कराएगा? ऐसे बच्चो कि सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए गए है? क्योंकि अभिभावकों कि उपस्थिति के बिना ऑनलाइन पढ़ाई करने वाले बच्चे कभी भी साइबर क्राइम के शिकार हो सकते है।

       क्या सक्षम प्राधिकारीगण ने ऑनलाइन शिक्षण गतिविधि के संचालन के लिए निर्देश जारी करते वक्त यह सुनिश्चित कर लिया है कि अभिभावकों और पालकों में से कितने प्रतिशत लोग ऑनलाइन शिक्षण गतिविधि में अपनी भागीदारी देने के लिए तकनीकी ज्ञान और अनुभव रखते हैं?

       क्या सक्षम प्राधिकारीगण ने ऑनलाइन शिक्षण गतिविधि के संचालन के लिए यह सुनिश्चित कर लिया है कि दुर्ग जिले में वर्तमान में इंटरनेट सुविधाओं कि प्रदाएकर्ता कंपनियों के पास एक ही समय में सभी ऑनलाइन होने वाले बच्चो को जोड़ने के लिए इंटरनेट सुविधाओं कि तकनीकी क्षमता है?

       क्या सक्षम प्राधिकारीगण ने ऑनलाइन शिक्षण गतिविधि के संचालन के लिए अनुमति देते समय इस बात का विचार किया है कि सर्व शिक्षा अभियान, राजीव गाँधी शिक्षा मिशन जैसी शासकीय योजनाओं के तहत संचालित शिक्षण व्यवस्था से जुड़े पालक और छात्रों को ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था से जोड़ने के लिए सक्षम प्राधिकारीगण के पास उपलब्ध संसाधन और वित्तीय व्यवस्था कितनी है और इस बड़े छात्र समूह को सर्व शिक्षा अभियान के मूल उद्देश्य प्राप्ति से सक्षम प्राधिकारीगण अपने सीमित संसाधनों में कैसे जोड़ेंगे?

       उक्त सभी यक्ष प्रश्न इस आपात कालीन स्थिति में अभिभावकों, पालकों और जनप्रतिनिधियों के लिए चिंतनीय विषय है और व्यथित करने वाली बात यह है कि सक्षम प्राधिकारीगण महत्वपूर्ण पद पर पदासिन्न होने के बाद भी गंभीरता से पालकों और छात्रों के हितों के संरक्षण करने के लिए कार्य करते नजर नहीं आ रहे हैं।

आरोप क्या है?

       गौरतलब रहे की उक्त बिंदुओं के गंभीर प्रकृति के विषयों पर प्रकाश डालें बिना निजी शाला संचालकों को ऑनलाइन शिक्षण गतिविधि करने कि तथाकथित अनुमति प्रदान किये जाने की जानकारी शाला संचालकों के माध्यम से पालकों को मिल रही है जिसके कारण एक विषम सामाजिक स्थिति समाज में उत्पन्न हो रही है उल्लेखनीय है की जो पालक और छात्र निजी शाला संचालकों के ऑनलाइन शिक्षण गतिविधि का हिस्सा नहीं होंगे स्वाभाविक तौर पर उनमें द्वेष और आक्रोश उत्पन्न होगा इसके साथ – साथ पालकों और विद्यार्थियों को अपूर्णीय क्षति होगी जिसके लिए सक्षम प्राधिकारीगण जिम्मेदार रहेंगे ।

सूचना नोटिस का सबसे महत्वपूर्ण विषय समय सीमा में कार्यवाही की मांग

       नेहा साहू ने सक्षम प्राधिकारीगण को सूचित किया है कि इस निवेदन सूचना को प्राप्त करने के उपरांत आगामी सात दिनों में उक्त सभी बिंदुओं में अभिलीखित विषयों पर प्राधिकारीगण स्पष्टीकरण देकर अपना-अपना पक्ष स्पष्ट करें जिससे विशाल लोकहित के लिए आगामी विधिक कार्यवाही की दिशा में बढ़ाने का तर्क संगत आधार इस निवेदन सूचना को प्रस्तुत करने वाले अधोहस्तक्षारीगण को स्पष्ट हो सकेगा। नेहा साहू ने जिला शिक्षा अधिकारी अपील कि है कि, उनके निवेदन सूचना पर प्रतिक्रिया करके सक्षम प्राधिकारीगण अपना-अपना स्पष्टीकरण देंगे और अधोहास्ताक्षरीगण को जनहित के इन मामलों को लेकर सक्षम न्यायालय और प्राधिकारी के समक्ष अपील प्रस्तुत करने को मजबुर नहीं करेंगे।

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