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छत्तीसगढ़रायपुर

प्रमुख वेलफेयर स्कीमों के बजट में कटौती, मोदी सरकार के जन विरोधी नीतियों का प्रमाण है

मोदी सरकार से न देश सम्हल रहा है न ही देश की अर्थव्यवस्था
 
देश के संसाधन बेचने के बावजूद न राजकोषीय घाटा नियंत्रण में है, न ही कर्ज, बजट का सर्वाधिक खर्च ब्याज की अदायगी पर


       रायपुर।
केंद्रीय बजट 2024 पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि विगत वर्षों की तरह ही मोदी सरकार के इस बजट में भी जनकल्याणकारी योजनाओं के मद में कटौती की गई है, जिससे प्रमाणित होता है कि भारतीय जनता पार्टी के फोकस में आम जनता का कल्याण नहीं है। उर्वरक सब्सिडी 2022-23 में 251339 करोड़ था जो घटकर 2023-24 में 188894 कर दिया गया था और अब मात्र 164000 करोड़ कर दिया गया है। अर्थात प्रस्तुत बजट में उर्वरक सब्सिडी 2022-23 की तुलना में 87339 करोड़ और वर्ष 23-24 की तुलना में 24894 करोड़ की भारी भरकम कटौती करके किसानों के हक और अधिकार में डाका डाला गया है। इसी तरह खाद्य सब्सिडी 2022-23 की तुलना में 67552 करोड़ कम और 2023-24 की तुलना में 7082 करोड़ की कटौती कर दी गई है। पेट्रोलियम सब्सिडी विगत बजट 2023-24 में 12240 करोड़ थे जिसे इस बजट में 315 करोड़ की कटौती करते हुए मात्र 11925 करोड़ रखा गया है।

       प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने वाली महत्वपूर्ण योजना मनरेगा के लिए वर्ष 2020-21 में 1 लाख 10 हज़ार करोड़ था, 2022-23 में 90806 करोड़ का बजट था, अब पुनः घटाकर 86 हजार करोड़ कर दिया गया है। महानगर परिवहन परियोजना में 2022-23 में 2802 करोड़ का प्रावधान था जिसे 23-24 में घटाकर 2051 करोड़ किया गया था, इस बजट में वह राशि लगभग आधी कर दी गई है, मात्र 1099 करोड़ का प्रावधान किया गया है। केंद्र की मोदी सरकार ने दुर्भावनापूर्वक प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण योजना में भी राशि घटा दी गई है पिछले बजट में 2200 करोड़ का प्रावधान था वर्तमान में 1738 करोड़ है।
       प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि आयकर छूट की सीमा अर्थात बेसिक एग्जंप्शन लिमिट मोदी सरकार के दौरान विगत 10 वर्षों में 1 रूपए भी नहीं बढ़ाई गई है। महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ मोदी सरकार के पास कोई ठोस रोड मैप नहीं है। वन नेशन वन टैक्स भी जुमला साबित हुआ, वर्तमान में पेट्रोलियम और लिकर पर वैट लागू है। जीएसटी की अलग-अलग दरे, 28 प्रतिशत जीएसटी तो दुनिया में कहीं नहीं है, सेंट्रल एक्साईज और कस्टम के साथ ही स्थानीय निकाय कर भी लगाये जा रहे है। मोदी राज में एमएसएमई लगातार बंद हो रहे हैं व्यापार संतुलन बिगड़ रहा है आयात पर निर्भरता बढ़ी है। राजकोषीय घाटा केंद्र सरकार के नियंत्रण से बाहर है। आय के मद में सबसे बड़ा हिस्सा नया कर्ज है जबकि 2014 की तुलना में मोदी सरकार ने 3 गुना अधिक कर्ज लिया है ब्याज के भुगतान पर खर्च लगातार बढ़ रहा है। कुल व्यय का लगभग 20 प्रतिशत भाग केवल लोन पर ब्याज के भुगतान में खर्च बताया गया और फिर नए कर्ज लेने की तैयारी है। मोदी निर्मित त्रासदी बेरोजगारी और महंगाई से जूझ रही जनता को राहत तो दूर पूर्व में दी जा रही है  रियायत और सब्सिडी में भी कटौती कर जन अधिकारों पर डाका डालने वाला बजट है।

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