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गौवध मनसा वाली भाजपा गौधन का आशय नहीं समझ सकती : कांग्रेस
भाजपाईयों को ग्रामीण – किसान अर्थव्यवस्था उन्नति के जनहितकारी फैसले साजिश क्यो लगते हैं
पूर्व भाजपा विधायक ने गौधन न्याय योजना गोबर खरीदी पर साजिश का लगाया है आरोप
रायपुर। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य जहां गोधन न्याय योजना के तहत राज्य सरकार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरुवा, घुरुवा और बाड़ी अंतर्गत स्थापित गौठानों को रोजगार उन्मुखी बनाने के उद्देश्य से गोधन न्याय योजना की शुरूआत करने जा रही है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी ने भाजपा पूर्व विधायक देवजी पटेल के गोधन न्याय योजना में गोबर खरीदी पर साजिश के बयान पर तीखा पलटवार करते हुए कहा कि प्रदेश के छत्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करना गौपालन को बढ़ावा देने और उनकी सुरक्षा और पशुपालकों को आर्थिक रूप से लाभ पहुंचाना है। गोधन न्याय योजना के माध्यम से गौठान को रोजगार उन्मुख बनाने के लिए गोबर का क्रय कर वर्मी कम्पोस्ट तैयार की जानी है, योजना से ग्रामीण स्तर पर रोजगार के अवसरों में बढ़ोत्तरी के साथ-साथ किसान, भूमिहीन मजदूर एवं समस्त पशुपालकों की आमदनी में निरंतर बढ़ोत्तरी हो। जिसके तहत प्रदेश के लोगो से सुझाव भी मांगे गये है। सुझाव के फैसले के आधार पर डेढ़ रुपए प्रति किलो के दर से सरकार गौधन योजना के तहत गोबर खरीदी कर लाभ देना चाहती है। इस योजना की शुरुआत छत्तीसगढ़ के पारंपरिक त्यौहार हरेली के दिन से होना षेश है और भाजपा पूर्व विधायक देवजी पटेल को साजिश भी नज़र आने लग गया।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि, पूर्वर्ती 15 वर्षो की भाजपा रमन सरकार में गौशालाओं में आर्थिक लाभ पाने के उद्देश्य से भूखे पेट बगैर चारा दिए हड्डी, चमड़ी से लाभ कमाने की विचारधारा रखने वाले लोगो को इस तरह के गौधन न्याय योजना की समझ नही। भाजपा शासनकाल में ग्रामीण, किसान भाजपा के लिए वोट बैंक से अधिक कुछ भी नहीं रहा, राज्य निर्माण के 20 वर्षों में सबसे अधिक 15 वर्षों तक सत्ता पर काबिज रहे मगर छत्तीसगढ़ राज्य की पहचान मजदूर किसान की चिंता और परेशानियों से हमेशा भागते रहे।
घनश्याम राजू तिवारी ने कहा कि धान खरीदी की असफलता का आरोप बेबुनियाद है, आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में इस वर्ष रिकॉर्ड तोड लगभग 83 लाख मेट्रिक टन धान खरीदा गया जो छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार है। ग्रामीण खेती किसानी की संस्कृति पर बोलने का हक भाजपा ने खो दिया है ग्रामीण संस्कृति और परंपराओं का इतना ही ध्यान होता तो 15 वर्षों में छत्तीसगढ़ धान के कटोरे की तरह सुरक्षित होता मगर व्यापारिक सोच विचार वाली भाजपा ने खेती किसानी को महत्व न देते हुए भ्रष्टाचार कमीशनखोरी की ओर ही अधिक ध्यान दिया जिसका ही परिणाम हजारों किसानों ने आत्महत्या कर चुकाई है।