रमन सिंह सरकार में डीएमएफ मद में किसी भी जनप्रतिनिधि की कोई भागीदारी नहीं थी तब धरमलाल कौशिक की बोलती क्यों बंद थी?
रायपुर। डीएमएफ पर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये प्रदेश कांग्रेस के संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि रमन सिंह ने डीएमएफ मद में किसी भी जनप्रतिनिधि की कोई भागीदारी नहीं रखी थी तब धरमलाल कौशिक की बोलती क्यों बंद थी? रमन सरकार में सांसदों की डीएमएफ में कोई भूमिका नहीं होती थी। कहीं नहीं पूछा जाता था। धरमलाल कौशिक जी जरा भाजपा के 15 साल याद कर लें, जब डीएमएफ की राशि सरकारी अधिकारी बांटा करते थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी की सरकार ने डीएमएफ की रमन सिंह सरकार की तुलना में बहुत बेहतर व्यवस्था बनाई जिसमें जनप्रतिनिधियों की भागीदारी भी है। डीएमएफ का वितरण और प्राथमिकता तय करना सरकार का विशेषाधिकार है।
धरम लाल कौशिक और भाजपा सांसदों से त्रिवेदी जी ने पूछा है कि जिस दिन छत्तीसगढ़ के किसान के धान से बना चांवल सेंट्रल पुल में 2500 रू. दाम देने पर लेने से भाजपा की केन्द्र सरकार ने मना किया था, उस समय भी छत्तीसगढ़ के एक भी भाजपा के सांसद ने छत्तीसगढ़ के हित में, किसानों के हित में आवाज नहीं उठाई। जब छत्तीसगढ़ में कोरोना का संकट आया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी की सरकार अन्य प्रांतों में फंसे छत्तीसगढ़ के प्रवासी मजूदरों को और छत्तीसगढ़ के गरीबों, मजदूर किसानों को मदद पहुंचाने में लगी थी, कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रही थी, जूझ रही थी तब भाजपा के सांसदों ने अपनी सांसद निधि से छत्तीसगढ़ के लोगों को मदद करने की जरूरत नहीं समझी। भाजपा के इन सांसदों को उस समय भी छत्तीसगढ़ की याद नहीं आयी जब गरीब कल्याण योजना में छत्तीसगढ़ को छोड़ा गया और अब डीएमएफ के लिये धरमलाल कौशिक जी सांसदों की सिफारिश करते हुये पत्र लिख रहे है। धरमलाल कौशिक, भाजपा सांसदों की भागीदारी की इच्छा जाग गयी है। जब जनता की भागीदारी नहीं थी तब भाजपा के सांसद क्यों चुप थे? हवाईपट्टी, आडिटोरियम लिफ्ट में डीएमएफ का पैसा फूंका जाता था तब कौशिक जी क्यों चुप थे?