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झूठ, भ्रम, वादाखिलाफी और गलतबयानी से जनाधार खो चुके छत्तीसगढ़ के भाजपाई राजनीतिक हताशा और मानसिक कुंठा के दौर से गुजर रहे हैं

सांसद सुनील सोनी बताए पारदर्शिता से उन्हें डर क्यों लगता है?
70 साल के सेवा, संकल्प, दूरदर्शिता, जतन और परिश्रम से हासिल, देश के संसाधनों को बेचने वाले भाजपाई, कांग्रेस पर मिथ्या आरोप न लगाए।
रतनजोत, औषधीय खेती, ज़मीनअदला-बदली जैसे आडंबरों से सरकारी जमीन पूंजीपतियों को बांटने वाले भाजपाइयों को पारदर्शिता से पीड़ा होने लगी है।
       रायपुर। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सरकारी जमीन आबंटन के संदर्भ में लिए गए निर्णय पर रायपुर के सांसद सुनील सोनी द्वारा लगाया गया आरोप पूर्ववर्ती रमन सरकार और केंद्र की मोदी सरकार की गलत नीतियों का विरोध नहीं कर पाने के कारण उत्पन्न कुंठा का ही परिणाम है। असल बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में कभी रतनजोत के नाम पर तो कभी औषधि खेती के नाम पर या बीहड़ के अनुपयोगी बंजरजमीन के बदले कीमती जमीनो की अदला-बदली कर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया जाता रहा है। अब जब कांग्रेस सरकार भूमि आवंटन के संदर्भ में पूरी तरह से पारदर्शिता बरत रही है तो इन्हें पीड़ा हो रही है। भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में बड़े पैमाने पर चुपचाप अपने चहेतों और पूंजीपतियों को सरकारी जमीन अलाट किए जाते रहे। वर्तमान प्रदेश सरकार ने 7500 स्क्वायर फुट तक की जमीन कलेक्टर के माध्यम से पूरी पारदर्शिता बरतते हुए सभी नियम कानूनों का पालन करते हुए नियमानुसार आवंटन की प्रक्रिया सुनिश्चित की गई है तो भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के आदी हो चुके भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को तकलीफ हो रही है। भारतीय जनता पार्टी के पूंजीवादी सोच और अधिनायकवादी व्यवस्था के चलते सांसद सुनील सोनी को पूर्ववर्ती रमन सरकार और वर्तमान में केंद्र की मोदी सरकार के बजाय कांग्रेस सरकार से सवाल पूछना पड रहा है। अपनी ही पार्टी के जनविरोधी, गलत नीतियों से पीड़ित रायपुर सांसद की व्यथा और उनकी मजबूरी समझी जा सकती है। विगत 18 महीने में भूपेश सरकार ने गांव, गरीब, किसान और आम जनों की तरक्की और खुशहाली के नित नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं।
       प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने कहा है कि सोनी जी याद करें की कौन सी सरकार है जो एक तरफ आत्मनिर्भरता का नारा लगाती है वहीं दूसरी तरफ देश के संसाधन, देश की सरकारी कंपनियों और सरकारी विभागों को चंद पूंजीपतियों के हाथों में सौंपने का षड्यंत्र रच रही हैं। लोकल से वोकल का नारा देकर 100 प्रतिशत एफडीआई लागू करती है। दर असल मोदी सरकार की कथनी और करनी में दिन रात का अंतर है। इनकी नीति और नियत दोनों ही ग़लत है, जन विरोधी है। हाल ही में जून के अंतिम सप्ताह में कोल इंडिया लिमिटेड जो कि भारत की नवरत्न कंपनी है कभी भी घाटे में नहीं रही। हमेशा ही देश को मुनाफा कमा कर देते रही है, उसके 41 खदानों को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया आरंभ की गई। उल्लेखनीय है कि इनमें से 9 खदानें छत्तीसगढ़ में स्थित है, तब भाजपा के सांसद और छत्तीसगढ़ के सारे भाजपा नेता मौन समर्थन जताते रहे। एयरपोर्ट, लालकिला, सरकारी खनन कंपनियों के माइंस, पेट्रोलियम कंपनियों के शेयर के साथ ही अब हमारे देश के आत्मसम्मान के प्रतिक, भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे बड़े सरकारी उपक्रम “भारतीय रेल“ के निजीकरण की प्रक्रिया भी मोदी सरकार ने आरंभ कर दी है। 49  प्रतिशत एफडीआई का विरोध करने वाले भाजपाई अब रिटेल, बीमा, मीडिया सहित अनेकों क्षेत्रों में 100 प्रतिशत एफडीआई का कानून पास कर चुके हैं। रक्षा और रक्षा उत्पाद जैसे देश की सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील क्षेत्र में भी 74 प्रतिशत एफडीआई लागू कर दिया गया है। इन सब जनविरोधी कानूनों में भारतीय जनता पार्टी और सुनील सोनी सहित भाजपा के सांसदों का पूरा समर्थन रहा है। जनहित में एक भी सवाल इनके द्वारा मोदी जी से पूछने की हिम्मत नहीं। आपदा काल में भी भाजपा शासित राज्यों में बिना सदन में चर्चा और बहस के श्रम कानूनों में संशोधन कर श्रमिक विरोधी अध्यादेश जारी किए गए काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 कर दिए गए स्वच्छता के मापदंड की अनिवार्यता भी हटा दी गई। मोदी सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन कर “स्टॉक लिमिट“ को खत्म कर जमाखोरों को संरक्षण देने का रास्ता खोल दिया। किसानों और उपभोक्ताओं के शोषण का षड्यंत्र मोदी सरकार के द्वारा रचा गया। मंडी एक्ट में भी किसान विरोधी संशोधन कर दिया गया। इतना ही नहीं हाल ही में “इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल’ लाकर अब बिजली को भी राज्य सरकारों से छीन कर निजी पूंजीपतियों के हाथों सौंपने का षड्यंत्र मोदी सरकार के द्वारा किया जा रहा है।
       प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा है कि गाय और गोबर के नाम पर लिंचिंग करने वाले, उन्माद फैलाकर अपनी राजनीति चमकाने वाले भाजपाई, अब गोठान और गोबर पर आपत्ति कर रहे हैं। सांसद सुनील सोनी बताएं कि किसानों और गो-पालको की समृद्धि से इतनी नफरत आखिर क्यों है भाजपाइयों को?
       पीएम केयर्स का सीएजी ऑडिट नहीं होगा, आरटीआई में पीएमओ ने बताया कि पीएम केयर्स फंड “पब्लिक अथॉरिटी“ नहीं है। यदि पीएम केयर फंड पब्लिक अथॉरिटी नहीं है तो क्या बीजेपी की निजी तिजोरी है? आखिर पारदर्शिता से भाजपा नेताओं को डर क्यों लगता है?

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