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‘ठग्स ऑफ हिन्दोस्तान’ कहानी संग्रह पर विमर्श: बदलते सामाजिक यथार्थ की साहित्यिक प्रस्तुति

भूमंडलीकरण और उपभोक्तावाद के दौर में कथा-संवेदनाओं की पुनर्स्थापना

कैलाश बनवासी की नवीनतम कहानियाँ – गाँव और कस्बों के यथार्थ का सजीव चित्रण

8 जून को भिलाई में होगा साहित्यिक विमर्श, प्रमुख साहित्यकार रहेंगे उपस्थित

कथ्य और समाज के रिश्तों को समझने का अवसर, साहित्य प्रेमियों के लिए विशेष आयोजन

       भिलाई, दुर्ग | भूमंडलीकरण और उपभोक्तावाद के वर्तमान दौर में समाज के जीवन मूल्यों में तेजी से परिवर्तन आया है। पारस्परिक आत्मीयता का स्थान अब गलाकाट प्रतिस्पर्धा ने ले लिया है। ऐसे परिवेश में चर्चित कथाकार कैलाश बनवासी लगातार गाँव और कस्बों के बदलते यथार्थ को अपनी कहानियों के माध्यम से संवेदनशीलता और गहराई के साथ प्रस्तुत करते आए हैं।

       उनकी नवीनतम कहानी संग्रह ‘ठग्स ऑफ हिन्दोस्तान’ इस बदलाव की ताजा साहित्यिक बानगी है, जिसमें पात्रों के सुख-दुख के साथ-साथ मानवीय संबंधों की गरमाहट को भी सजीव रूप में प्रस्तुत किया गया है—एक ऐसी ऊष्मा जो आज के समाज से धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है।

कार्यक्रम विवरण:

  • कृति: ठग्स ऑफ हिन्दोस्तान

  • कथाकार: कैलाश बनवासी

  • तिथि: 8 जून 2025, रविवार

  • समय: शाम 4:00 बजे

  • स्थान: डिजिटल कक्ष, कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय, सेक्टर-7, भिलाई, जिला-दुर्ग (छ.ग.)

मुख्य अतिथि एवं वक्ता:

  • कार्यक्रम अध्यक्ष: जयप्रकाश

  • वक्ता: लोक बाबू, ऋषि गजपाल, अंजन कुमार, सियाराम शर्मा

  • संचालन: एन. पापा राव

       यह आयोजन साहित्य प्रेमियों के लिए न केवल साहित्यिक विमर्श का एक सशक्त मंच होगा, बल्कि आज के बदलते सामाजिक परिवेश में कहानी और कथ्य की भूमिका को समझने का अवसर भी प्रदान करेगा।

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