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SAIL बायोमेट्रिक की शिकायत PM मोदी, इस्पात मंत्री से होगी, HMS ने खोला NJCS समझौते का राज

एचएमएस भिलाई ने कहा-बायोमेट्रिक प्रणाली संयंत्र हित में नहीं है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल के भिलाई स्टील प्लांट में बायोमेट्रिक फेस रीडिंग मशीन से अटेंडेंस लग रही है। कुछ विभागों के कर्मचारियों ने दावा कर दिया कि मोबाइल की फोटो से भी अटेंडेंस लगाई जा रही है। एसएमएस-3, ओएचपी, सेक्टर-9 हॉस्पिटल में इस बात को लेकर मजबूती से दावा किया जा रहा है। जबकि प्रबंधन इन तमाम दावों को खारिज कर रहा है। अब कर्मचारी यूनियन एचएमएस का कहना है कि बायोमेट्रिक प्रणाली संयंत्र हित में नहीं है।

भिलाई श्रमिक सभा एचएमएस के अध्यक्ष हरीराम यादव एवं महासचिव प्रमोद कुमार मिश्र ने बताया कि फेस रीडिंग द्वारा बायोमेट्रिक सिस्टम में जिस प्रकार की अनियमितता की खबर आ रही है। इससे जिस निजी कंपनी को ठेका दिया गया है, उस पर प्रश्न चिन्ह उठना स्वाभाविक है। यूनियन इसकी जांच की मांग इस्पात मंत्रालय एवं पीएमओ से करेगी।

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भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारियों के 39 महीने के एरियर्स सहित कई मुद्दे लंबित है। लेकिन इस पर ध्यान ना केंद्रित करते हुए बायोमेट्रिक सिस्टम को आनन-फानन में बिना किसी यूनियन की सहमति के लागू किया गया है। भिलाई इस्पात के कर्मचारी कर्मठ एवं ईमानदार हैं। उच्च प्रबंधन को यदि ऐसा प्रतीत होता है कि इससे मैनपॉवर में वृद्धि होगी तो यह मिथ्या है।

एक निजी कंपनी को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से इसे लागू किया गया है। भिलाई इस्पात संयंत्र की अपनी एक अलग कार्य संस्कृति है। यहां के कर्मचारी संयंत्र को अपना मानकर उत्पादन करते हैं। संयंत्र को 11 बार प्रधानमंत्री ट्रॉफी मिलना एक मिसाल है, जिसमें कर्मचारियों का महत्वपूर्ण योगदान है।

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उत्पादन का ग्राफ थम सा गया है…?

वर्तमान समय कर्मचारियों के लिए चुनौती पूर्ण हो गया है, जिस प्रकार भाईचारे की भावना से कर्मचारी-अधिकारी मिलकर हर विभाग में मैनपॉवर कम होने के बावजूद भी उत्पादन के नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे थे। वह कुछ थम सा गया है। विभागवार यदि उत्पादन पर नजर डाली जाए तो यह स्पष्ट हो जाएगा।

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बायोमेट्रिक सिस्टम के विरोध में नहीं, लेकिन…

यूनियन बायोमेट्रिक सिस्टम के विरोध में नहीं है, लेकिन इसे लागू करने के पूर्व सुरक्षा की अनदेखी की गई है, जिसे हर कर्मचारी महसूस कर रहा है। सिर्फ मेन गेट के चौराहे की गोलाई कम करने से एवं तख्ती लेकर कर्मचारी एवं ठेका श्रमिकों को को संयंत्र के भीतर सड़क पर खड़ा कर सड़क सुरक्षा संदेश देने से कुछ नहीं होगा, गेट के बाहर की स्थिति को भी समझना आवश्यक है। मेन गेट एवं बोरिया गेट पर कर्मचारी एवं ट्रैकों के एक रास्ते पर चलना दुर्घटना का महत्वपूर्ण कारण है।

संयंत्र के भीतर रीलिविंग सिस्टम है। टॉयलेट, रेस्टरूम की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। ऐसी स्थिति में कर्मचारी कहां रहेंगे। इसकी प्रबंधन को चिंता नहीं है। कुछ लोग 30 मई के एग्रीमेंट को हस्ताक्षर की बात कर प्रचारित कर रहे हैं। वह सिर्फ और सिर्फ इलेक्टोरल पॉलिटिक्स के शिकार हैं।

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बायोमैट्रिक अटेंडेंस का समझौता एनजेसीएस में 14 जून 2014 को हुआ था

बायोमैट्रिक अटेंडेंस का समझौता एनजेसीएस में 14 जून 2014 में ही हो गया था, जिसे फरवरी 2015 में भिलाई इस्पात संयंत्र के नॉन वर्क्स में ट्रायल किया गया तथा 1 जून से लागू किया गया था। उसे उस समय उन्हीं लोगो ने मौन स्वीकृति दी थी। संयंत्र के भीतर लागू करने की स्थिति ना तब थी, ना अब है, क्योंकि कर्मचारियों के लिए मूलभूत सुविधाएं वैसी की वैसी ही हैं।

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ठेका मजदूरों की संख्या बढ़ती जा रही है

भिलाई इस्पात प्रबंधन द्वारा 2015 के सर्कुलर को वर्तमान में पुनः लागू किया है। भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारी कामचोर नहीं है, बायोमेट्रिक सिस्टम लागू होने के पश्चात उन्होंने इसका प्रमाण दे दिया है, जो कार्य आपसी भाईचारे और समझ से हो रहा था, उस पर रोक लग गई है।

यही कारण है कि बायोमेट्रिक लागू होने के पश्चात मैनपावर की कमी की पूर्ति के लिए प्रबंधन द्वारा नए ठेका श्रमिकों की भर्ती को बढ़ाया जा रहा है, जो कार्य बीएसपी कर्मचारी के द्वारा किए जाते हैं। उन्हें अब ठेका श्रमिकों के माध्यम से करवाया जा रहा है। इसके विरोध में सभी कर्मचारियों को एकजुट होकर यूनियन के बैनर तले आना होगा तथा संघर्ष के लिए तैयार रहना होगा।

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