केंद्रीय बजट 2024: वित्त मंत्री जी नौकरीपेशा पर दीजिए ध्यान, क्रीमी लेयर का आयकर करें शून्य, करदाता को चाहिए राहत
- क्रीमी लेयर (Creamy Layer) स्तर तक आयकर शून्य करने की मांग। करदाताओं को राहत देने के लिए वित्त मंत्री को लिखा पत्र।
सूचनाजी न्यूज, बोकारो। केंद्रीय बजट (Union Budget) पेश होने वाला है। बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ (BSL Non-Executive Employees Union) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) को पत्र लिखकर आयकर का दायरा बढ़ाने की मांग की है। अपने पत्र में यूनियन ने लिखा है कि भारत की अर्थव्यवस्था, विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। परंतु सिस्टम और देश का दुर्भाग्य है कि मात्र 6% आबादी ही आयकर रिटर्न भरती है। उसमें भी 5.5% आबादी पर शून्य टैक्स है।
चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था तथा 132 करोड़ की जनसंख्या वाले देश में वास्तविक आयकर देने वाले की संख्या मात्र 72 लाख है। स्वाभाविक है कि आयकर वसूली तंत्र में काफी खामियाँ है, जिसके कारण देश में दूसरे स्त्रोत से आमदनी करने वाला वर्ग आयकर भुगतान से साफ बच जा रहा है।
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जीएसटी (GST) में प्रत्येक माह बढ़ता टैक्स कलेक्शन एक उदाहरण है कि व्यापारी वर्ग की आमदनी बढ़ रही है, परंतु करदाता की संख्या नहीं बढ़ रही है। विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका में टैक्स चुकाने वालो की संख्या 60% है, जो वहां कि सुचारु आयकर व्यवस्था को प्रदर्शित कर रही है।
यूनियन ने दिया ये भी सुझाव
(1) जीएसटी में ही आयकर समाहित हो: जब देश का प्रमुख टैक्स जीएसटी के माध्यम से वसूला जा रहा है तथा आयकर दाताओं से भी जीएसटी काटी जा रही है तो सबसे बेहतर होगा कि जीएसटी में ही कुछ और टैक्स प्रतिशत लगा कर सभी नागरिकों से आयकर वसूली की जाए।
(2) सरकार द्वारा घोषित क्रीमीलेयर स्तर की सीमा 8 लाख तक आयकर को शून्य घोषित किया जाए। एक तरफ सरकार क्रीमी लेयर (Creamy Layer) सीमा को गरीबी की सीमा बताती है तो फिर आयकर की सीमा कम रखने का कोई औचित्य नहीं है।
(3) 8 लाख रुपए से लेकर 15 लाख रुपए तक के स्लैब में आयकर भुगतान के प्रतिशत को 10% किया जाए।
(4) 15 लाख रुपया से लेकर 25 लाख रुपया तक की सीमा को 20% आयकर दायरे में किया जाए।
(5) 25 लाख से लेकर 40 लाख रुपया की सीमा को 25% आयकर के दायरे में किया जाए।
(6) 40 लाख रुपया से अधिक की कमाई करने वाले समूहों पर ही 30% टैक्स लगाया जाए।
(7) आयकर में, शिक्षा सेस को खत्म किया जाए, क्योकि सरकार चंद समूहों से अलग से टैक्स नहीं वसूल सकती है। वहीं, शिक्षा सेस का हिसाब भी सरकार नहीं देती है
सरकार के पास शिक्षा के लिए अलग से बजट भी रहता है।
टैक्सपेयर समूह आर्थिक विषमता का शिकार
वित्त मंत्री से कहा गया है कि भारत का टैक्सपेयर समूह अभी आर्थिक विषमता का शिकार हो रहा है, जिसमे नौकरीपेशा वर्ग पर काफी दवाब पड़ रहा है। इसलिए यूनियन द्वारा दिए गए सुझाव को लागू कर आयकर में राहत देने हेतु इस बजट में घोषणा करें।
मात्र 72 लाख लोग ही वास्तविक आयकरदाता
अभी सबसे बड़ा आयकर दाता, नौकरी पेशा वर्ग है। एक तरफ सरकार खुद क्रीमीलेयर की सीमा 8 लाख रुपया रखती है, तो दूसरी तरफ आयकर स्लैब 12 साल से बढ़ाया नहीं गया है। उसमे भी चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था तथा 132 करोड़ अबादी वाले देश का दुर्भाग्य है कि मात्र 72 लाख लोग ही वास्तविक आयकर दाता है।
मो. मुश्ताक आलम, उपाध्यक्ष-बीएकेऐस बोकारो
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