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मध्य प्रदेश

इस्पात मंत्री एचडी कुमार स्वामी जी…SAIL अधिकारियों को ग्रेच्युटी में 10 लाख, पेंशन मद में 30 लाख तक का नुकसान, एरियर भी बकाया

  • ग्रेज्यूटी के मद में लगभग 10 लाख रुपए की हानि हुई है।

  • 2007 के सेल के पे-रिविजन के आदेश की अवहेलना की गई है।

  • सेल अधिकारियों को सेल पेंशन 14 वर्ष विलंब से बिना किसी ब्याज के दिया गया।

  • 11 महीने के पर्क्स का एरियर्स का भुगतान अभी तक लंबित है।

  • विलंब के कारण पेंशन का कॉपर्स अन्य महारत्न कंपनियों के समकक्ष अधिकारियों की तुलना में आधे से भी कम है।

  • औसतन अधिकारियों को सेल पेंशन के मद में 5 से 30 लाख रुपए तक की हानि हुई।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। स्टील एग्जीक्यूटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया-सेफी ने सेल कार्मिकों के बकाया एरियर की मांग की है। सेफी ने केन्द्रीय इस्पात एवं भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी को पत्र लिखते हुए अधिकारियों के विगत 02 पे-रिविजनों में लंबित एरियर्स का भुगतान हेतु दिशा-निर्देश की मांग रखी।

अधिकारियों के द्वितीय पे-रिविजन 01.01.2007 से लागू किया गया। 2007 के सेल के पे-रिविजन के आदेश की अवहेलना करते हुए सेल अधिकारियों को सेल पेंशन 14 वर्ष विलंब से बिना किसी ब्याज के दिया गया।

11 महीने के पर्क्स का एरियर्स का भुगतान अभी तक लंबित है। 2017 के तीसरे पे-रिविजन के दौरान अधिकारियों को 39 महीने का एरियर्स, वित्त वर्ष 2018-19 का इंक्रीमेंटल पीआरपी तथा जनवरी 2017 से फरवरी 2018 के मध्य सेवानिवृत्त हुए अधिकारियों को बढ़ी हुई ग्रेज्यूटी की हानि हुई।

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द्वितीय पे-रिविजन में सेल पेंशन योजना लागू की जानी थी, उस दौरान सेल लगातार लाभ में चल रही थी। कंपनी आर्थिक रूप से अत्यंत सक्षम थी परंतु सेल पेंशन योजना की राशि सितम्बर 2021 में 14 वर्षों की देरी से अधिकारियों के एनपीएस खाते में बिना ब्याज के हस्तानांतरित की गयी।

इस विलंब के कारण पेंशन का कॉपर्स अन्य महारत्न कंपनियों के समकक्ष अधिकारियों की तुलना में आधे से भी कम है। औसतन अधिकारियों को सेल पेंशन के मद में 5 से 30 लाख रुपए तक की हानि हुई।

कैट और हाईकोर्ट तक चल रही जंग

इसी पे-रिविजन में 11 माह के पर्क्स की राशि के एरियर्स के शीघ्र भुगतान के विषय में सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर ने प्रकाश डालते हुए बताया कि सबसे पहले सेफी ने सेल में 26-11-2008 से 04-10-2009 के 11 माह के पर्क्स की राशि के भुगतान हेतु कैट के समक्ष केस दायर किया था।

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कैट ने आदेश क्रमांक ओए/350/00191/2014 दिनांक 15.02.2016 द्वारा सेफी के पक्ष में आदेश दिया था। जिसे सेल प्रबंधन ने कैट के आदेश को उच्च न्यायालय कोलकाता में चुनौती दी थी। दिनांक 13 सितंबर, 2023 को सेल की रिट याचिका को कोलकाता हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने खारिज कर दिया।

सेल अधिकारी थे विदेश यात्रा पर, आज तक मामला फंसा

सेफी चेयरमेन ने इस्पात मंत्री से आग्रह किया कि सरकार के दिशानिर्देश के तहत द्वितीय पे-रिविजन को अनुमोदित करने हेतु सेल प्रबंधन को अप्रैल 2008 में बोर्ड मीटिंग में प्रस्ताव पारित कर मंत्रालय को प्रेषित करना था।

परंतु विडम्बना यह है कि उस वक्त सेल का उच्च प्रबंधन एवं मंत्रालय के अधिकारी विदेश यात्रा पर थे। जिसके कारण उन्होंने सरकारी दिशानिर्देश के तहत दिए गए समय-सीमा के भीतर इस प्रस्ताव को रखने में देरी हुई जबकि उस वक्त सेल के पास हजारों करोड़ रूपये का सरप्लस राशि उपलब्ध थी। सेल के तत्कालीन उच्च प्रबंधन के उदासीनता का खामियाजा आज भी सेल के अधिकारी भुगत रहे हैं।

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आरआइएनएल ने दिखाई थी सक्रियता, मामला सब हल

इस संदर्भ में ज्ञात हो कि इस मुद्दे पर राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल.) ने तत्काल कार्यवाही करते हुए बोर्ड मीटिंग में इस प्रस्ताव को पारित कर अपने अधिकारियों को पूरा लाभ दिलाया। अतः सेल अधिकारियों को भी तदानुसार 11 माह का पर्क्स एरियर्स का भुगतान करवाने का आग्रह किया।

इसलिए सेल के अधिकारी हकदार, जानिए आंकड़े

थर्ड पे-रिविजन कमेटी की अनुशंसित रिपोर्ट व डीपीई दिशानिर्देश से महारत्न कंपनी सेल के अफसरों को पे-रिविजन के एरियर्स का भुगतान 01.04.2020 से किया गया है, जिससे अधिकारियों में असंतोष है।

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पे-रिविजन के निर्धारण के लिए तीन साल का पीबीटी को आधार बनाया गया है। इस दौरान सेल के घाटे में रहने से अधिकारियों के पे-रिविजन का लाभ 01.01.2017 से नहीं मिल पाया। अधिकारी संगठन अफोर्डेबिलिटी क्लॉस में बदलाव की मांग कर पिछले 10 वर्षों का पीबीटी को बनाने की मांग प्रधानमंत्री व अन्य केन्द्रीय मंत्रियों से लगातार करते रहे।

अफोर्डेबिलिटी क्लॉस, जिसमें तीन साल का पी.बी.टी. के हिसाब से एमजीबी देने की बात कही गयी। पिछले 10 साल पी.बी.टी. का एवरेज या श्रेष्ठ तीन पी.बी.टी. के हिसाब से एम.जी.बी. निर्धारित करने का आग्रह किया गया था। सेल का कुल लाभ 17 वर्षों में लगभग 81 हजार करोड़ है। उसके हिसाब से 17 साल का औसत लगभग 4770 करोड़ रुपए आता है।

श्रेष्ठ तीन वर्षों का पी.बी.टी. लिया जाए तो औसत करीब 10000 करोड़ आता है। इस हिसाब से सेल के अधिकारी 01.01.2017 से 31.03.2020 तक के पे-रिविजन के एरियर्स के हकदार होते हैं।

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FY:        PBT(Cr.): EBIDTA (Cr.) Depreciation(Cr.) Interest & Finance Charges (Cr.)
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22-23: 2637:     9379: 4963: 2037

ग्रेच्युटी को लेकर भी हो रहा नुकसान

इसी प्रकार वे अधिकारी जो जनवरी 2017 से फरवरी 2018 के मध्य सेवानिवृत्त हुए, उन्हें ग्रेज्यूटी के मद में लगभग 10 लाख रुपए की हानि हुई है। सेफी ने इस्पात मंत्री से आग्रह किया कि डीपीई दिशा-निर्देशानुसार ग्रेज्यूटी का भुगतान 20 लाख रुपए जनवरी 2017 से किया जाना चाहिए।

पीआरपी का भुगतान और इंक्रीमेंटल लाभ

सेफी चेयरमेन ने माननीय इस्पात मंत्री से अनुरोध किया कि सेल में वित्तीय वर्ष 2018-19 के पीआरपी का भुगतान की गणना में इंक्रीमेंटल लाभ को डीपीई के दिशानिर्देशों के अनुरूप समायोजित किया जाना चाहिए।

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विदित हो कि वित्त वर्ष 2017-18 में सेल ने कर पूर्व कुल हानि 759 करोड़ रूपये घोषित किया एवं वर्ष 2018-19 में कर पूर्व कुल लाभ 3338 करोड़ रूपये घोषित किया। जिससे इंक्रिमेंटल लाभ 4097 करोड़ रूपये पर आधारित पी.आर.पी. की गणना करने की मांग की है।

सेल के 15 हजार अधिकारियों के परिवार अब भी आस में

सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर ने बताया कि सेल बिरादरी में अधिकारियों के 02 पे-रिविजनों के वित्तीय भुगतान अभी तक लंबित है, जो कि प्राकृतिक न्याय के विरूद्ध है। वर्ष 2007 से लंबित भुगतानों के कुछ लाभार्थी अब हमारे बीच नहीं रहे।

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सेफी ने इस्पात मंत्री जी से आग्रह किया कि न्याय की बाट जोह रहे लगभग 15000 अधिकारियों एवं उनके परिवारों को शीघ्र ही एरियर्स का भुगतान करवाने हेतु उचित दिशानिर्देश देने की कृपा करें।

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