कर्मचारी की दर्दनाक मृत्यु के बाद गहरा शोक और गुस्सा, छत्तीसगढ़ में मनरेगा कर्मियों की सुरक्षा और सहायता को लेकर नया विवाद
रायपुर। छत्तीसगढ़ के कोंटा जनपद पंचायत में मनरेगा योजना के तकनीकी सहायक जयराम पोयाम की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई। रिपोर्ट के अनुसार, जयराम पोयाम शनिवार की छुट्टी के दिन प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्माण कार्य की निगरानी के लिए कोन्टा ब्लॉक मुख्यालय से लगभग 120 किलोमीटर दूर आंध्रप्रदेश की सीमा से लगे ग्राम गंगलेर, गोलापल्ली में निरीक्षण करने गए थे। वापसी के दौरान उनकी गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस दुर्घटना में जयराम पोयाम को गंभीर सिर में चोट आई। स्थानीय लोगों द्वारा उन्हें भ्रद्रचलम अस्पताल ले जाते समय उनकी मृत्यु हो गई। मृतक के परिवार में एक 5 वर्षीय बच्चा और पत्नी गर्भवती है। इस घटना की खबर फैलते ही प्रदेशभर में मनरेगा कर्मचारियों में गहरा दुख और सिस्टम के प्रति क्रोध देखने को मिला है।
जिले में भी मनरेगा कर्मचारियों ने एक होनहार साथी की मौत पर गहरा शोक प्रकट किया है। छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के जिला अध्यक्ष ने बताया कि मनरेगा कर्मचारियों पर प्रधानमंत्री आवास योजना और पंचायत विभाग के निर्माण कार्यों का भारी बोझ बढ़ गया है, लेकिन मनरेगा योजना के 18 साल पूरे होने के बावजूद कर्मचारियों के लिए कोई मानवीय संसाधन नीति नहीं बनाई गई है। वर्तमान में, शासन की ओर से मृतक के परिवार को केवल 1 लाख रुपए की अनुदान राशि देने का प्रावधान है, जो 12 साल पुराना है। यह राशि भी सभी जिलों में समान रूप से नहीं मिलती। पिछले वर्षों और कोरोना काल के दौरान कई मनरेगा कर्मी शहीद हुए हैं, लेकिन उनके परिवारों के सामाजिक सुरक्षा के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किया गया है। परिवार आज भी न्याय की प्रतीक्षा कर रहा है।
सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर एक संदेश वायरल हो रहा है, जिसमें कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में मनरेगा कर्मियों की जान की कीमत केवल 1 लाख रुपए है। 12 साल पहले शासन ने यह अनुदान राशि तय की थी, लेकिन इन वर्षों में विधायक के वेतन, सांसद निधि, विधायक निधि, जिला और जनपद पंचायत निधि में वृद्धि हुई है। सांसद और पंचायत के जनप्रतिनिधियों के वेतन और भत्ते भी बढ़े हैं, जबकि नियमित कर्मचारियों के वेतन, इंक्रीमेंट और अन्य भत्तों में भी वृद्धि हुई है। इसके बावजूद, मनरेगा संविदा कर्मचारियों की समस्याओं और सुरक्षा की अनदेखी की जा रही है। आंदोलन करने पर भी इन्हें जनविरोधी या राष्ट्रविरोधी करार देने की धमकियां मिलती हैं।
सरकार को चाहिए कि वह मनरेगा कर्मचारियों के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए मृतक की पत्नी को अनुकंपा नौकरी देने के साथ 10 लाख रुपए की अनुदान राशि प्रदान करे और समस्त मनरेगा कर्मचारियों के लिए एक बेहतर मानव संसाधन नीति लागू करे।