सेल कर्मचारी जाएं तो जाएं कहां…जागो नेता जागो, सेफी-ओए की तरह कब मिलेंगे इस्पात मंत्री से…
आफिसर्स एसोसिएशन से क्यों नहीं सीख रहे ट्रेड यूनियन नेता, कर्मियों का टूट रहा सब्र का बांध।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल (Steel Authority of India Limited) के कर्मचारी यह सवाल लगातार उठा रहे हैं कि आखिर उनके साथ सौतेला बर्ताव क्यों किया जा रहा है। अधिकारियों के प्रतिनिधि सेफी, ऑफिसर एसोसिएशन लगातार अपने अधिकारियों के लिए प्रयास करते रहते हैं।
कभी सेल चेयरमैन से मिलते हैं, कभी डायरेक्टर पर्सनल से मिलते हैं। कभी इस्पात मंत्री से मिलते हैं। कभी इस्पात राज्य मंत्री से मिलते हैं और कभी श्रम मंत्री से मिलते हैं। जरूरी नहीं हर बार वे कुछ हासिल कर आते हैं। लेकिन यह जरूरी है लगातर अपनी बातचीत जरी रखते हैं और एक सकारात्मक माहौल बनाकर रखते हैं और बीच-बीच में इसका परिणाम भी मिलता है। अधिकारियों के लिए कुछ ना कुछ लेकर आते हैं।
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वहीं, इसके उलट कर्मचारी प्रतिनिधि मीटिंग का इंतजार करते हैं। चिटिठयां देते रहते हैं। यूनिट लेवल पर प्रदर्शन करते हैं। लेकिन कभी भी खुले मन से चाहे वह जॉइंट हो, चाहे वह अकेली यूनियन जाकर इस्पात मंत्री, डायरेक्ट पर्सनल या किसी अन्य बड़े अधिकारी से नहीं मिलते हैं।
और कहीं ना कहीं इसका असर या खामियाजा कर्मचारियों को सीधे-सीधे भुगतना पड़ता है। ताज्जुब वाली बात यह है कि भिलाई में मान्यता में बीएमएस है, उनकी सरकार है, उनके मंत्री है, उनके सांसद हैं, उनके विधायक हैं, लेकिन वह भी अपने दिल्ली में बैठे पदाधिकारी के इतर होकर मिलने नहीं जा रहे हैं।
वेतन समझौता अभी भी लंबित
आखिर कब तक ऐसे चलता रहेगा। वेतन समझौता वह भी अधूरा। वेतन समझौता अभी भी लंबित है। आखिर कर्मचारी जाएं तो जाएं कहां और निचले स्तर के लीडर जो शॉप लेवल में अपने यूनियन का प्रतिनिधित्व करते हैं। वह कब तक कर्मियों की दुत्कार सुनते रहें और क्यों सुनें।
TA-DA मिलेगा, तभी वे बैठक में जाएंगे
कुल मिलाकर यह देखा जा रहा है कर्मचारियों के प्रतिनिधि ऐसा लगता है उन्हें TA-DA मिलेगा, तभी वे बैठक में जाएंगे। अधिकारियों से मिलेंगे। अन्यथा वे नहीं जाएंगे। सवाल यह उठ रहा है क्या ऐसे यूनियनों की कर्मचारियों को आवश्यकता है।
और जब जाते भी है तो नाइट शिफ्ट एलाउंस के साथ बायोमेट्रिक को साइन करके आ जाते हैं। आखिर फायदे से ज्यादा कर्मचारियों का नुकसान कर रहे हैं तो क्या वाकई में कर्मियों को ऐसी यूनियनों की आवश्यकता है।
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ट्रेड यूनियन नेता सबक नहीं ले रहे
लगातार यह सवाल उठने के बाद भी यूनियन नेता सबक नहीं ले रहे और आखिर चाहते क्या है? लगातार कर्मियों का नुकसान हो रहा है? कर्मी आखिर करें तो क्या करें? यह दुखड़ा सेल के एक कर्मचारी ने सूचनाजी.कॉम के साथ साझा किया है।
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