हर दिन लगभग एक हजार होम आइसोलेशन के मरीजों के स्वास्थ्य की निगरानी हो रही टेली कालिंग द्वारा
4 जोन में बांटा गया जिला, 40 स्टाफ नर्स संभाल रही जिम्मेदारी
कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे, डिप्टी कलेक्टर प्रियंका वर्मा, दिव्या वैष्णव भी समय समय पर कर कॉल कर व्यवस्था का कर रहे रिव्यु
फीडबैक मिलते ही दिक्कत आने पर नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र से भेजी जा रही टीम
दुर्ग। होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों के स्वास्थ्य पर नजर रखने शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय में होम आइसोलेशन कंट्रोल सेंटर बनाया गया है। यहां 40 स्टाफ नर्स लगातार कॉल कर लोगों से स्वास्थ्य का हाल पूछ रही हैं। ऑक्सीमीटर की रीडिंग पूछ रही है और तापमान भी पूछ रही हैं। किसी तरह की दिक्कत होने पर सुझाव दे रही हैं और नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों से हेल्थ टीम भेजी जा रही है। डिप्टी कलेक्टर सुश्री दिव्या वैष्णव ने बताया कि यह टीम पाली में रात दिन काम कर रही है। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे के मार्गदर्शन में यह कार्य किया जा रहा है। कलेक्टर भी इस संबंध में मरीजों से बात करते हैं। उद्देश्य यह है कि घर में रहकर भी मरीज अपना मनोबल बनाये रखें। जब फोन आता है तो वे आश्वस्त हो जाते हैं। हम छोटी छोटी बारीकियां भी पूछते हैं जैसे कि आज भोजन में क्या खाया। हम उन्हें रीच प्रोटीन डाइट की सलाह देते हैं। खूब दाल खाएं, पनीर खाएं। बीमारी को दूर करने में प्रोटीन की बड़ी भूमिका होती है। मौसमी फलों की सलाह देते हैं। कॉलेज की प्राचार्य ने बताया कि 6 मरीजों ने बताया कि ऑक्सीजन लेवल थोड़ा कम हुआ है। हमने उन्हें तुरंत हॉस्पिटल रेफेर कर दिया। प्रभारी अधिकारी डिप्टी कलेक्टर प्रियंका वर्मा ने बताया कि जब पहली बार मरीज को जब कॉल किया जाता है तो उन्हें कहा जाता है कि यह नंबर सेव कर लें। यह होम आइसोलेशन सेंटर का नंबर है। दिक्कत हो तो तुरंत फोन करें। उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा लाभ लोगों के मनोबल बढ़ाने में होता है। फोन आता है तो वे मनोवैज्ञानिक रूप से निश्चिंत हो जाते हैं। स्टाफ नर्स उनकी स्थिति के बारे में उन्हें बताती हैं कि आप बिल्कुल रिकवरी की ट्रैक पर हैं। डिप्टी कलेक्टर दिव्या वैष्णव ने बताया कि वे भी रोज 10 वीडियो कॉल करती हैं और लोगों से पूछती है। आक्सीमीटर में हमारे सामने आंकड़े दिखाते हैं और हम लोग कहते हैं कि आप बहुत जल्दी स्वस्थ हो जाएंगे, बस होम आइसोलेशन के कोविड प्रोटोकॉल को फॉलो करें। उन्होंने बताया कि हमने जनप्रतिनिधियों को भी अपने प्रयासों में शामिल किया है। उनके माध्यम से पड़ोसियों से अपील की है कि होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों को ग्रोसरी की जरूरत हो तो उपलब्ध कराएं। किसी तरह की दवा की आवश्यकता होने पर हेल्थ की टीम वहां पहुंचकर इसकी व्यवस्था कर देती है। उल्लेखनीय है कि कालिंग के लिए और व्यवस्था देखने 4 जोन बनाये गए हैं। इनमें दुर्ग, भिलाई, भिलाई 3 और ग्रामीण क्षेत्र हैं। जिनके माध्यम से पूरे जिले को कवर किया जा रहा है। स्टाफ नर्स शकुंतला का कहना है कि यह अनुभव अद्भत है। रिकवर होते लोगों को सुनना बहुत अच्छा लगता है। हम उन्हें सलाह भी देते हैं। कॉल सेंटर की व्यवस्था बहुत उपयोगी साबित हुई है। होम आइसोलेशन में रह रहे केलाबाड़ी के आकाश ने बताया कि उनके पास प्रशासन की ओर से वीडियो कॉल आया। बहुत खुशी हुई कि इस तरह से हमारा ध्यान रखा जा रहा है।
फीवर क्लिनिक के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त
दुर्ग। कोविड-19 की निःशुल्क जांच हेतु निगम क्षेत्र में संचालित फीवर क्लीनिक की व्यवस्था के सुचारू संचालन हेतु नोडल अधिकारी नियुक्त किये गए हैं। इनमें जिला अस्पताल, दुर्ग के लिए श्री खेमलाल वर्मा, अनुविभागीय अधिकारी, दुर्ग को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। इसी प्रकार चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल हॉस्पिटल कचंादुर, लाल बहादुर शास्त्री सिविल अस्पताल सुपेला, शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खुर्सीपार, शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बैकुंठधाम, शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र छावनी, शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोसानगर, शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टंकी मरोदा, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोहका, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र वैशाली नगर, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जुनवानी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बापू नगर के लिए श्री ऋतुराज रघुवंशी, आयुक्त, नगर पालिक निगम, भिलाई को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। इसी प्रकार श्री शंकराचार्य कोविड हॉस्पिटल जुनवानी दुर्ग, शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बघेरा, शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पोटिया कला और शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धमधानाका के लिए श्री इंद्रजीत बर्मन आयुक्त, नगर पालिक निगम, दुर्ग को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। नोडल अधिकारी फीवर क्लीनिक व्यवस्था, कोरोना टेस्टिंग एवं आवश्यक लैब टेक्नीशियन व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे।
निजी चिकित्सालयों में भी सभी मरीजों का प्राथमिक उपचार एवं उन्हें स्टेबल करने की कार्रवाई जरूरी
दुर्ग। जिले के सभी निजी चिकित्सालयों को निर्देशित किया गया कि चिकित्सालय में आने वाले सभी प्रकार के मरीजों का प्राथमिक उपचार एवं उन्हें स्टेबल किया जाना सुनिश्चित करें। चिकित्सालय में आइसोलेशन की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि नॉन कोविड-19 का उपचार हो सके। गंभीर किस्म के मरीजों के लिए वेंटीलेटर रखा जाना भी सुनिश्चित करें। यदि किसी मरीज को रिफर करना आवश्यक हो तो प्राथमिक उपचार एवं स्टेबल होने के पश्चात ही अन्य सेंटर में रिफर करें। इन निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।
महिलाएं कर रही गौठान का संचालन, बना रही हैं जैविक खाद
दुर्ग। ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक गतिविधियों से जोड़ने के लिए विशेष प्रयास लगातार जारी हैं। बिहान योजना के तहत महिलाओं को रोजगार मूलक कार्य के रूप में वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने का प्रशिक्षण दिया गया इस तरह इनको गांव में ही काम उपलब्ध कराया जा रहा है।राज्य सरकार की योजना नरवा, गरूवा, घुरूवा और बाड़ी योजना से सुराजी गाँव की परिकल्पना साकार होती नजर आ रही है। स्व सहायता समूह की महिलाएं गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट खाद और नाडेप टैंकों में पारंपरिक खाद का निर्माण कर रही हैं। जिला पंचायत से मिली जानकारी के मुताबिक जिले भर के गौठानों में 1176 नाडेप एवं 1264 वर्मी कम्पोस्ट टैंक निर्मित किए गए हैं।दुर्ग जनपद पंचायत के 62 गौठानों में 543 नाडेप और 579 वर्मी कम्पोस्ट टैंक बने हैं जिनसे अब तक 7271 क्विंटल पारंपरिक कम्पोस्ट और43 क्विंटल केंचुआ खाद का उत्पादन किया है।इसी प्रकार जनपद पंचायत धमधा के 79 गौठानों में 274 नाडेप और 375 वर्मी कम्पोस्ट टैंक निर्मित किए गए हैं और की 581 नाडेप, 61 क्विंटल केंचुआ खाद का निर्माण किया गया है।वहीं जनपद पंचायत पाटन के 77 गौठानों में 359 नाडेप और 310 वर्मी कम्पोस्ट टैंकों में 750 क्विंटल नाडेप और 63 क्विंटल केंचुआ खाद का उत्पादन किया है। जिला पंचायत सीईओ श्री सच्चिदानंद आलोक ने बताया कि महिलाएं आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही हैं। गांव की स्व-सहायता समूह की महिलाएं जिसमें अध्यक्ष व अन्य महिलाएं पूरी तन्मयता से कार्यरत हैं। गौठान का संचालन स्व-सहायता समूह की महिलाएं ही कर रही है। गौवंश के लिए सभी तरह के इंतजाम किए गए है। गोबर खरीदी योजना के अंतर्गत महिला 2 रू किलो में गोबर खरीदकर गौठानों में जैविक खाद का निर्माण किया जा रहा है। जिसे शासन के निर्देशानुसार विक्रय किया जाएगा। जनपद पंचायत दुर्ग में ग्राम पंचायत आलबरस जय मां लक्ष्मी स्व-सहायता समूह, ग्राम पंचायत विनायपुर में खुशी स्व-सहायता समूह, ग्राम पंचायत मचान्दुर में लक्ष्मी स्व-सहायता समूह, ग्राम पंचायत घुघसीडीह भारत माता स्व-सहायता समूह, चंदखुरी में सिंधुजा स्व-सहायता समूह, ग्राम पंचायत ढाबा में दीप माला स्व-सहायता समूह, ग्राम पंचायत उमरपोटी मां शेरावली स्व-सहायता समूह, जनपद पंचायत पाटन में ग्राम पंचायत अमलीडीह संगवारी स्व-सहायता समूह, ग्राम पंचायत पाहंदा में प्रार्थना स्व-सहायता समूह, ग्राम पंचायत ढौर में प्रगति स्व-सहायता समूह, जनपद पंचायत धमधा में ग्राम पंचायत देवरी, अम्बे स्व-सहायता समूह, पोटिया में जय माता दी स्व-सहायता समूह, खपरी(ग) जय शीतला स्व-सहायता समूह, घटियाखुर्द (खपरी ग) जय माहावीर स्व-सहायता समूह, द्वारा जैविक खाद निर्माण किया जा चुका है। गौठान गोबर और गांव से निकले कचरे से भी बनाएंगी जैविक खाद गौठान योजना के जरिये, गांव की महिलाओं ने साफ रखने के साथ कमाई का जरिया भी ढूंढ लिया है। गांव से निकलने वाला कचरे, अपशिष्ट पदार्थ और गौठान के गोबर से भी खाद बनाने की तैयारी की जा रही है। जिससे जैविक खाद भी बनेंगे और गांव भी स्वच्छ होंगे। महिलाओं को इस योजना से रोजगार का साधन मिल पाया है साथ ही महिलाएं अपने पैरों में खड़े होने का जज्बा भी दिखा रही हैं।