सियासी दबाव में यूनिफाइड पेंशन स्कीम आई, EPS 95 पेंशनर्स के लिए कुछ नहीं, 31 अगस्त तक की डेडलाइन
- राजनीतिक दबाव में एकीकृत पेंशन योजना लागू की गई।
- केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए पेंशन योजना को और उदार बनाया।
- 22 लाख पेंशनभोगी खुश हो सकते हैं जो वोट में बदल सकते हैं।
सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organization (EPFO)) और केंद्र सरकार (Central Government) से लाखों पेंशनभोगियों को आस है कि उनकी न्यूनतम पेंशन (Minimum Pension) बढ़ेगी। इसके लिए हर तरह से आवेदन, निवेदन और धमकी का दौर चल रहा है। 1000 रुपए न्यूनतम पेंशन में जिंदगी काटने वाले पेंशनभोगी 7500 रुपए की मांग कर रहे हैं। वहीं, सियासी समीकरण भी समझाए जा रहे हैं कि पेंशनर्स किस तरह से काम करें कि सरकार पर दबाव बन सके।
पेंशनर्स गौतम चक्रवर्ती लिखते हैं कि एक कार्यशील लोकतंत्र में जनमत और दबाव ऐसे ही काम करते हैं। सबसे पहले, लोकप्रियता में कमी और लोकसभा में चार सौ से ज़्यादा सीटें न जीत पाने का सदमा। दूसरा, हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में हार का डर। उसी समय उत्तर प्रदेश में दस विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होंगे।
हर सीट का महत्व केंद्र सरकार को आंतरिक और बाहरी तौर पर व्यापक प्रभाव डालने वाले महत्व से है। हार से गठबंधन सरकार पर मोदी जी की पकड़ और कमज़ोर होगी और नीतीश और नायडू का प्रभाव भी उसी अनुपात में बढ़ेगा।
यह सिर्फ़ राजनीतिक स्वार्थ है जिसने मोदी एंड कंपनी को एकीकृत पेंशन योजना के ज़रिए केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए पेंशन योजना को और उदार बनाने पर विचार करने के लिए मजबूर किया है। इससे 22 लाख पेंशनभोगी खुश हो सकते हैं जो वोट में बदल सकता है। लेकिन ईपीएस 95 पेंशनभोगियों के लिए अब तक कुछ नहीं हुआ।
एनएसी के नेता कमांडर अशोक राउत ने…
एनएसी के नेता कमांडर अशोक राउत ने 31 अगस्त की समयसीमा तय की है। मोदी जी महाराष्ट्र में रहे और लखपति दीदी, बैंक सहेली और अन्य योजनाओं से महिलाओं को किस तरह लाभ मिला। इस पर भाषण दिया। महाराष्ट्र में एनएसी मजबूत है। ईपीएस 95 पेंशनभोगियों (EPS 95 Pensioners) की पीड़ा और मोदी जी द्वारा दो बार पहले अपने वादों से मुकरने को याद किया जा सकता है।
ईवीएम और नोटा बटन आने वाले सभी चुनावों में…
पेंशनर्स ने लिखा-पोस्टर, बैनर और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (Electronic Media) के माध्यम से प्रधानमंत्री का ध्यान खींचा जा सकता है। अगर कुछ नहीं हुआ तो ईवीएम और नोटा बटन आने वाले सभी चुनावों में भाजपा की इमारत और उम्मीदों को गिरा देंगे। पुराने राष्ट्र निर्माता अपनी ताकत दिखाएंगे। यह एक पुराने शिक्षक और लाखों राष्ट्र निर्माताओं की इच्छा है।
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