दुर्ग जिले के किसानों के बीज उत्पादन कार्यक्रम का समापन: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा तकनीकी जानकारी प्रदान
बीज उत्पादन प्रशिक्षण: छह दिवसीय कार्यक्रम में 28 किसानों ने लिया भाग
तकनीकी मार्गदर्शन: बीज प्रमाणीकरण, ग्रेडिंग मशीन, जैविक बीज भंडारण पर विशेषज्ञों ने दी जानकारी
आगामी फसलें: सरसों और चना उत्पादन के लिए तकनीकी सहायता का आश्वासन
प्रायोगिक प्रदर्शन: कृषि विज्ञान केन्द्र पाहंदा में बीज ग्रेडर इकाई का प्रदर्शन
दुर्ग। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल के निर्देशन से कृषि विज्ञान केन्द्र पाहंदा ष्अष् में दुर्ग जिले के किसानों के बीज उत्पादन कार्यक्रम समापन कार्यक्रम में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के निदेशक विस्तार सेवायें डॉ. एस.एस. टूटेजा ने जिले के किसान प्रशिक्षणार्थी के समस्त प्रश्नों जैसे बीज की ग्रेडिंग मशीन लगाने की प्रक्रिया, बीज प्रमाणीकरण के लिये पंजीयन प्रक्रिया, बीज निरस्त होने पर किसानों को नुकसान हो तो क्या करना है, जैविक बीज बनाने के लिये प्रमाणीकरण की प्रक्रिया, जैविक बीज भंडारण में सावधनियां, जैविक फसल में कोई रसायन मिला हो तो कैसे जांच हो, बीजों के भर्ती के लिये बोरी जूट की हो या प्लास्टिक बोरी का उपयोग किया जाए, बोरे की व्यवस्था किसके माध्यम से किया जायेगा जैसे कई प्रश्नों की तकनीकी जानकारी प्रदान की। छः दिवसीय इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 28 किसानों ने भाग लिया इस कार्यक्रम में किसानों को जैविक धान उत्पादन की पंजीयन प्रक्रिया, जैविक बीज उत्पादन, जैविक धान विक्रय के लिये एफ.पी.ओ. की भूमिका पर भी चर्चा हुई। इसके पूर्व डॉ. ईश्वरी कुमार द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र के ग्रेडर ईकाई जहां बीज संशाधित किया जाता है का प्रायोगिक प्रदर्शन किसानों को कराया गया। कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख डॉ. विजय जैन में आगामी फसलों जैसे सरसों, चना, आदि के लिए तकनीकी ज्ञान उपलब्ध कराने का किसानों को आश्वस्त किया। कार्यक्रम के अन्त में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विनय नायक द्वारा प्रेषित किया गया।