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स्व सहायता समूह की महिलाओं ने सीखा बाँस से रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुएं बनाना इको फेंडली एवं सस्टेनेबल लाइवलीहूड में बाँस है बहुत उपयोगी

कौशल संवर्धन के साथ साथ अतिरिक्त आय का जरिया होगा निर्मित

टेबल लैंप, विंड चाइम ,रेनमेकर झूला, मोबाइल स्पीकर, कपड़े लटकाने का हैंगर, साड़ी लटकाने का हैंगर चिमटा, डस्टबिन के साथ बैम्बू चारकोल बनाने की मिली ट्रेनिंग

बिहान के तहत एनआरएलएम द्वारा आयोजित 7 दिवसीय प्रशिक्षण का हुआ आयोजन

दुर्ग। जिला पंचायत द्वारा स्व सहायता समूह की महिलाओं के कौशल संवर्धन के लिए विशेष प्रयास किए जाते रहे हैं। इसी कड़ी में एनआरएलएम (बिहान) के तहत महिलाओं को बाँस से दैनिक उपयोग की विभिन्न चीजें निर्मित करने का प्रशिक्षण दिया गया। जिला पंचायत सीईओ श्री सच्चिदानंद आलोक ने बताया कि ग्रामीण महिलाओं को अलग-अलग तरह के उत्पाद निर्माण की ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि कौशल संवर्धन के साथ-साथ आजीविका के साधन भी निर्मित हों। साथ ही इको फेंडली एवं सस्टेनेबल लाइवलीहूड में बाँस के बहुआयामी उपयोग  को देखते हुए इस प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। बाँस आसानी से उपलब्ध होता है। इसलिए इनसे बहुत से उपयोगी सामग्रियों का निर्माण सीख कर महिलाओं ने एक नया हुनर भी सीखा।

अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रशिक्षक श्री गनी जमान ने दिया प्रशिक्षण, बताया बाँस से सैकड़ों उत्पाद हो सकते हैं निर्मित-

       महिलाओं को प्रशिक्षण देने के लिए वल्र्ड बैम्बू ऑर्गेनाइजेशन  तथा द बैम्बू फोरम ऑफ इंडिया की सदस्य भी है। करीब 25 सालों से श्री गनी जमान बाँस के क्षेत्र में काम कर रहे  हैं। विशेष रूप से इन महिलाओं को प्रशिक्षित करने आए श्री जमान ने बताया कि इससे पहले उन्होंने आर्किटेक्चर की विद्यार्थियों को आधुनिक एवं वैज्ञानिक तरीके बाँस का इस्तेमाल भवन निर्माण में करने की ट्रेनिंग दी है। बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सीईटी भुवनेश्वर, गुवाहाटी कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर एसबीए विजयवाड़ा, गीतम यूनिवर्सिटी डिपार्टमेंट ऑफ आर्किटेक्चर विशाखापट्टनम, श्री श्री यूनिवर्सिटी कटक, वेल्लोर इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी, मेस्ट्रो स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर के विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दिया है। लेकिन इन महिलाओं के साथ काम करने का अलग ही अनुभव रहा उन्होंने बताया कि महिलाएं अपने घर पर ही रह कर बाँस से दैनिक उपयोग की सैकड़ों चीजें बना सकती हैं और विक्रय कर आमदनी अर्जित कर सकती हैं। महिलाओं को ट्रेनिंग देकर एक आत्म संतुष्टि हुई क्योंकि इससे आर्थिक स्वावलंबन के साथ-साथ उनके आत्मविश्वास में भी बढ़ोतरी होगी। चार पैसे जब महिलाओं के हाथ मे आते हैं तो वो परिवार के हित में ही इस्तमाल करती हैं जिससे पूरे परिवार का जीवन स्तर भी सुधरता है।

बाँस के रखरखाव का तरीका भी सीखा-

प्रशिक्षण में गांव को केवल बाँस के उत्पाद बनाना ही नहीं सिखाया गया, बल्कि लंबे समय तक उन वस्तुओं को सुरक्षित रखने के लिए बाँस के रखरखाव के बारे में भी सिखाया गया। बाँस को बैक्टीरिया की मदद से वैज्ञानिक तरीके से कैसे दीमक से बचाने के तरीके के साथ-साथ बोरिक एसिड व बोरिक पॉवडर की मदद बाँस को सुरक्षित रखने के तरीका भी सिखाया गया।

छत्तीसगढ़ में बाँस से जुड़े उद्योगों के लिए असीम संभावनाएं, किसानों की आय में वृद्धि के साथ कुटीर उद्योग, कपड़ा, कागज उद्योग में भी है उपयोगी-

       श्री गनी जमान ने बताया बाँस एक ऐसी वनस्पति है जिसके अनगिनत उपयोग हैं। मकान, पुल, फर्नीचर, बर्तन, कपड़ा, दैनिक उपयोग की वस्तुओं के साथ-साथ सजावटी सामान बाँस से बनते हैं। इसके अलावा बाँस के औषधीय उपयोग भी हैं। उन्होंने बताया कि वो नार्थ ईस्ट के रहने वाले हैं जहां 50 से अधिक प्रजातियां उगती हैं। उत्तर पूर्वी राज्यों के जीवन का अभिन्न हिस्सा है। बाँस की श्रेष्ठ कारीगरी भी होती है। बाँस हमारे जीवन और संस्कृति का अभिन्न अंग है और इसका इस्तेमाल धार्मिक अनुष्ठानों कला और संगीत में भी किया जाता है। बाँस 4-5 साल में परिपक्व हो जाता है जबकि ठोस लकड़ी वाले किसी पेड़ को परिपक्व होने में करीब 60 साल लगते हैं। लेकिन इमारती लकड़ी वाले पेड़ों से अलग हटकर बाँस की पर्यावरण पर बुरा असर डाले बगैर कटाई की जा सकती है। बाँस का पेड़ भारी वर्षा या कम वर्षा, दोनों ही तरह की जलवायु में पनप सकता है। हर साल इसके एक पेड़ से 8-10 शाखाएं निकलती हैं। अन्य पेड़ों की तुलना में बाँस का पेड़ 35 प्रतिशत अधिक ऑक्सीजन वायुमंडल में छोड़ता है और 20 प्रतिशत कार्बन-डाई-ऑक्साइड अवशोषित करता है। बाँस की वैज्ञानिक तरीके से खेती करने से वायुमंडल में आक्सीजन का उत्सर्जन और कार्बन-डाई-ऑक्साइड का अवशोषण बढ़ाकर पर्यावरण में भी सुधार लाया जा सकता है।

लक्ष्मी ने पारंपरिक बसूपा, टोकरी, झऊँहा,पर्रा के साथ अब नई नई चीजें बनाना सीखा-

       छत्तीसगढ़ में  बाँस यहाँ की परंपरा से जुड़ा हुआ है मकान बनाने से लेकर धार्मिक अनुष्ठान तथा दैनिक उपयोग की सूपा, टोकरी, झऊँहा, पर्रा आदि का निर्माण बाँस से किया जाता है। लेकिन अब तक यह कार्य केवल एक विशेष समुदाय के लोगों द्वारा किया जाता था।  श्रीमती लक्ष्मी कड़रा बताती है उनका पैतृक काम बाँस से जुड़ा है 20 सालों से वो टुकनी पर्रा , चरिहा आदि बना रही हैं, लेकिन आधुनिक समय में हर वर्ग के लोगों को जोड़कर इससे अच्छी आमदनी अर्जित की जा सकती है। इस प्रशिक्षण में महिलाओं को टेबल लैंप, विंड चाइम, रेनमेकर झूला, मोबाइल स्पीकर, कपड़े लटकाने का हैंगर, साड़ी लटकाने का हैंगर चिमटा डस्टबिन इत्यादि निर्मित करना सिखाया गया। जो एक तरह से इनके काम में वैल्यू एडिशन है।

महिलाओं ने बहु उपयोगी ‘बैम्बू चारकोल’ बनाना भी सीखा

       प्रशिक्षण में महिलाओं को बाँस से चारकोल बनाना भी सिखाया गया। जो बहुत ज्यादा उपयोगी है। भवन निर्माण, फर्नीचर और दूसरी वस्तुओं के निर्माण के दौरान जी अनुपयोगी बाँस बचता है उससे बैंबू चारकोल बनता है। इस तरह आम के आम गुठलियों के भी दाम वाली कहावत चरितार्थ होती है। बैम्बू चारकोल का उपयोग एयर फ्रेशनर से लेकर सौंदर्य प्रसाधनों के निर्माण में होता है।

ये है बाँस की उपयोगी प्रजातियां-

       विगत 25 वर्षों से लगातार बाँस के क्षेत्र में कार्य कर रहे श्री जमान ने बताया कि डेंड्रोकैलैमस गाईंगेंटस भवन निर्माण हेतु बहुत उपयोगी है। इसकी ऊंचाई 100 फीट तक और मोटाई 7 इंच होती है। इसकी कम्प्रेशन क्षमता बहुत अधिक होती है। इसी प्रकार डेंड्रोकैलैमस हेमुलटेनाई प्रजाति में बहुत अधिक लचक होती है जिसके कारण यह कांवर इत्यादि के निर्माण में प्रयुक्त होता है। इसकी मोटाई 3 इंच व लंबाई 80 मीटर तक डेंड्रोकैलैमस बालकुआ को ‘ग्रीन स्टील’ भी कहा जाता है जो भवन एवं पुल निर्माण में उपयोगी है। उन्होंने बताया माइल्ड स्टील की कम्प्रेशन क्षमता 26 हजार पाउंड अर्थात लगभग 11 हजार 793 किलोग्राम है, वहीं डेंड्रोकैलैमस बालकुआ की कम्प्रेशन क्षमता 28 हजार पाउंड अर्थात 12 हजार 700 किलोग्राम है। इसकी मोटाई 4 इंच तक वाल की थिकनेस 2.5 इंच व लंबाई 80 फीट तक होती है। इसी प्रकार बैम्बूसा तुलदा प्रजाति अगरबत्ती उद्योग में उपयोगी है। इसकी मोटाई 2.5 इंच व लंबाई 30 फीट तक होती है।

20 समूह  से की महिलाओं ने लिया प्रशिक्षण-

       एनआरएलएम में लाइवलीहुड की डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम मैनेजर सुश्री नेहा बंसोड़ ने बताया कि प्रशिक्षण में 20 स्व सहायता समूह की महिलाएं सम्मिलित हुई जिन्होंने बाँस से दैनिक उपयोग की एवं सजावट की सामग्रियां बनाना सीखा। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य महिलाओं का कौशल उन्नयन था। प्रशिक्षण में शामिल हुई महिलाओं ने बताया कि उन्हें यह प्रशिक्षण बहुत उपयोगी लगा।  इसके माध्यम से वो दैनिक उपयोग की वस्तुएं बनाना सीख रही हैं। महिलाओं ने कहा कि वे अपने काम में और सुधार तथा परफेक्शन लाकर अच्छा करने की कोशिश करेंगी। ताकि इस प्रशिक्षण का कमर्शियल फायदा उठा कर आय अर्जित कर सकें।

सैनिक स्कूल में प्रवेश हेतु आवेदन आमंत्रित

       दुर्ग। सैनिक स्कूल अम्बिकापुर में शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए कक्षा 6 वीं व 9 वीं में प्रवेश के लिए आनलाईन आवेदन 20 अक्टूबर से प्रारंभ हो गई है। आवेदन की अंतिम तिथि 19 नवंबर 2020 तक है। आवेदन राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) की वेबसाईट https://aissee.nta.nic.in पर कर सकते है। प्रवेश परीक्षा 10 जनवरी 2021 को आयोजित किया जाएगा।

 

थैरेपिस्ट के पदों  हेतु संविदा भर्ती आवेदन आमंत्रित

       दुर्ग। जिला परियोजना कार्यालय, समग्र शिक्षा दुर्ग के समावेशी शिक्षा अंतर्गत विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा में जोड़ने हेतु विकासखण्ड स्तर पर संचालित संसाधन स्त्रोत केन्द्रों में थैरेपिस्ट पद हेतु भर्ती के इच्छुक आवेदकों से 10 नवबंर 2020 तक आवेदन पत्र रजिस्र्टड डाक के माध्यम से भेज सकते है। अधिक जानकारी हेतु जिला परियोजना कार्यालय, समग्र शिक्षा दुर्ग के सूचना पटल का अवलोकन कर सकते है।

 

 

स्लम स्वास्थ्य योजना अंर्तगत कैम्प सुबह 8 बजे से 3 बजे तक

       दुर्ग। स्लम स्वास्थ्य योजना अंतर्गत मोबाइल मेडिकल यूनिट के संचालन हेतु दुर्ग भिलाई अर्बन पब्लिक सर्विस सोसाइटी द्वारा नगर पालिक निगम भिलाई, दुर्ग, भिलाई- चरोदा एवं रिसाली के लिए मोबाइल मेडिकल यूनिट (एमएमयू) कैम्प के संचालन समय सुबह 8 बजे से शाम 3 बजे निर्धारित किया गया है। उल्लेखनिय है कि संबंधित सोसायटी के द्वारा मेडिकल यूनिट के संचालन का समय लगातार 7 घंटे करने हेतु मांग किया गया था। इस पर कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे ने पूर्व मेें निर्धारित समय में परिवर्तन किया है।

 

 

दुर्ग जिले में राजपत्रित अधिकारी संघ का गठन, पहली बैठक में संघ की भविष्य की गतिविधियों के संबंध में विस्तार से हुई चर्चा

 

       दुर्ग। जिले में राजपत्रित अधिकारी संघ का गठन हो गया है। इसकी पहली बैठक अध्यक्ष श्री विपिन जैन, जिला कार्यक्रम अधिकारी के नेतृत्व में आयोजित हुई। बैठक में संघ की सदस्यता के विस्तार के संबंध में, संघ के दायित्वों के संबंध में और भविष्य में संघ द्वारा की जाने वाली पहल के संबंध में सार्थक चर्चा हुई। अध्यक्ष श्री विपिन जैन ने इस अवसर पर कहा कि संघ के गठन का उद्देश्य यह है कि अब तक किसी तरह का राजपत्रित अधिकारियों का फोरम जिले में नहीं था। यह बात सभी के ध्यान में थी कि इस तरह के संगठन होने से आपसी संवाद का अवसर बढ़ता है। आपस में विभागीय समन्वय भी बढ़ता है जिसका लाभ सरकारी कार्य को बेहतर तरीके से कर पाने में दिखता है। उन्होंने कहा कि संघ की नियमित बैठक होगी, इसमें काफी फीडबैक आएंगे। यह फीडबैक विचारार्थ शासन को भी प्रेषित किए जाएंगे, जिससे अधिकारियों के हित के लिए शासन उचित फैसले ले सकेगी। बैठक में महासचिव श्री प्रवास सिंह बघेल, जिला शिक्षा अधिकारी ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि नियमित बैठकों में सदस्य अपने सुझाव रख सकेंगे। जरूरी विषय आने पर कार्यकारिणी की बैठक अविलंब भी बुलाई जा सकेगी।

राजपत्रित अधिकारी संघ दुर्ग की कार्यकारिणी इस प्रकार है-

अध्यक्ष – श्री विपिन जैन जिला कार्यक्रम अधिकारी
उपाध्यक्ष – डाॅ. गंभीर सिंह ठाकुर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी
महासचिव – श्री प्रवास सिंह बघेल, जिला शिक्षा अधिकारी
कोषाध्यक्ष – श्री रोशन वर्मा, जिला कोषालय अधिकारी
सचिव – श्री रियाज अहमद, स्टेनो टू कलेक्टर
श्री किशोर कुमार, गोलघाटे जिला खनिज अधिकारी
श्री समीर शर्मा कार्यपालन अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग
मीडिया प्रभारी – श्री सौरभ शर्मा, उपसंचालक जनसंपर्क
कार्यकारिणी सदस्य- श्री सुरेश ठाकुर, उपसंचालक उद्यानिकी
श्री टी.आर.जगदल्ले, विकासखंड शिक्षा अधिकारी पाटन
श्री अजय कुमार साहू, परियोजना अधिकारी
श्री अमित अग्रवाल, कार्यपालन अभियंता
श्री रमेश प्रधान, श्रम पदाधिकारी
डाॅ. डी.डी. झा, पशु चिकित्सा विभाग
श्री डी.एस. वर्मा, उपसंचालक जिला योजना सांख्यिकी विभाग
श्री अभय जयसवाल, एडीपीओ
श्री सी.पी. दीपांकर, जिला खाद्य नियंत्रक
श्री नोहर सिंह ठाकुर, सहायक आयुक्त आबकारी
श्रीमति प्रियवंदा रामटेके, आदिमजाति विकास विभाग
श्री सुरेश सिंह राजपूत, उपसंचालक कृषि विभाग
श्रीमती सुधा दास, उपसंचालक मतस्य उद्योग
श्री ए.के. टेम्बुरने, कार्यपालन अभियंता लोक निर्माण विभाग
श्री तुषार त्रिपाठी, प्रबंधक जिला उद्योग एवं व्यापार केन्द्र
श्री दोनर प्रसाद ठाकुर, उपसंचालक समाज कल्याण विभाग

 

पटाखा दुकानों में सोशल डिस्टेंसिंग का रखें विशेष ध्यान

दीपावली के बाजार के संबंध में कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने निगम अधिकारियों को दिये निर्देश

       दुर्ग। दीवाली के मौके पर पटाखा दुकानों में भीड़ जुटने की आशंका है। ऐसे में कोरोना संक्रमण का ध्यान रखते हुए सजगता बेहद आवश्यक है। पटाखा विक्रेता अपनी दुकानों में सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष रूप से ध्यान रखें। निगम अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि पटाखा दुकान में इस तरह के एहतियात बरते गए हैं। कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने यह निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि पटाखा दुकानों में दीवाली के अवसर पर भारी भीड़ जुटती है। इसमें सोशल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था करना बेहद जरूरी है ताकि कोरोना संक्रमण न फैले। इसके लिए पटाखा विक्रेताओं के साथ बैठक कर उन्हें इस संबंध में अवगत कराएं। कलेक्टर ने कहा कि निगम अधिकारी यह भी देखें कि बाजारों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो। सजगता और जागरूकता के संदेश डिस्प्ले किये जाएं। मास्क का उपयोग सुनिश्चित हो। कलेक्टर ने कहा कि दुकानदार मास्क का उपयोग नहीं करने वाले ग्राहकों को सामग्री नहीं उपलब्ध कराएं। निगम अधिकारी मानिटरिंग टीमों के माध्यम से यह सुनिश्चित कराएं कि लोग मास्क का उपयोग करें। उन्होंने कहा कि आईसीई एक्टिविटी सभी जगहों पर चल रही है। इसमें कोरोना संक्रमण से बचाव के संबंध में जागरूकता का संदेश दिया जा रहा है। यह सुनिश्चित करें कि ऐसी जगहों पर जहां बड़ी संख्या में भीड़ जुट सकती है वहां पर इस तरह के संदेश अधिकाधिक संख्या में डिस्प्ले किये जाएं। निगम अधिकारी कोरोना जागरूकता के संदेश की मुनादी भी बाजारों में करें। सैनेटाइजेशन और मास्क के उपयोग के संबंध में लोगों को जागरूक करना बेहद अहम है। उन्होंने कहा कि व्यापारिक संस्थाओं के प्रमुखों की बैठक में इस संबंध में अवगत कराएं ताकि सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से कोरोना संक्रमण को थामने में मदद मिले। उन्होंने कहा कि त्योहार का महीना कोरोना संक्रमण को लेकर बेहद संवेदनशील है क्योंकि त्योहारों में खरीदारी और अन्य कारणों से बड़ी संख्या में भीड़ जुटती है। ऐसे में विशेष रूप से रणनीति बनाकर किये गए कार्यों से बाजार में सोशल डिस्टेंसिंग को बनाये रखने में मदद मिलेगी। सामुदायिक भागीदारी की इस कार्य में बेहद अहम भूमिका होगी। कलेक्टर ने निगम अधिकारियों से कहा कि दीवाली के मौके के लिए स्थानीय स्वसहायता समूहों ने बहुत सुंदर उत्पाद तैयार किये हैं। इनके डिस्प्ले के लिए बाजार में अच्छी लोकेशन उपलब्ध कराएं, साथ ही व्यापारिक संगठनों से चर्चा कर इन उत्पादों के लिए मार्केट लिंकेज भी तैयार करें।

 

जिला पंचायत परिसर में सज गया है बिहान बाजार

स्व सहायता समूह की दीदियों ने बड़ी शिद्दत से तैयार किए हैं उत्पाद

5 नवंबर से 8 नवंबर तक दोपहर 12 से 8 बजे खुला रहेगा बिहान बाजार

सुंदर पैकेजिंग के साथ गोधन से बने पंचगव्य दीये,पूजन सामग्री और दैनिक उपयोग की चीजें भी मिलेंगी

इस बार दीपावली में अपने घर के साथ इनका घर भी करें रोशन

नए डिजाइन के साथ उचित कीमत में मिलेंगी  गुणवत्तापूर्ण वस्तुएं

महिलाओं को प्लेटफार्म देने जिला प्रशासन की पहल

बिहान बाजार में सबके लिए मास्क होगा अनिवार्य

 

       दुर्ग। जिला पंचायत परिसर में ‘बिहान बाजार‘ सज गया है। जिला प्रशासन द्वारा स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पाद के विक्रय के लिए एक प्लेटफार्म उपलब्ध कराने के लिए यह पहल की गई है। बिहान बाजार में दीपावली त्यौहार से जुड़ी सारी चीजें जैसे गोधन से निर्मित दीया, बाती, धूप, पूजा सामग्री तो उपलब्ध होगी ही। साथ ही सजावटी सामान, पेंटिंग, आभूषण भी उपलब्ध होंगे। महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं ने ये उत्पाद बड़ी शिद्दत से बनाए हैं। जिसमें उनके पारंपरिक हुनर को निखारने के लिए जिला प्रशासन द्वारा प्रशिक्षण भी दिलवाया गया है। महिलाओं द्वारा अच्छी गुणवत्ता और उचित मूल्य पर विक्रय किया जाएगा। बिहान बाजार में खरीदारी कर आप अपना घर तो सजायेंगे ही बल्कि उन सैकड़ों महिलाओं की मदद भी कर सकेंगे जो दिन रात कड़ी मेहनत कर ये उत्पाद तैयार कर रही हैं। बिहान बाजार दोपहर 12 बजे से 8 बजे तक खुला रहेगा।

करीब 40 स्व सहायता समूह का हो चुका है पंजीयन-

       बिहान बाजार में हिस्सा लेने के लिए करीब 40 महिला स्व सहायता समूहों ने पंजीयन करवाया है। जिला प्रशासन द्वारा यहाँ स्टाल बनाये गए हैं जहाँ ये महिलाएं सामग्री विक्रय करेंगी।

गृहलक्ष्मी के श्रृंगार के लिए चूड़ियाँ, झुमके और अन्य आभूषण-

       त्यौहार यानि सजने संवरने का मौका ,घर-द्वार की सजावट के साथ-साथ दीपावली पर गृह लक्ष्मी के श्रृंगार के लिए सुंदर आभूषण जैसे चूड़ियां, झुमके, हार इत्यादि भी उपलब्ध रहेगा। बिहान की दीदियों ने ये आभूषण बड़े स्नेह से बनाए हैं।

मास्क और सेनेटाइजर भी होगा उपलब्ध, वालेंटियर करेंगे सोशल डिस्टेंसिंग की निगरानी-

       बिहान बाजार में थर्मल चेकिंग के साथ-साथ सेनेटाइजर भी उपलब्ध होगा ताकि आपकी खरीदारी सुरक्षित रहे।इसके अलावा सोशल डिस्टेंसिंग पर निगरानी के लिए वॉलिंटियर्स भी मौजूद रहेंगे। जिला प्रशासन की ओर से विशेष अपील की गई है कि बिहान बाजार में आने के लिए  सभी अनिवार्य रूप से मास्क पहनें।

छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पकवान का उठा सकते हैं आंनद-

       बिहान बाजार में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पकवानों का आनंद भी उठाया जा सकेगा। फरा, चीला, अनरसा, लड्डू, ठेठरी खुरमी सहित अचार, पापड़, बड़ी, मुरकु इत्यादि भी उपलब्ध होगा।

दैनिक उपयोग की सामग्री भी मिलेगी-

       बिहान बाजार में महिलाओं द्वारा घरेलू उपयोग में आने वाले, साबुन, डिटर्जेंट, डिश वॉशर, फिनायल, टॉयलेट क्लीनर, सेनेटाइजर भी बिहान बाजार में उपलब्ध होगा।

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