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रमन सिंह के आरोप पर PHE मंत्री रुद्र गुरु के पक्ष में बोले CM भूपेश ने कहा जब काम शुरु ही नहीं हुआ तो घोटाला कैसा

       दुर्ग। जल जीवन मिशन के टेंडर पीएचई के द्वारा सेंट्रलाइज तरीके से नहीं होंगे बल्कि अब जिला स्तर पर कलेक्टर करेंगे। 7 हजार करोड़ के विवादास्पद टेंडर को लेकर मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी के साथ शुक्रवार को सीएम भूपेश बघेल की हुई बैठक में यह नया फैसला हुआ। सीएम भूपेश बघेल ने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को आड़े हाथों लेते हुए कहा की पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह भाजपा के अपने शासन के भ्रष्टाचार के मामलों को इतना याद करते है की उन्हें उस मामले में भी भ्रष्टाचार नजर आता है जिसमें कोई काम अब तक शुरु ही नहीं हुआ।
       पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह कैसे ऐसे मामले में भ्रष्टाचार देखते है जो अभी तक शुरु ही नहीं हुआ, PHE के टेंडरों को इसलिए निरस्त किया गया कि दूसरे जिले के ठेकेदारों को दूसरे जिले में काम सौंप दिया गया। इस मामले में भ्रष्टाचार कि कोई शिकायत ही नहीं है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आगे कहा कि टेंडर को इसलिए निरस्त किया गया था क्योंकि बलरामपुर के ठेकेदारों को सुकमा, दंतेवाड़ा के ठेकेदारों को सूरजपुर में काम दिया गया जबकि छोटे-छोटे काम स्थानीय स्तर पर दिए जाने चाहिए।
       मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आगे कहा कि कि जब किसी को एक पैसा भी नहीं दिया गया तो गड़बड़ी कैसे हो गई टेंडर में ऐसी गड़बड़ी रमन सिंह के वक्त होती थी, जब कवर्धा में एक टेंडर निरस्त होने के बाद गड़बड़ी करने वालों को ही टेंडर दे दिया गया था गड़बड़ी से कहते हैं ।
       आपको बता दे की केंद्र ने जल जीवन मिशन के लिए जिला स्तर पर टेंडर की गाइडलाइन दी है। सीएम बघेल ने इसे ही अपनाने के निर्देश दिए। चूंकि टेंडर रद्द करने का फैसला कैबिनेट ने लिया था इसलिए इस अहम बदलाव पर भी कैबिनेट की मंजूरी ली जाएगी। उसके बाद टेंडर का कार्रवाई की जाएगी। सीएम ने शुक्रवार को इस मुद्दे पर दो दौर की रिव्यू मीटिंग की। सीएम ने सीएस से अब तक की गई जांच की जानकारी ली।
       सीएम बघेल को बताया गया कि सेंट्रलाइज तरीके से टेंडर कर केंद्रीय गाइड लाइन का उल्लंघन किया गया है। देश में केवल बिहार ही ऐसा कर रहा है। वहां यह, सभी वर्कस डिपार्टमेंट होता रहा है। कमेटी के एक आला सदस्य ने बताया कि केंद्र ने जल जीवन मिशन के लिए जिला स्तर पर टेंडर की गाइडलाइन दी है। उसके बाद सीएम बघेल ने इसे ही अपनाने की निर्देश दिए। उन्होंने जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में टेंडर कमेटी बनाकर योजना में पूरी पारदर्शिता के साथ काम करने कहा। सूत्रों के अनुसार सेंट्रलाइज टेंडर अपनाकर गड़बड़ी की राह तलाशने वाले पीएचई के आधा दर्जन इंजीनियर्स पर आने वाले दिनों में कार्रवाई को लेकर भी चर्चा हुई। बता दें कि इनमें अधिकांश इंजीनियर टेंडर कमेटी के सदस्य हैं।
पहले जिलों से मंजूरी ली जाएगी
       सूत्रों के अनुसार केंद्र की मूल योजना के अनुसार हर जिले से ग्रामीणों की मांग के अनुसार कुल नल जल कनेक्शन की योजना को मंजूरी दी जानी है। इसके लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में टेंडर कमेटियां बनाई जाएंगी। जिलों से मंजूरी इसलिए जरुरी कि इसमें से 10 फीसदी राशि पंचायतों के द्वारा दी जानी है।

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