ILO NEWS: अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन से आई ये खबर, सचिव डावरा ने रखा भारत का पक्ष
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के शासी निकाय के 352वें सत्र में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने गरीबी उन्मूलन, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा में भारत के सकारात्मक अनुभव पर प्रकाश डाला
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization) (आईएलओ) के शासी निकाय की 352वीं बैठक 28 अक्टूबर से 7 नवंबर 2024 तक जिनेवा (स्विट्जरलैंड) में आयोजित की जा रही है। पहले सप्ताह के दौरान श्रम एवं रोजगार मंत्रालय (Ministry of Labor and Employment) की सचिव सुमिता डावरा भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रही हैं।
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चर्चाओं के दौरान डावरा ने गुणवत्तापूर्ण रोजगार सृजन (Quality Employment Generation) करने वाली, सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने वाली और लैंगिक समानता को बढ़ाने वाली समावेशी आर्थिक नीतियों के महत्व के बारे में बताया।
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समाज के सभी वर्गों विशेषकर महिलाओं और युवाओं के लिए रोजगार के अच्छे अवसर पैदा करने के हमारे राष्ट्रीय प्रयासों के बारे में पुनः बताया गया। ये प्रयास आईएलओ के नए सामाजिक अनुबंध के अनुरूप हैं।
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डावरा ने इस संबंध में भारत के सकारात्मक अनुभव पर प्रकाश डाला तथा आईएलओ शासी निकाय के सदस्यों को निम्नलिखित जानकारी दी:
-जीवन स्तर में सुधार के लिए भारत की प्रतिबद्धता गरीबी के सभी आयामों को शामिल करने वाली महत्वपूर्ण पहलों में परिलक्षित होती है, जिसके कारण बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार पिछले 9 वर्षों में 248 मिलियन व्यक्ति बहुआयामी गरीबी से बाहर निकल पाए हैं।
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-हाल के वर्षों में रोजगार में उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाया गया है जिसमें सरकारी नीतियों, कौशल विकास कार्यक्रमों और आर्थिक विकास से अनंतिम अनुमानों के अनुसार 2016-17 और 2022-23 के दौरान लगभग 170 मिलियन लोगों को आर्थिक गतिविधियों से जोड़ा गया है। भारत की आर्थिक प्रगति प्रमुख क्षेत्रों में निरंतर रोजगार सृजन को दर्शाती है।
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-भारत ने अपने सामाजिक सुरक्षा कवरेज को भी बहुत बढ़ाया है। इसका हाल ही में आईएलओ की प्रमुख विश्व सामाजिक सुरक्षा रिपोर्ट 2024-26 में उल्लेख किया गया है जिसमें भारत में सामाजिक सुरक्षा कवरेज के दोगुना होने की बात कही गई है।
-इसके अलावा, इस रिपोर्ट में सबसे बड़ी सामाजिक सुरक्षा योजना, अर्थात् लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली का उसी रूप में उल्लेख किया गया है।
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-यह योजना विश्व की सबसे बड़ी कानूनी रूप से बाध्यकारी सामाजिक सहायता योजनाओं में से एक है जो लगभग 800 मिलियन लोगों को उसी रूप में खाद्य सुरक्षा प्रदान करती है।
-भारत में कमजोर आबादी के वित्तीय समावेशन और वित्तीय सेवाओं तक पहुँच को प्राथमिकता देने के मामले में पिछले दशक में हुए उल्लेखनीय परिवर्तन पर प्रकाश डाला गया है।
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-सरकार ने लाखों व्यक्तियों और परिवारों को सशक्त बनाया है और एक अधिक समावेशी और सुरक्षित समाज को बढ़ावा दिया है।
प्रधानमंत्री जन-धन योजना (Pradhan Mantri Jan-Dhan Yojana)
शासी निकाय को बताया गया कि प्रधानमंत्री जन-धन योजना (Pradhan Mantri Jan-Dhan Yojana) जैसी सरकारी पहल बैंकिंग सुविधा से वंचित लोगों के वित्तीय अंतर को पाटती है जबकि प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना (Pradhan Mantri Jeevan Jyoti Yojana) और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना किफायती जीवन और दुर्घटना बीमा प्रदान करती है।
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संयुक्त राष्ट्र के अन्य निकायों में भी व्यापक सुधारों का समर्थन
30 अक्टूबर 2024 को, आईएलओ के शासी निकाय के अधिक लोकतंत्रीकरण के प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान भारत ने आईएलओ की सराहना की। लेकिन साथ ही न केवल आईएलओ बल्कि संयुक्त राष्ट्र के अन्य निकायों में भी व्यापक सुधारों का समर्थन किया।
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जनसंख्या और कार्यबल
इस अवसर पर भारत ने इस बात पर जोर दिया कि एक व्यापक दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करेगा कि संयुक्त राष्ट्र निकाय वैश्विक स्तर पर सामाजिक न्याय और सतत एवं समावेशी विकास को बढ़ावा देने के साझा दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए अधिक तालमेल से काम करें।
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इस मुद्दे पर भारत के पक्ष में भारत सरकार (Govt of India) के श्रम एवं रोजगार सचिव ने कहा कि जनसंख्या और कार्यबल को ध्यान में रखते हुए भौगोलिक विविधता, आईएलओ के भीतर अधिक न्यायसंगत, अधिक समान और संतुलित भौगोलिक प्रतिनिधित्व के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत होनी चाहिए।
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