लखपति दीदी योजना से आत्मनिर्भरता की मिसाल बनीं सरस्वती सिन्हा
महिला उत्थान और आत्मनिर्भरता के लिए सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं
जय मां लक्ष्मी स्व सहायता समूह से जुड़कर सिलाई और ब्यूटी पार्लर का कार्य
13 हजार रुपये मासिक आय से आर्थिक मजबूती की ओर कदम
ग्रामीण महिलाओं को प्रेरित कर रही सरस्वती सिन्हा की सफलता कहानी
महिला सशक्तिकरण के लिए महतारी वंदन और लखपति दीदी योजना का योगदान
दुर्ग। राज्य और केन्द्र सरकार द्वारा महिलाओं के उत्थान, आर्थिक लाभ एवं आत्मनिर्भर व स्वावलंबी बनाने के लिए महतारी वंदन योजना और लखपति दीदी योजना जैसी अनेक महत्वाकांक्षी योजनाएं संचालित की जा रही है। जहां एक तरफ महिलाएं महतारी वंदन योजनाओं का लाभ लेकर अपनी जरूरतों को पूरी कर रही है वहीं दूसरी ओर लखपति दीदी योजना से महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही है। महिलाओं के जीवन में परिवर्तन आ रहा है। जब महिलाएं आगे बढे़गी तभी देश और समाज का विकास होगा। दुर्ग जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत नगपुरा निवासी श्रीमती सरस्वती सिन्हा को हाल ही में दुर्ग में आयोजित लखपति दीदी महिला सम्मान समारोह में प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया है। उनकी यह उपलब्धि ग्रामीण महिलाओं के लिए बहुत ही प्रेरणादायक है। उन्होंने बताया कि वह पहले घरेलू महिला थी। घर के कामों में ही व्यस्त रहती थी। आज श्रीमती सरस्वती सिन्हा जय मां लक्ष्मी सेवा स्व सहायता समूह से जुड़कर सिलाई कार्य में स्वयं प्रशिक्षित होकर अन्य समूहों को भी प्रशिक्षित कर रही है। समूह में कुल 10 लोग है, जिसकी अध्यक्ष स्वयं सरस्वती सिन्हा है। समूह के अन्य सदस्य भी गृहिणी है, जो मुख्य रूप से घरेलू कामों और मजदूरी कार्य में शामिल थी। अपनी आर्थिक स्थिति को देखते हुए सरस्वती दीदी एवं साथियों ने मिलकर सशक्त और आत्मनिर्भर बनने का दृढ़ निश्चय किया। श्रीमती सिन्हा के दृ़ढ़ निश्चय का ही फल है कि वह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान से जुड़कर ब्यूटी पार्लर व सिलाई कार्य में संलग्न है। जिला प्रशासन तथा जनपद पंचायत के सहयोग व मार्गदर्शन से श्रीमती सरस्वती को सिलाई का टेण्डर मिलने लगा है। सरस्वती दीदी वर्तमान में ब्यूटीपार्लर का काम कर प्रतिमाह औसतन 6 हजार रूपए आय का सृजन कर रही है। उन्होंने कहा कि यह योजना महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के साथ उन्हें आत्मनिर्भर भी बना रही है। प्रारंभिक कठिनाईयों से अब निजात मिल चुकी है। इन गतिविधियों से लगभग 13 हजार रूपए की आमदनी हो रही है। जिले में स्व-सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं लखपति दीदी योजना के माध्यम से न केवल अपना व्यवसाय शुरू कर रही हैं, बल्कि दूसरी महिलाओं की आर्थिक स्थिति भी सुधार रही हैं।