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भारत में टाइगर की आबादी बढ़ी, सरकार ने लोकसभा में पेश की रिपोर्ट

  • राज्यों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, पिछले तीन वर्षों और चालू वर्ष के दौरान पुष्टि किए गए अप्राकृतिक कारणों के कारण बाघों की मृत्यु का विवरण दिया है।

सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। 2022 में किए गए अखिल भारतीय बाघ आकलन के अनुसार बाघों की आबादी में वृद्धि हुई है, जिसकी अनुमानित संख्या 3682 (श्रेणी-सीमा 3167-3925) है, जबकि 2018 में यह 2967 (श्रेणी-सीमा 2603-3346) और 2014 में 2226 (श्रेणी-सीमा 1945-2491) थी। नमूना क्षेत्रों की निरंतर की गयी तुलना के अनुसार, भारत में बाघों की आबादी 6% प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रही है। वर्ष 2006, 2010, 2014, 2018 और 2022 के लिए देश में बाघ परिदृश्यों से संबंधित बाघ आकलन का विवरण अनुलग्नक-I में दिया गया है।

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यह जानकारी केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी। भारत सरकार ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के माध्यम से मानव-वन्यजीव नकारात्मक आमना-सामना के प्रबंधन के लिए तीन आयामी रणनीति पर जोर दिया है, जो इस प्रकार हैं:-

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(i) सामग्री और लॉजिस्टिक्स सहायता: बाघ परियोजना की चल रही केंद्र प्रायोजित योजना के माध्यम से बाघ अभयारण्यों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, ताकि वे अवसंरचना और सामग्री के संदर्भ में क्षमता प्राप्त कर सकें तथा अपने स्रोत क्षेत्रों से बाहर जाने वाले बाघों की समस्या को हल कर सकें।

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बाघ अभयारण्यों द्वारा हर साल एक वार्षिक संचालन योजना (एपीओ) के माध्यम से इसकी मांग की जाती है, जो वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38 वी के तहत अनिवार्य एक व्यापक बाघ संरक्षण योजना (टीसीपी) में निहित है।

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अन्य बातों के साथ-साथ, अनुग्रह राशि और मुआवजे का भुगतान, मानव-पशु संघर्ष पर आम जनता को संवेदनशील बनाने, मार्गदर्शन करने और सलाह देने के लिए आवधिक जागरूकता अभियान, मीडिया के विभिन्न प्रारूपों के माध्यम से सूचना का प्रसार, स्थिरीकरण उपकरण, दवाओं की खरीद, संघर्ष की घटनाओं से निपटने के लिए वन कर्मचारियों का प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण जैसी गतिविधियों के लिए आम तौर पर मांग की जाती हैं।

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(ii) आवास हस्तक्षेपों को प्रतिबंधित करना: बाघ अभयारण्य में बाघों की वहन क्षमता के आधार पर, आवास हस्तक्षेपों को एक व्यापक टीसीपी के माध्यम से प्रतिबंधित किया जाता है। यदि बाघों की संख्या, वहन क्षमता के स्तर पर है, तो यह सलाह दी जाती है कि आवास हस्तक्षेपों को सीमित किया जाना चाहिए, ताकि बाघों सहित वन्यजीवों का अत्यधिक फैलाव न हो और मानव-पशु संघर्ष कम से कम हों।

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इसके अलावा, बाघ अभयारण्यों के आसपास के अतिरिक्त क्षेत्रों में, आवास हस्तक्षेपों को इस तरह से प्रतिबंधित किया जाता है कि वे मुख्य/महत्वपूर्ण बाघ आवास क्षेत्रों की तुलना में उप-इष्टतम हों, केवल अन्य समृद्ध आवास क्षेत्रों में फैलाव की सुविधा के लिए पर्याप्त रूप से विवेकपूर्ण हों।

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(iii) मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी): राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने मानव-पशु संघर्ष से निपटने के लिए निम्नलिखित तीन एसओपी जारी किए हैं, जो सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध हैं:

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i. मानव-केन्द्रित परिदृश्यों में बाघों के भटकने के कारण उत्पन्न होने वाली आपात स्थिति से निपटने के लिए,

ii. पशुधन पर बाघों के हमले से निपटने के लिए,

iii. परिदृश्य स्तर पर स्रोत क्षेत्रों से बाघों के पुनर्वास की दिशा में सक्रिय प्रबंधन के लिए।

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तीन एसओपी में अन्य बातों के साथ-साथ बाघों के फैलाव का प्रबंधन, संघर्ष को कम करने के लिए पशुधन के मारे जाने का प्रबंधन और साथ ही बाघों को स्रोत क्षेत्रों से उन क्षेत्रों में स्थानांतरित करना शामिल है, जहां बाघों की संख्या विरल है, ताकि समृद्ध स्रोत क्षेत्रों में संघर्ष नहीं हो।

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इसके अलावा बाघ संरक्षण योजनाओं के अनुसार, वन्यजीव आवास की गुणवत्ता में सुधार के लिए बाघ रिजर्व द्वारा आवश्यकता आधारित और स्थल-विशिष्ट प्रबंधन हस्तक्षेप किए जाते हैं। इन गतिविधियों के लिए वित्त पोषण सहायता, वन्यजीव आवासों के एकीकृत विकास की जारी केंद्र प्रायोजित योजना के बाघ परियोजना घटक के तहत प्रदान की जाती है।

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राज्यों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, पिछले तीन वर्षों और चालू वर्ष के दौरान पुष्टि किए गए अप्राकृतिक कारणों (अवैध शिकार, जब्ती और अप्राकृतिक, लेकिन शिकार नहीं) के कारण बाघों की मृत्यु का विवरण अनुलग्नक-II में दिया गया है।

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वर्ष 2006, 2010, 2014, 2018 और 2022 के लिए देश में बाघ परिदृश्य से संबंधित बाघ आकलन का विवरण (अखिल भारतीय बाघ आकलन रिपोर्ट के अनुसार)

राज्यबाघों की आबादी

 

20062010201420182022
शिवालिक-गंगा मैदान परिदृश्य परिसर
उत्तराखंड178227340442560
उत्तर प्रदेश109118117173205
बिहार108283154
शिवालिक गंगा297353485646819

 

मध्य भारतीय परिदृश्य परिसर और पूर्वी घाट परिदृश्य परिसर
आंध्र प्रदेश9572684863
तेलंगाना2621
छत्तीसगढ2626461917
मध्य प्रदेश300257308526785
महाराष्ट्र103169190312444
ओडिशा4532282820
राजस्थान3236456988
झारखंड10351
मध्य भारत60160168810331439

 

पश्चिमी घाट परिदृश्य परिसर
कर्नाटक290300406524563
केरल4671136190213
तमिलनाडु76163229264306
गोवा535
पश्चिमी घाट4125347769811087

 

उत्तर पूर्वी पहाड़ियाँ और ब्रह्मपुत्र बाढ़ के मैदान
असम70143167190229
अरुणाचल प्रदेश1428299
मिजोरम65300
नागालैंड00
उत्तरी पश्चिम बंगाल10302
उत्तर पूर्वी पहाड़ियाँ, और ब्रह्मपुत्र100148201219236
सुंदरबन707688101
कुल14111706222629673682

अनुलग्नक-II

पिछले तीन वर्षों और वर्तमान के दौरान पुष्टिकृत अप्राकृतिक कारणों (अवैध शिकारजब्ती और अप्राकृतिकलेकिन शिकार नहीं) के कारण खोए गए बाघों का राज्यवार विवरण

राज्य2021202220232024

(20.11.2024 तक)

पीएसयूएनपीपीएसयूएनपीपीएसयूएनपीपीएसयूएनपी
आंध्र प्रदेश121
अरुणाचल प्रदेश
असम23
बिहार111
छत्तीसगढ2
दिल्ली
गोवा
गुजरात
हरियाणा
झारखंड
कर्नाटक13
केरल311
मध्य प्रदेश31511531
महाराष्ट्र522213
नगालैंड
ओडिशा1
राजस्थान
तमिलनाडु1121
तेलंगाना
उत्तर प्रदेश12
उत्तराखंड1111
पश्चिम बंगाल
कुल8111122111249100

पी – अवैध शिकार

एस – जब्ती

यूएनपी – अप्राकृतिक, लेकिन अवैध शिकार नहीं

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