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लाखों ईपीएस 95 पेंशनभोगियों के मन की बात, मोदी-निर्मला पर ये बोले

  • सरकार के साथ इस मुद्दे को उठाने के लिए अपने सांसद या यूनियन नेताओं से संपर्क करें।

सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। EPS 95 पेंशन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के न्यूनतम पेंशन संशोधन और राजनयिक आश्वासन पर पेंशनभोगी क्या सोचते हैं। इसकी झलक इस न्यूज में आपको दिखेगी। पेंशनभोगी अपने मन की मात को साझा कर रहे हैं।

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पेंशनर का कहना है कि प्रधानमंत्री को भारत के समेकित निधि से इतने बड़े खर्च करने के लिए वित्तीय सहमति, कैबिनेट की मंजूरी और संसद की मंजूरी मिलनी चाहिए। वह भी दीर्घकालिक वित्तीय निहितार्थ के साथ। उन्हें समाज के विभिन्न क्षेत्रों की विभिन्न मांगों पर भी विचार करना होगा। उम्मीद है अगले बजट में कुछ होगा।

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पेंशनर रामकृष्ण पिल्लई ने कहा-फॉर्मूला/नियम ईपीएफओ द्वारा नहीं बनाए जाते, बल्कि सरकार द्वारा बनाए जाते हैं। ईपीएफओ बस इसका पालन कर रहा है। सरकार को पेंशन की स्थिति से 20 साल तक वसूली को प्रतिबंधित करने और लाभार्थी को पूंजी वापस करने के लिए नियमों में संशोधन करना चाहिए, यदि वह जीवित है।

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कृपया सरकार के साथ इस मुद्दे को उठाने के लिए अपने सांसद या यूनियन नेताओं से संपर्क करें। आप ईपीएफओ, सरकार को ईमेल द्वारा भी अनुरोध भेज सकते हैं। कृपया प्रयास करें।

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पेंशनभोगी जॉर्ज विल्सन का कहना है कि मोदी और भाजपा सरकार को पेंशन बढ़ाने का फैसला लेना चाहिए। कृपया उच्च पेंशन पाने में संकोच न करें। लेकिन, इस सरकार के शब्दकोश में कोई शब्द EPFO, ईपीएस 95 पेंशनरों के लिए नहीं है।

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वहीं, अरुण देबनाथ का कहना है कि आइये यह भी अनुमान लगाएं कि 6500 रुपये वाले कितने पेंशनर जीवित बचेंगे? 15000/- रुपये वाले पेंशनरों को पेंशन में कोई समस्या नहीं होगी। मोदी-निर्मला को 65 लाख के इन अवांछित बोझ से मुक्त करने के लिए सरकार 6500 रुपये वाले पेंशनरों को कुछ पैकेज दे सकती है।

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